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Rajasthan News: ऑर्गन ट्रांसप्लांट के मामले में तीन डॉक्टरों का इस्तीफा

फर्जी एनओसी जारी करके ऑर्गन ट्रांसप्लांट के मुद्दे में एसीबी की कार्रवाई के बाद राजस्थान के तीन बड़े डॉक्टरों को त्याग-पत्र देना पड़ा है. गवर्नमेंट ने मुद्दे में उत्तरदायी पदों पर बैठे इन ऑफिसरों की ढिलाई मानते हुए इनसे त्याग-पत्र मांगा था.

मामले में एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डाक्टर राजीव बगरहट्टा, एसएमएस हॉस्पिटल के अधीक्षक डाक्टर अचल शर्मा और स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन (सोटो) के चेयरमैन डाक्टर सुधीर भंडारी को त्याग-पत्र देना पड़ा है. ये तीनों उत्तरदायी पदों पर बैठे बड़े चिकित्सक लेकिन पिछले दो-तीन वर्ष से फर्जी ढंग से हो रहे ऑर्गन ट्रांसप्लांट के मुद्दे में इन उत्तरदायी चिकित्सा ऑफिसरों ने कोई एक्शन नहीं लिया. तीनों डॉक्टरों के इस्तीफे गवर्नमेंट ने तुरंत स्वीकार कर लिए हैं.

एसीबी ने किया मुद्दे का खुलासा

पिछले महीने एसीबी ने ऑर्गन ट्रांसप्लांट के लिए फर्जी ढंग से एनओसी जारी करने के मुद्दे का खुलासा करते हुए एसएमएस हॉस्पिटल के सहायक प्रशासनिक अधिकारी गौरव सिंह के साथ दो निजी अस्पतालों के ऑफिसरों को अरैस्ट किया था. एसएमएस के सहायक प्रशासनिक अधिकारी गौरव सिंह के घर पर दबिश में एसीबी को वहां सैकड़ों फर्जी एनओजी बरामद हुई, जिनमें से कुछ पर हस्ताक्षर किए हुए थे और कुछ बिना हस्ताक्षर की थीं. मुद्दे में जयपुर के निजी अस्पतालों की मिलीभगत सामने आने के बाद गवर्नमेंट ने तीन नामी अस्पतालों ईएचसीसी, फोर्टिस और मणिपाल हॉस्पिटल के ऑर्गन ट्रांसप्लांट करने के लाइसेंस रद्द कर दिए थे.

सामने आई जिम्मेदारों की लापरवाही

नियमानुसार सरकारी या निजी अस्पतालों में ऑर्गन ट्रांसप्लाट के लिए एनओसी कमेटी की अनुमति लेना महत्वपूर्ण होता है लेकिन पिछले दो-तीन वर्षों में हुए ऑर्गन ट्रांसप्लांट के मुद्दे में उत्तरदायी ऑफिसरों ने कोई सुध ही नहीं ली, जबकि देशी-विदेशी रोगियों के किडनी ट्रांसप्लांट की खबरें कई बार मीडिया में भी प्रकाशित हुई थीं. ऑर्गन ट्रांसप्लांट की अनुमति के लिए बनी कमेटी द्वारा पिछले दो वर्ष में कोई भी मीटिंग नहीं लिए जाने के बावजूद ऑर्गन ट्रांसप्लांट होते रहे लेकिन उत्तरदायी ऑफिसरों ने कोई ध्यान नहीं दिया.

पिछले महीने गुड़गांव पुलिस द्वारा किडनी स्मग्लिंग के मुद्दे में पकड़े गए बांग्लादेशी नागरिकों के तार भी मुद्दे से जुड़े होने का अंदेशा है. ऐसा इसलिये बताया जा रहा है क्योंकि दलालों ने बांग्लादेश के कई लोगों को जयपुर के निजी अस्पतालों में किडनी डोनेट करने भेजा था. एसीबी की छानबीन में पता चला है कि फर्जी एनओसी के जरिये ब्लड रिलेशन ना होने के बावजूद ऑर्गन ट्रांसप्लांट कर दिए गए. बहरहाल चिकित्सा विभाग की अनुमति मिलने के बाद मुद्दे में एफआईआर दर्ज कर ली गई है, मुद्दे में आगे और भी खुलासे हो सकते हैं

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