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Rajat Sharma’s Blog: राजकुमार आनंद ने इस्तीफे का किया ऐलान

भ्रष्टाचार के मामले पर आम आदमी पार्टी में पहली बार बगावत की आवाज सुनाई दी. दिल्ली गवर्नमेंट के एक मंत्री राजकुमार आनंद ने पद से त्याग-पत्र दे दिया, आम आदमी पार्टी छोड़ दी. केजरीवाल की गवर्नमेंट में मंत्री राजकुमार आनंद ने बोला कि आम आदमी पार्टी करप्शन के दलदल में डूब गई है. उन्होंने बोला कि पहले तो ये लग रहा था कि केजरीवाल को शराब घोटाले में फंसाया गया है लेकिन  दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में जो कहा, उसके बाद तो पक्का भरोसा हो गया है कि करप्शन के विरुद्ध आंदोलन से निकली पार्टी स्वयं करप्शन के कीचड़ में धंस गई है. राजकुमार आनंद के पास दिल्ली गवर्नमेंट में समाज कल्याण मंत्रालय के साथ साथ कुल 7 विभागों की जिम्मेदारी थी. उन्होंने अपना त्याग-पत्र सीएम के कार्यालय को भेज दिया, लेकिन प्रश्न ये है कि सीएम कारावास में हैं तो इस्तीफे को स्वीकार कौन करेगा? केजरीवाल ने प्रयास की थी कि अपने वकीलों के जरिए उनका अपनी पार्टी और गवर्नमेंट से संपर्क बना रहे लेकिन बुधवार को इस प्रयास को न्यायालय से झटका लगा. केजरीवाल चाहते थे कि उन्हें तिहाड़ कारावास में अपने वकीलों से सप्ताह में 5 बार मिलने की अनुमति दी जाए लेकिन न्यायालय ने उनकी अर्जी को खारिज कर दिया. केजरीवाल कारावास में हो रही मुलाकातों का इस्तेमाल राजनीति के लिए कर रहे हैं, इसकी भी जांच प्रारम्भ हो गई है. नियमों के अनुसार केजरीवाल सप्ताह में केवल 2 बार अपने वकीलों से मिल सकते हैं.

तीसरी घटना ये हुई कि भगवंत मान और संजय सिंह तिहाड़ कारावास जाकर केजरीवाल से मिलना चाहते थे लेकिन सुरक्षा कारणों से इसकी अनुमति नहीं दी गई. संजय सिंह ने बोला कि केन्द्र गवर्नमेंट तिहाड़ कारावास को अरविन्द केजरीवाल के लिए गैस चेंबर बना देना चाहती है, आम आदमी पार्टी के नेताओं को धमकाया जा रहा है, राजकुमार आनंद का त्याग-पत्र इसी का नतीजा है. लेकिन अब प्रश्न ये है कि मंत्री के इस्तीफे का आम आदमी पार्टी पर क्या असर होगा? सबसे बड़ा प्रश्न ये है कि केजरीवाल कारावास में हैं और मंत्री का त्याग-पत्र मंजूर करके सीएम ही उपराज्यपाल के पास भेजते हैं. अब राजकुमार आनंद के इस्तीफे पर हस्ताक्षर कौन करेगा? क्या हस्ताक्षर कराने के लिए त्याग-पत्र तिहाड़ कारावास भेजा जाएगा? राजकुमार आनंद पटेल नगर सीट से विधायक हैं, दलित हैं, पहली बार विधायक बने थे और केजरीवाल ने उन्हें करीब डेढ़ वर्ष पहले अपने मंत्रिमंडल में स्थान दी थी लेकिन बुधवार को अचानक राजकुमार आनंद ने अपने इस्तीफे का घोषणा करके सबको चौंका दिया. प्रश्न ये था कि शराब घोटाले की चर्चा तो 2 वर्ष से हो रही है, राजकुमार आनंद की अंतरात्मा अब क्यों जागी? इस पर राजकुमार आनंद का उत्तर था कि घुटन तो लंबे समय से हो रही थी, लेकिन करप्शन का केवल संदेह था, दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्णय ने आंखें खोल दी.

