बालासोर ट्रेन हादसे के 4 महीने बाद पड़ी लावारिस 28 शवों के अंतिम संस्कार आज हुयी पूरी
ओडिशा के बालासोर जिले में हुए ट्रेन हादसे में कई लोगों की जान चली गई। मरने वालों में कुछ ऐसे मृतशरीर भी थे जिनकी पहचान हादसे के 4 महीने बाद भी नहीं हो पाई है। ऐसे में लावारिस पड़े इन 28 शवों के आखिरी संस्कार की प्रक्रिया अब आज पूरी हो गई है। इस बीच, बीएमसी मेयर सुलोचना दास ने बोला कि भुवनेश्वर नगर निगम द्वारा लावारिस शवों के दाह संस्कार का काम मंगलवार से प्रारम्भ किया गया था जो आज सुबह तक पूरा हो गया है।
इस बारे में जानकारी देते हुए बीएमसी मेयर ने बोला कि स्त्री स्वयंसेवकों ने आखिरी संस्कार की प्रक्रिया में आगे बढ़ कर परंपराओं को तोड़ा और भरतपुर श्मशान घाट में चिताओं को आग लगा दी। मेयर ने बोला कि स्त्रियों को यह भी नहीं पता था कि मृतक किस धर्म के थे और वे महिलाएं थीं या पुरुष। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ये मृतशरीर पिछले 4 महीने से डीप फ्रीजर कंटेनर में रखे हुए थे।
महिलाओं ने आखिरी संस्कार किया
पहले तीन शवों का आखिरी संस्कार मधुस्मिता प्रस्टी, स्मिता मोहंती और स्वागतिका राव ने किया। महिलाओं का बोलना था कि वे अपनी मर्जी से आखिरी संस्कार में शामिल होने आई हैं। वे नहीं जानते कि जिस आदमी की चिता में वे आग लगा रहे हैं वह कौन है और किस धर्म का है। इन लोगों ने बोला कि मृतक चाहे कोई भी हो, लेकिन आदमी होने के नाते उसे सम्मानपूर्वक विदाई देना महत्वपूर्ण है।
सारी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी कराई गई
अंतिम संस्कार से पहले नगर निगम की ओर से सारी तैयारियां की गईं। पानी में उनकी हड्डियों के टुकड़े खोदकर निकालने के लिए एक एनजीओ को नियुक्त किया गया। बीएमसी के एक अधिकारी के मुताबिक, लावारिस शवों को दाह संस्कार के लिए सौंपने की पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की गई है।
बालासोर ट्रेन हादसे में 297 लोगों की मृत्यु हो गई
2 जून को बालासोर जिले में शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस, बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी की भिड़न्त हो गई थी। इस तिहरे हादसे में 297 लोगों की मृत्यु हो गई। हादसे की जांच अभी CBI कर रही है।