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अब धीरज साहू के राँची के रेडियम रोड में स्थित घर की IT टीम ले रही तलाशी

रांची: कांग्रेस के राज्यसभा सांसद धीरज साहू से संबंधित ठिकानों से कैश और गोल्ड का जखीरा मिलने के बाद अब उनका राँची का घर इनकम टैक्स विभाग की नज़र में है साथ ही इस मुद्दे में अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) की एंट्री की भी आसार बल पकड़ने लगी है रिपोर्ट के मुताबिक, प्रवर्तन निदेशालय मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से पूरे मुद्दे की छानबीन कर सकती है वहीं एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अब साहू के राँची के रेडियम रोड में स्थित घर की IT की टीम तलाशी ले रही है कहा जा रहा है कि, इस घर की खुदाई भी हो सकती है, क्योंकि इतनी बड़ी बरामदगी के बाद शक है कि साहू ने जमीन के नीचे इससे भी बड़ा खजाना छिपा रखा हो सकता है

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, साहू के ठिकानों से करीब 350 करोड़ रुपए नकद बरामद हुए हैं हालाँकि, कुछ अन्य रिपोर्ट्स में यह धनराशि 500 करोड़ रुपए के आसपास भी बताई गई है, साथ ही 60 किलो सोना मिलने की समाचार भी रिपोर्ट में सामने आई है इनकम टैक्स की कार्रवाई में यह राष्ट्र में अब तक की सबसे बड़ी नकदी बरामदगी मानी जा रही है बता दें कि, 6 दिसंबर 2023 को इनकम टैक्स विभाग ने झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के विभिन्न जगहों पर एक साथ छापेमारी प्रारम्भ की थी छापेमारी की कार्रवाई 6 दिनों से जारी है

इतनी बड़ी बरामदगी के बाद प्रश्न उठता है कि इस पैसे का क्या इस्तेमाल होने वाला होगा ? इनकम टैक्स नियमों के अनुसार, अघोषित आमदनी पकड़े जाने पर टैक्‍स के साथ ही जुर्माने का भी प्रावधान है ऐसा नहीं है कि घर में नकद रखना गैर कानूनी है या नकद रखने की कोई कानूनी सीमा निर्धारित है मगर, इतनी बड़ी नकदी कहाँ से आई और इसका परफेक्ट और वैध सोर्स इनकम टैक्स विभाग को पता होना चाहिए, अन्यथा उसे ब्लैक मनी माना जाता है इस तरह की अघोषित आमदनी पर टैक्‍स स्‍लैब के हिसाब से 300 प्रतिशत तक टैक्‍स और जुर्माना वसूला जा सकता है

छापेमारी में बरामद कैश का आकलन करने के बाद इसका पंचनामा दाखिल किया जाता है ऐसे किसी भी मुद्दे की जाँच इनकम टैक्स विभाग की जाँच यूनिट करती है ये यूनिट सभी विवरणों और खातों का शोध करती है और 60 दिनों में एक मूल्यांकन रिपोर्ट तैयार करती है एक बार मूल्यांकन आदेश तैयार हो जाने के बाद, मुद्दे के आरोपितों और संदिग्धों को अपनी आय का माध्यम बताने का अवसर भी दिया जाता है बैंक ऑफिसरों की उपस्थिति में बरामद की गई कैश की सूची बनाई जाती है इसके बाद कैश केंद्र गवर्नमेंट के बैंक खाते में जमा कर दी जाती है बरामद किए गए कैश पर इनकम टैक्स विभाग एक फाइनल कुर्की तैयार करता है इसकी पुष्टि के लिए मुकदमा न्यायालय में जाता है और फिर केस समाप्त होने तक बरामद की गई, ये धनराशि केंद्र गवर्नमेंट के बैंक खाते में ही रहती है

जब तक सुनवाई पूरी नहीं होती इस पैसे का कोई भी इस्तेमाल नहीं होता है न्यायालय यदि आरोपित को गुनेहगार ठहरा है, तो यह पैसा गवर्नमेंट का हो जाता है किन्तु यदि न्यायालय आरोपित को बरी कर देती है तो सारा पैसा उसे वापस मिल जाता है बता दें कि, कांग्रेस पार्टी सांसद धीरज प्रसाद साहू और उनके संबंधियों का शराब का बड़ा व्यवसाय है बलदेव साहू एंड ग्रुप ऑफ कंपनीज मूल रूप देशी शराब बनाती है इस धंधे में कंपनी करीब 40 वर्ष से है कंपनी का नाम धीरज साहू के पिता बलदेव साहू के नाम पर है कंपनी में कांग्रेस पार्टी सांसद के अतिरिक्त उनके परिवार के कई लोग शामिल हैं

इतनी बड़ी मात्रा में नकद मिलना इसलिए भी दंग करता है, क्योंकि 2018 के चुनावी हलफनामे में धीरज साहू ने अपने ऊपर 2.36 करोड़ रुपए का ऋण होने की जानकारी दी थी और कुल संपत्ति 34 करोड़ बताई थी 2016-17 में जो आयकर रिटर्न भरा था, उसमें अपनी आमदनी लगभग एक करोड़ रुपए बताई थी वहीं, साहू दो बार कांग्रेस पार्टी के टिकट पर लोकसभा चुनाव हार चुके हैं, लेकिन पार्टी उन्हें 3 बार बिना चुनाव लड़े राज्यसभा सदस्य बना चुकी है साहू परिवार, कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार का पुराना भरोसेमंद माना जाता है, आज़ादी के बाद से ही वहीं, इतनी बड़ी बरामदगी पर रिज़र्व बैंक ऑफ़ इण्डिया (RBI) के पूर्व गवर्नर और अर्थशास्त्री रघुराम राजन ने इस नकदी को सही ठहराते हुए बोला था कि, राष्ट्र का विपक्ष काले धन से चुनाव लड़ने के लिए विवश है, क्योंकि चुनाव पैसों पर ही लड़े जाते हैं बता दें कि, राजन भारत जोड़ो यात्रा में भी नज़र आए थे, जहाँ उन्होंने राहुल गांधी के साथ अर्थव्यवस्था पर चर्चा की थी, धीरज साहू भी इस यात्रा में शामिल हुए थे

 

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