जैसे ही राजकुमार आनंद ने इस्तीफे का घोषणा किया तो आम आदमी पार्टी में हड़कंप मची, संजय सिंह और सौरभ भारद्वाज ने तुरंत प्रेस कांफ्रेंस की. संजय सिंह ने बोला कि आज राष्ट्र को पता चल गया कि प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई का असल मक़सद क्या है, घोटाले का आरोप असल में एक बहाना है, वास्तविक मक़सद तो आम आदमी पार्टी को तोड़ना है. संजय सिंह ने बोला कि जिस राजकुमार आनंद को भाजपा के नेता करप्ट कहते नहीं थकते थे, बहुत शीघ्र वही भाजपा नेता उनके गले में माला पहनाते दिखेंगे. राजकुमार आनंद के घर पर पिछले वर्ष 2 नवंबर को प्रवर्तन निदेशालय ने छापा मारा था. आरोप था कि राजकुमार आनंद ने विदेश से आयात किए गए सामान की गलत जानकारी देकर सात करोड़ रुपये की कस्टम ड्यूटी नहीं दी थी. संजय सिंह ने बोला कि उन्हें जानकारी मिली है कि राजकुमार आनंद को प्रवर्तन निदेशालय का नोटिस मिल गया था, 12 अप्रैल को पेशी के लिए बुलाया गया था. सौरभ भारद्वाज ने बोला कि हर कोई संजय सिंह नहीं होता, हर कोई प्रवर्तन निदेशालय का दबाव नहीं झेल सकता. सौरभ भारद्वाज ने बोला कि इस इस्तीफे से एक बात तो क्लियर है कि भाजपा ने ऑपरेशन लोटस को एक्टिव कर दिया.

आम आदमी पार्टी के नेताओं की ज्यादातर मुश्किलें उनके अपने दावों और बयानों से पैदा होती हैं. जैसे ये लोग कई दिन से कह रहे थे कि हमारी पार्टी का एक MLA भी नहीं टूटा, पार्टी तोड़ने में भाजपा फेल हो गई, सब केजरीवाल के साथ हैं. यदि ये सब न बोला गया होता तो आज एक मंत्री के पार्टी छोड़ने का कोई खास असर नहीं होता. इसी तरह से ये नेता कई दिन से कह रहे थे कि प्रवर्तन निदेशालय ने दो रुपये भी कहीं से रिकवर नहीं किए लेकिन अब उच्च न्यायालय ने कह दिया कि शराब घोटाले में किकबैक दिए गए और जो पैसा लिया गया, उस कैश का इस्तेमाल गोवा में चुनाव लड़ने के लिए किया गया. इस तरह की बहुत सारी बातें हैं जो केवल हवाबाजी करने से पैदा होती हैं. उच्च न्यायालय के निर्णय की वजह से आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं के मन में प्रश्न तो पैदा हुए हैं. मंत्री राजकुमार के इस्तीफे का कोई और असर हो या ना हो, इतना असर जरूर पड़ेगा कि पार्टी का आम कार्यकर्ता ये सोचेगा कि शराब के मुद्दे में गड़बड़ तो हुई है, साउथ लॉबी से पैसा तो आया, इसीलिए पार्टी के नेताओं का दामन इतना पाक साफ नहीं है जितना दावा किया जा रहा है और ये संदेह आम आदमी पार्टी के लिए घातक साबित हो सकता है. हालांकि दिल्ली में आम आदमी पार्टी के पास इतना भारी बहुमत कि एक मंत्री या 5-10 विधायकों के जाने से भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन केजरीवाल की बड़ी परेशानी ये है कि वो अपने दावे के अनुसार कारावास से गवर्नमेंट कैसे चलाएंगे? वकीलों से अब केवल 2 मुलाकात होगी और वह भी नज़र में. तो केजरीवाल सीएम की जिम्मेदारियों को कैसे निभाएंगे? और वह यदि त्याग-पत्र देते हैं तो सीएम किसे बनाएंगे?

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