विधायक रफीकुल इस्लाम ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा…
‘संविधान में मिले अधिकार को नहीं हटा सकती सरकार’
एआईयूडीएफ के विधायक डाक्टर रफीकुल इस्लाम ने राज्य गवर्नमेंट के मुसलमान शादी एवं तलाक पंजीकरण कानून समाप्त करने के निर्णय पर बोला कि ‘इस गवर्नमेंट में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने की हौसला ही नहीं है। वे ऐसा कर ही नहीं सकते। ये उत्तराखंड में जो लाए हैं, वह यूसीसी नहीं है। ये असम में भी यूसीसी लाने की प्रयास कर रहे हैं, लेकिन मुझे लगता है कि वे असम में ऐसा नहीं कर सकते क्योंकि असम में विभिन्न जातियों और समुदायों के लोग रहते हैं। बीजेपी समर्थक स्वयं इन प्रथाओं का पालन करते हैं। चुनाव आ रहे हैं…और ये केवल मुस्लिमों को निशाना बनाने की रणनीति है। इसलिए ये मुसलमान शादी एवं तलाक पंजीकरण कानून हटा रहे हैं। असम कैबिनेट के पास अधिकार ही नहीं है कि वे संविधान में मिले अधिकार में संशोधन कर सकें।’
कांग्रेस का आरोप- ये पक्षपातपूर्ण फैसला
कांग्रेस नेता राशिद मंडल ने गवर्नमेंट के निर्णय पर बोला कि ‘मैं अभी तक इसे विस्तार से नहीं देख पाया हूं, लेकिन यह एक पक्षपातपूर्ण निर्णय है। गवर्नमेंट यूसीसी की बात कर रही है और बहुविवाह पर प्रतिबंध की बात कर रही है, लेकिन गवर्नमेंट ऐसा करने में असफल रहेगी। चुनाव से पहले ये हिंदू मतदाताओं को बीजेपी के पक्ष में लामबंद करने की प्रयास कर रही है। गवर्नमेंट का बोलना है कि ये (मुस्लिम शादी एवं तलाक पंजीकरण) कानून अंग्रेजी शासनकाल का है और इससे बाल शादी पर रोक लगेगी, लेकिन ये तथ्य नहीं है। ये कानून केवल मुस्लिमों की शादियों को दर्ज़ करने के लिए है और यह हिंदुस्तान के संविधान के अनुरूप है। यह मुस्लिमों का पर्सनल लॉ है, जिसे हटाया नहीं जा सकता। हम अपनी पार्टी के नेताओं से चर्चा के बाद इस मुद्दे पर अपनी बात रखेंगे।’