Akshat Ram Mandir: धर्म और राजनीति के लिहाज से यह वर्ष 2024 हिंदुस्तान के लिए काफी जरूरी है। अयोध्या में राम मंदिर बन रहा है। 22 जनवरी को जब रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी, पीएम मोदी वहां उपस्थित रहेंगे। करोड़ों हिंदुस्तानियों की आस्था का केंद्र मर्यादा पुरुषोत्तम का मंदिर बना है तो लोगों में उसे देखने और दर्शन करने की लालसा भी पैदा होना स्वाभाविक है। रामजन्मभूमि आंदोलन और कानूनी लड़ाई भी लोगों को याद आती होगी। बीजेपी का उत्थान ही इस आंदोलन के साथ देखा गया। ‘रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे’ वो नारा ठीक साबित हो गया है। धर्म के लिहाज से तो बात समझ में आ गई तो क्या राजनीति उससे दूर है? बीजेपी के एजेंडे में राम मंदिर प्रारम्भ से रहा है। एक बार संसद में अटल बिहारी वाजपेयी ने बोला था कि इस बार हमारे पास बहुमत नहीं है लेकिन जब होगा तो हम राम मंदिर बनाएंगे। अब मंदिर बना है तो उसका क्रेडिट भी बीजेपी ही लेगी। (ऊपर बाईं तस्वीर एआई से तैयार की गई है और सोशल मीडिया पर लोगों की प्रोफाइल पिक बन रही है)
आरोपों से बीजेपी पर फर्क नहीं
विपक्ष प्रश्न खड़े कर रहा है। इल्जाम लगा रहा है कि बीजेपी धर्म का राजनीतिकरण कर रही है। पीएम जब भूमि पूजन के लिए 2020 में गए थे तो प्रश्न खड़े हुए थे कि क्या सेक्युलर राष्ट्र के मुखिया को इस तरह धार्मिक आयोजन की अगुआई करनी चाहिए? खैर, बीजेपी जानती है कि यदि कांग्रेस पार्टी एक समुदाय का तुष्टीकरण कर रही थी तो वह बहुसंख्यक जनसंख्या को साध रही है। ऐसे में इस तरह के आरोपों से उसे कोई फर्क नहीं पड़ता। कोई यह प्रश्न नहीं खड़ा कर सकता कि राष्ट्र के ‘मुखिया’ पीएम हैं तो इस तरह ईश्वर की प्राण-प्रतिष्ठा राष्ट्रपति या फिर किसी संत से क्यों नहीं कराई जा रही?
वोट मांगने की भी आवश्यकता नहीं?
हो सकता है मंदिर का उद्घाटन होने के बाद बीजेपी की तरफ से भी ये बातें की जाएं कि हम राम के नाम पर वोट नहीं मांगते, राम हमारी आस्था हैं, वह हमारे दिल में हैं… तो क्या यह कहने से वोटर पर असर नहीं होगा? ब्रिटिश मीडिया ‘गार्डियन’ में रिपोर्ट छपी है, उसमें भी अयोध्या राम मंदिर का 2024 के चुनाव पर साफ असर पड़ने की बात कही गई है। यहां तक कि लेख में भविष्यवाणी कर दी गई है कि पीएम मोदी को लगातार तीसरा कार्यकाल ‘लगभग तय’ है। उसने ‘लगभग अपरिहार्य’ शब्द का इस्तेमाल किया है जिसका मतलब है कि जो होने ही वाला है। वैसे, भी सोशल मीडिया देख लीजिए, रिंग टोन, व्हाट्सएप स्टेटस, टीवी चैनल, अखबार, रेडियो, यूट्यूब कोना-कोना राममय है। प्रयागराज के एक गांव में सुनने को मिला ‘जो राम को लाए हैं, हम उनको लाएंगे।’ 2024 के लिए ऐसा प्रचार तो काफी पहले से प्रारम्भ हो चुका है।
निमंत्रण मिलेगा तो हाथ तो जोड़ेंगे ही
परंपरागत नागर शैली में बन रहे राम मंदिर परिसर की लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फुट और चौड़ाई 250 फुट, ऊंचाई 161 फुट होगी। मंदिर का हर मंजिल 20 फुट ऊंचा होगा और इसमें कुल 392 खंभे और 44 फाटक होंगे। मंदिर के निर्माण में विश्व हिंदू परिषद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विशेष किरदार है। जो भी राम मंदिर को लेकर कार्यक्रम और अभियान आने वाले दिनों में होंगे उसका 3 महीने बाद आम चुनावों में असर पड़ने की पूरी आसार है। अधिक नहीं, इसका एक उदाहरण देख लीजिए। निमंत्रण के रूप में घर-घर अक्षत पहुंचना प्रारम्भ हो गया है।
