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टनल में फंसे 40 मजदूरों को बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन लगातार जारी

Plan C for Uttarakhand Tunnel Rescue: उत्तरकाशी की टनल में फंसे 40 श्रमिकों को बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन लगातार जारी है इस अभियान पर पीएमओ की भी सीधी नजरें लगी हुई हैं और उसके अधिकारी RVNL, ONGC, टिहरी डैम के अफसरों के साथ लगातार हालात पर चर्चा कर रहे हैं इसके साथ ही सर्वे, जियो मैपिंग के साथ अनेक विभागों के अधिकारी भी बैठकें कर सुरंग में फंसे लोगों को निकालने की प्रयास कर रहे हैं

‘प्लान सी’ पर चल रहा विचार

सूत्रों के अनुसार अभी ‘प्लान बी’ के मुताबिक टनल में ड्रिल करके पाइप डालने का काम जारी रहेगा इसके साथ ही ‘प्लान सी’ के बारे में भी विचार किया जा रहा है इसके अनुसार टनल के ऊपर चार ऐसे जगह को देखा गया है, जहां से वर्टिकल ड्रिलिंग हो सकती है इसके लिए जियो  मैपिंग से टनल के ऊपर के क्षेत्र को प्वाइंट आउट किया जाना है

टनल के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग

बताते चलें कि रेस्क्यू ऑपरेशन (Uttarakhand Tunnel Rescue) को आज सातवां दिन है इसके बावजूद अब तक सुरंग में फंसे किसी भी मजदूर को बाहर नहीं निकाला जा सका है ऐसे में जिस तरह से टनल के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग करके टनल में उतारने का प्लान तैयार किया गया है, उसे देखते हुए मीडिया की टीमें भी उस क्षेत्र में पहुंची हैं अभी जहां पर टनल का ऊपरी क्षेत्र है, वहां पर सर्वे किया जा रहा है

पहाड़ की जियो मैपिंग का काम शुरू

आखिर में इस बात पर विचार किया जा रहा है कि ड्रिलिंग करके सुरंग में कैसे उतर सकता है सबसे खास बात ये है कि जिस तरह से ऑपरेशन (Uttarakhand Tunnel Rescue) चल रहा है ऐसे में ड्रिलिंग करके खाने-पीने का सामान ऊपर से कैसे भेजा जाए, इसके लिए जियो मैपिंग की जा रही है नार्वे, थाइलैंड समेत कई एक्सपर्टों की टीम इस समय टनल पर पहुंची हुई हैं और श्रमिकों को बाहर निकालने की रणनीति बना रही हैं सुरंग में फंसे 40 श्रमिकों को बचाने के लिए हर संभव प्रयास की जा रही है

बचाव के लिए बनाए गए कुल 5 प्लान

PMO के पूर्व एडवाइजर मीडिया खुल्बे (Bhaskar Khulbe) ने कहा, ‘हमारी बैठक का उद्देश्य एक ही था कि सभी एक्सपर्ट की राय हमें मिलें चर्चा में सभी ने बोला कि एक रेस्क्यू ऑपरेशन प्लान के बजाय कई प्लान पर काम किया जाना चाहिए इसलिए कुल 5 प्लान बनाए गए हैं इनमें से एक सिल्कयारा end, दूसरा बरकोट end, तीसरा vertical चौथा और पांचवा perpendicular है इनमें से 2 प्लान के execution का काम प्रारम्भ हो गया है’ उन्होंने कहा कि सुरंग के निर्माण में बहुत स्टील का इस्तेमाल हुआ है, इसलिए हमें अधिक स्थान नहीं मिलेगी श्रमिकों को बाहर निकालने में अभी 4-5 दिन का समय लग सकता है

वर्ष 2018 में प्रारम्भ हुआ था काम

बता दें कि करीब साढ़े चार किलोमीटर लंबी इस सुरंग को बनाने का काम साल 2018 में शुरु हुआ था तेजी से काम करने के लिए सुरंग (Uttarakhand Tunnel Rescue) को दोनों ओर से बनाया जा रहा है  इस सुरंग में 400 मीटर का हिस्सा है, जहां पर अभी तक पहाड़ को काटा नहीं गया है जिस स्थान पर यह दुर्घटना हुआ है, वह सुरंग के एंट्री गेट से करीब 200 मीटर अंदर है इसी के आगे पहाड़ खिसक गया था, जहां पर 70 मीटर तक पूरा मलबा फैल गया

सुरंग में सरलता से घूम-फिर सकते हैं मजदूर

हालांकि इस मलबे के आगे ढाई किमी तक पूरी सुरंग (Uttarakhand Tunnel Rescue) बनी हुई है, जिसमें मजदूर सरलता से घूम-फिर और सो सकते हैं वहां पर बिजली के भी पहले से व्यवस्था हैं अंदर फंसे अधिकांश मजदूर बिहार, बंगाल, झारखंड और ओडिशा के रहने वाले हैं उन श्रमिकों को पाइप के जरिए भोजन, पाी और ऑक्सीजन पहुंचाया जा रहा है

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