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अन्नामलाई को सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत, कानूनी कार्यवाही पर सितंबर तक लगाई रोक

भारतीय जनता पार्टी के तमिलनाडु प्रमुख के अन्नामलाई को बड़ी राहत देते हुए उच्चतम न्यायालय ने अक्टूबर में एक यूट्यूब चैनल को दिए एक इंटरव्यू में ईसाइयों के विरुद्ध कथित तौर पर नफरत भरा भाषण देने के लिए उनके विरुद्ध दर्ज आपराधिक मुद्दे की सुनवाई पर रोक बढ़ा दी है. न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने शिकायतकर्ता को छह हफ्ते के भीतर अपना उत्तर दाखिल करने को कहा. पीठ ने बोला कि अंतरिम आदेश जारी रहेगा. मुद्दे को 9 सितंबर से प्रारम्भ होने वाले हफ्ते में फिर से सूचीबद्ध किया जाए. सुनवाई की आरंभ में पीठ ने बोला कि यह एक निजी कम्पलेन है और इस मुद्दे में राज्य को पक्षकार नहीं बनाया गया है. शिकायतकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने पीठ को सूचित किया कि यह एक निजी कम्पलेन है और जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा.

गौरतलब है कि अन्नामलाई के विरुद्ध आपराधिक मुद्दे की कार्यवाही पर शीर्ष न्यायालय ने 26 फरवरी को रोक लगा दी थी. इंटरव्यू में दिए गए बयानों की प्रतिलिपि देखने के बाद, पीठ ने बोला था, “प्रथम दृष्टया, कोई नफरत भरा भाषण नहीं है. कोई मुद्दा नहीं बनता. हालांकि, पीठ ने शिकायतकर्ता को नोटिस जारी किया, जिसने 22 अक्टूबर, 2022 को इंटरव्यू में अन्नामलाई पर ईसाइयों के विरुद्ध नफरत भरा भाषण देने का इल्जाम लगाया था.

क्या है पूरा मामला 

अन्नामलाई ने हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष न्यायालय का रुख किया है, जिसने 8 फरवरी को मुद्दे में उन्हें जारी किए गए समन को रद्द करने से इनकार कर दिया था. हाई कोर्ट ने तब बोला था कि किसी आदमी या समूह पर मनोवैज्ञानिक असर भी पड़ना चाहिए. घृणास्पद भाषण की परिभाषा के भीतर माना जाता है. आरंभ में पीयूष नाम के शख्स की कम्पलेन पर ट्रायल न्यायालय ने समन जारी किया था. हाई कोर्ट ने पाया था कि बीजेपी के राज्य प्रमुख ने एक यूट्यूब चैनल को 45 मिनट लंबा इंटरव्यू दिया था, और इसका साढ़े छह मिनट का अंश 22 अक्टूबर, 2022 को बीजेपी के एक्स हैंडल पर साझा किया गया था.

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