वैसे यह केवल सूचना के लिए है क्योंकि आयोजक कह रहे हैं कि 22 जनवरी को आप घर पर ही पूजा कीजिए। फिर भी अयोध्या में काफी भीड़ होगी और उत्सव पूरे राष्ट्र में होगा। यह एक ऐसी चीज है विपक्षी दल सब कुछ देखते हुए कुछ नहीं कर सकते क्योंकि करोड़ों हिंदुओं की आस्था का प्रश्न है। आप कहते रहिए कि उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बाद अयोध्या में राम मंदिर बना है लेकिन जो दिखता है वो जनता को समझ में आता है और भूमि पूजन करते पीएम मोदी दिखे थे और 22 जनवरी को भी वही प्राण-प्रतिष्ठा में पूजन करते दिखाई देंगे। जिन राज्यों में बीजेपी की सरकारें हैं वहां अपने स्तर पर फ्री में लोगों को दर्शन करवाने की तैयारी है। इन सबका असर तो पड़ना ही है।
घर-घर अक्षत बांटे जा रहे
अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से पहले वर्ष के पहले दिन यानी 1 जनवरी 2024 से ही आयोजकों ने पूजित ‘अक्षत’ का वितरण प्रारम्भ कर दिया है। अक्षत में चावल, हल्दी और घी का मिश्रण है और यह अभियान 15 जनवरी मकर संक्रांति तक जारी रहेगा। मंदिर न्यास के महासचिव चंपत राय ने कहा है कि प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर की जाएगी। उन्होंने देशभर के लोगों से इस अवसर को उत्सव के रूप में मनाने का आग्रह किया है। अक्षत युक्त कागज की पुड़िया, राम मंदिर का चित्र और मंदिर के ढांचे का ब्योरा देने वाले पर्चे लोगों में बांटे जा रहे हैं।
5 करोड़ लोगों तक पहुंचेंगे विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता
मंदिर न्यास के शीर्ष अधिकारी बता रहे हैं कि इसके जरिए करीब पांच लाख मंदिरों के पास रहने वाले लोगों को राम मंदिर की फोटोज़ और दूसरी चीजें मिलेंगी। संभावना व्यक्त किया जा रहा है कि वे राष्ट्र के लगभग पांच करोड़ लोगों तक पहुंचेंगे। हाल में पीएम मोदी ने लोगों से अपील की थी कि वे 22 जनवरी के दिन को ‘दीपावली’ के रूप में मनाने के लिए अपने घरों में विशेष दीये जलाएं। आप कह सकते हैं कि इस बार करोड़ों हिंदुओं के लिए दीपावली काफी पहले आ गई है। चंपत राय ने कहा कि अक्षत देते समय लोगों से निवेदन किया जाएगा कि वे अपने पड़ोस के मंदिरों में इकट्ठा होकर इसे एक उत्सव की तरह मनाएं जैसा अयोध्या में हो रहा है।
अक्षत वितरण कार्यक्रम विश्व हिंदू परिषद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े लोगों और उनके सहयोगियों द्वारा किया जाएगा। सूत्रों ने बोला कि न्यास की किरदार जरूरी रूप से मंदिर का निर्माण करना और एक मार्गदर्शक शक्ति के रूप में काम करना है। कार्यकर्ता गांवों और कस्बों में घर-घर में जाकर ‘अक्षत’ बांट रहे हैं। अयोध्या में अक्षत वितरण की आरंभ वाल्मीकि कॉलोनी से हुई।
प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए एक लाख से अधिक भक्तों के अयोध्या आने की आशा है, जिसमें हिंदुस्तान और विदेश से 7,000 से अधिक मेहमान शामिल हो सकते हैं। लोगों से बोला जा रहा है कि इस कार्यक्रम के बाद वे पड़ोस की कॉलोनियों में ‘आरती’ कर प्रसाद वितरित करें। राय ने लोगों से बड़ी स्क्रीन लगाने को भी बोला है जिससे लोग समूहों में बैठकर सीधा प्रसारण देख सकें। उन्होंने बोला कि सूर्यास्त के बाद लोगों को अपने घरों में ‘दीया’ जलाना चाहिए, जिसका आह्वान पीएम ने भी किया है।