बेतिया। बिहार का प्रसिद्ध मर्चा चूड़ा का स्वाद अब पीएम नरेन्द्र मोदी भी चखेंगे। जीआई टैग मिलने के बाद इस उत्पाद को पश्चिम चंपारण के सांसद डॉ संजय जायसवाल ने प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी को भेंट किया है। पीएम से शिष्टाचार मुलाकात के दौरान सांसद जायसवाल ने मर्चा चूड़ा को तोहफा स्वरूप सौंपा। मर्चा का धान केवल पश्चिम चम्पारण जिले में ही उत्पादित होता है। हिंदुस्तान गवर्नमेंट ने इसी साल जुलाई में इसको जीआई टैग दिया है।
चम्पारण से बाहर के जो भी इस चूड़ा को खाते हैं, वह सदैव के लिए इसके प्रशंसक हो जाते हैं। पीएम ने भी इसकी महक को महसूस किया। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह भी बोला कि मैं पोहा के रूप में नाश्ते में जरूर इसका इस्तेमाल करूंगा। डाक्टर संजय जायसवाल ने बोला कि इस उत्पादन को राष्ट्र नहीं विदेश में भी पसंद किया जा रहा है। जीआई टैग मिलने के बाद इसके व्यापार के रास्ते खुलने लगे हैं।
मर्चा चूड़ा के प्रमुख उत्पादक क्षेत्र पश्चिमी चंपारण जिले के चनपटिया, मैनाटांड़, गौनाहा, नरकटियागंज, रामनगर एवं लौरिया हैं। मर्चा धान की खेती के लिए पश्चिम चम्पारण जिले की मिट्टी एवं जलवायु बहुत ही अनुकूल है। ऐसी अनुकूल जलवायु अन्य स्थान संभवतः नहीं है। इसी कारण दूसरी स्थान पर खेती में यहां की तरह बेहतरीन स्वाद और सुगंध नहीं होता है। मर्चा चूड़ा में जो स्वाद और सुगंध है, वह किसी अन्य चूड़ा में नहीं है।
क्या है मर्चा धान
‘मर्चा धान’ बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में क्षेत्रीय रूप से पाए जाने वाले चावल की एक विशेष सुगंधित प्रजाति है। यह काली मिर्च की तरह दिखाई देता है, इसलिए इसे मिर्चा या मर्चा राइस के नाम से जाना जाता है। इसे क्षेत्रीय स्तर पर मिर्चा, मर्चीया, मारीचौ आदि नामों से भी जाना जाता है। मर्चा धान के पौधे और अनाज में एक अनूठी सुगंध होती है, जो इसे अलग एवं विशिष्ट पहचान स्थापित करता है।