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पीएम के लिए अयोध्या और काशी ही नहीं बल्कि मथुरा का भी है ये खास महत्व

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 नवंबर को ब्रज रज उत्सव में शामिल होने मथुरा जा रहे हैं. पीएम बनने के बाद मथुरा का उनका यह चौथा दौरा है. दौरे की विशेषता ये है कि वह पहली बार श्रीकृष्ण जन्मस्थान दर्शन के लिए जाएंगे. यही नहीं, वह श्रीकृष्ण जन्मस्थान पहुंचने वाले पहले पीएम होंगे. पीएम का बांके बिहारी का दर्शन करना महज संयोग नहीं बल्कि राष्ट्र की धार्मिक धरोहरों को विकसित करने की उनकी श्रद्धा और प्रतिबद्धता का प्रतीक है. प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी राष्ट्र की धरोहरों को दुनिया में एक अलग पहचान दिलाने के लिए लगातार प्रतिबद्ध दिखते हैं.

देश की धार्मिक धरोहरों का जिस तरह का विकास मोदी गवर्नमेंट में हुआ वैसा पहले कभी नहीं हुआ. चाहे अयोध्या का राम मंदिर हो, या काशी विश्वनाथ कॉरिडोर या फिर महाकाल कॉरिडोर. राष्ट्र की ये धरोहर आज राष्ट्र और दुनिया के नक्शे में एक छाप छोड़ रही हैं. भव्य राम मंदिर का उद्घाटन 22 जनवरी को होने वाला है. दुनिया के लिए अयोध्या का ये राम मंदिर एक उदाहरण बनने जा रहा है.

पीएम के लिए मथुरा का महत्व
श्रीकृष्ण जन्मस्थान और शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी में चल रहे टकराव के बीच उनका ये दौरा अहम बताया जा रहा है. पीएम मोदी मोदी का मथुरा से अलग तरह का रिश्ता रहा है. पीएम बनने के बाद मोदी का ये चौथा मथुरा दौरा होगा. प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी पहली बार 2015 में मथुरा गए थे. प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी पहली बार मथुरा 25 मई 2015 को गए थे. तब वह पंडित दीनदयाल उपाध्याय के पैतृक गांव नगला चंद्रभान (दीनदयाल धाम) में अपनी गवर्नमेंट के एक वर्ष पूरे होने पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए थे. इसके बाद प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी फरवरी 2019 में वृंदावन के अक्षय पात्र फाउंडेशन में आए थे. प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी सितंबर 2019 में एक बार फिर मथुरा के दौरे पर गए थे, उस समय वह वेटेनरी यूनिवर्सिटी के एक कार्यक्रम में गए थे. इन दौरों में प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने धर्मनगरी में किसी मंदिर में दर्शन नहीं किए. अब चौथे दौरे में श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर दर्शन प्रस्तावित है.

अयोध्या, काशी और अब मथुरा
काशी में बाबा विश्वनाथ का दिव्य धाम बनने और अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर में विराजमान होने के बाद प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी का मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान का विकास अगला लक्ष्य होगा. हालांकि मुद्दा अभी न्यायालय में है, लेकिन राह को सरल बनाने के लिए पीएम प्रतिबद्ध दिख रहे हैं. टकराव और मुद्दा न्यायालय में होने के बावजूद प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी का वहां जाना उनकी प्रतिबद्धता को बताता है.

राम जन्मभूमि अयोध्या में राम लला के भव्यतम और दिव्यतम मंदिर का सदियों पुराना सपना प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में साकार हो रहा है. अगले वर्ष श्रद्धालु-भक्तगण मंदिर में वकायदा दर्शन कर पाएंगे. बाबा विश्वनाथ की नगरी में काशी कॉरिडोर और महाकाल की नगरी उज्जैन में महाकाल लोक में दर्शन कर शिवभक्त अभिभूत हो ही रहे हैं. काशी कॉरिडोर की तर्ज पर अब बारी मथुरा की है. मोदी-योगी गवर्नमेंट ने मिलकर यहां पांच सौ करोड़ से अधिक की लागत से देश-विदेश में विख्यात बांके बिहारी मंदिर के लिए कॉरिडोर बनाने जा रही है. ब्रज तीर्थ विकास परिषद ने कार्य योजना की विस्तृत रूपरेखा सीएम योगी आदित्यनाथ के सामने पेश की है. इस कॉरिडोर में चार और प्राचीन मंदिरों को शामिल किया जाएगा. 22,800 वर्ग मीटर में प्रस्तावित इस कॉरिडोर से बांके बिहारी के दर्शन में कम समय लगेगा. भीड़ प्रबंधन में सहूलियत होगी. अभी एक बार में 800 श्रद्धालु ही दर्शन कर पाते हैं.

एक साथ 5 हजार श्रद्धालु कर पाएंगे दर्शन
मथुरा-वृंदावन से लेकर गोकुल-नंदगांव और गोवर्धन-बरसाना तक लाखों श्रद्धालु हर वर्ष दर्शनार्थ यहां आते हैं. बीते वर्ष जन्माष्टमी पर भक्तों की बहुत भारी भीड़ के चलते बांके बिहारी मंदिर में दो श्रद्धालुओं की मृत्यु हो गई थी. योगी गवर्नमेंट अब यहां काशी की तर्ज पर विशाल कॉरिडोर बनाने जा रही है. ताकि लोगों को ईश्वर के दर्शन में कठिनाई का सामना न करना पड़े. राज्य गवर्नमेंट के निर्देश पर ऑफिसरों ने कॉरिडोर की योजना बना ली है. सीएम योगी आदित्यनाथ ने इसमें कुछ और सुधार के निर्देश दिए हैं. इस सुधार के बाद जल्द ही इस योजना को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सामने भी रखा जाएगा. योगी गवर्नमेंट की प्रयास है कि इसी साल दीवाली से पहले कॉरिडोर के निर्माण का शुरुआत हो जाए. कॉरिडोर बनने के बाद यह क्षमता बढ़कर 5 हजार हो जाएगी.

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