Karpoori Thakur Bihar: बिहार के कद्दावर नेता और दो बारे सीएम रहे कर्पूरी ठाकुर के लिए मोदी गवर्नमेंट ने हिंदुस्तान रत्न का घोषणा किया है। कर्पूरी ठाकुर की जन्म जयंती से एक दिन पहले यह घोषणा केंद्र गवर्नमेंट मास्टर स्ट्रोक बताया जा रहा है। कर्पूरी ठाकुर हिंदुस्तान के एक प्रशिक्षित स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षक, राजनीतिज्ञ और बिहार राज्य के दूसरे उपमुख्यमंत्री और दो बार सीएम रह चुके हैं। लोकप्रियता के कारण उन्हें जन-नायक बोला जाता था।
कर्पूरी ठाकुर बिहार के बहुत लोकप्रिय और निष्ठावान नेता थे। वे गरीबों और पिछड़ों के उत्थान के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वे बिहार के दो बार सीएम बने और उन्हें कभी भी चुनाव हारना नहीं पड़ा। कर्पूरी ठाकुर ने हिंदुस्तान छोड़ो आंदोलन में एक्टिव रूप से भाग लिया। इस आंदोलन के दौरान उन्हें 26 महीने कारावास में रहना पड़ा। कारावास से छूटने के बाद उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया।
कर्पूरी ठाकुर की सियासी यात्रा
कर्पूरी ठाकुर ने अपने सियासी जीवन की आरंभ कांग्रेस पार्टी पार्टी से की। वे 1952 में पहली बार बिहार विधानसभा के सदस्य चुने गए। 1967 में वे बिहार के शिक्षा मंत्री बने। 1970 में वे बिहार के सीएम बने। उनके सीएम रहते हुए बिहार में कई जरूरी सुधार हुए, जिनमें से एक था गरीबों और पिछड़ों के लिए आरक्षण का प्रावधान करना। 1977 में वे फिर से बिहार के सीएम बने। उनके दूसरे कार्यकाल में भी उन्होंने कई जरूरी सुधार किए, जिनमें से एक था बिहार में खाद्यान्न का राशन प्रणाली लागू करना।
भारत छोड़ो आन्दोलन से प्रारम्भ हुआ करियर
कर्पूरी ठाकुर का जन्म हिंदुस्तान में ब्रिटिश शासन काल के दौरान समस्तीपुर के एक गांव पितौंझिया, जिसे अब कर्पूरीग्राम बोला जाता है, में नाई जाति में हुआ था। जननायक जी के पिताजी का नाम श्री गोकुल ठाकुर तथा माता जी का नाम श्रीमती रामदुलारी देवी था। इनके पिता गांव के सीमांत किसान थे तथा अपने पारंपरिक पेशा नाई का काम करते थे। हिंदुस्तान छोड़ो आन्दोलन के समय उन्होंने २६ महीने कारावास में बिताए थे। कर्पूरी ठाकुर का मृत्यु 17 फरवरी, 1988 को पटना में हुआ था। उन्हें बिहार के इतिहास के सबसे लोकप्रिय और सफल नेताओं में से एक माना जाता है।