जाने महुआ मोइत्रा ने निष्कासित होने के बाद क्या कहा…
Cash For Query Case: महुआ मोइत्रा चर्चा में हैं। कारण।। कैश फॉर क्वेरी मुद्दे में सांसदी चली गई है। यह गाज शुक्रवार को ही गिरी है। लोकसभा ने यह गाज तब गिराई है जब सदन की एथिक्स कमेटी ने उस रिपोर्ट को स्वीकृति दे दी है जिसमें मोइत्रा को निष्कासित करने की सिफारिश की गई थी। इस घटना के बाद राजनीति गरम हो गई है। अब वैसे महुआ मोइत्रा संसद सदस्य नहीं रह गई हैं, ऐसे में प्रश्न है कि उनके पास क्या विकल्प बचे हैं। वे क्या कर सकती हैं। हालांकि सांसदी जाते ही उन्होंने संसद भवन के बाहर प्रदर्शन भी किया। इस दौरान महुआ ने बोला कि एथिक्स कमेटी के पास निष्कासित करने का कोई अधिकार नहीं है। उनकी पार्टी यानी तृण मूल काँग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने बोला कि यह लोकतंत्र के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है और लोकतंत्र को विश्वासघात दिया गया है।
निष्कासित होने के बाद क्या कहा?
हालांकि यह कोई पहली बार नहीं हुआ है कि किसी सांसद की सदस्यता को रद्द कर दिया गया लेकिन महुआ मोइत्रा के मुद्दे में हंगामा मचा हुआ है। इससे पहले भी कैश फॉर क्वेरी से जुड़ा मुद्दा आया था जब एक साथ 11 सांसदों की सदस्यता रद्द कर दी गई थी। यह मुद्दा 2005 में हुआ था जब लोकसभा के 10 और राज्यसभा के एक सांसद की सदस्यता रद्द हुई थी। अब महुआ मोइत्रा भी सांसद नहीं रहीं और अब वे क्या कर सकती हैं। यह समझना महत्वपूर्ण है क्योंकि अगले ही वर्ष लोकसभा के चुनाव होने हैं। उनके पास एक विकल्प यह भी खुला है कि वे फिर से चुनाव जीतकर संसद में पहुंच जाएं।
क्या हैं महुआ के पास विकल्प
फौरी तौर पर महुआ मोइत्रा के पास तीन विकल्प खुले हैं। वे इस निर्णय के पुनर्विचार के लिए फिर से संसद से निवेदन कर सकती हैं। लेकिन फिर यह संसद के ऊपर निर्भर करेगा कि इस पर पुनर्विचार होगा या नहीं। हालांकि इसकी बहुत कम आसार है कि महुआ मोइत्रा निवेदन करेंगी। दूसरा रास्ता यह हो सकता है कि वे उच्चतम न्यायालय का रुख कर सकती हैं और मौलिक अधिकारों को लेकर याचिका दाखिल कर सकती हैं। जबकि तीसरा विकल्प उनके पास वही है कि वे निर्णय को स्वीकार करें और अगले लोकसभा चुनाव में जीतकर फिर से संसद में वापसी करें।
कई इल्जाम भी लगा दिए
अब देखना होगा कि महुआ मोइत्रा का विकल्प अपनाती हैं। हालांकि निर्णय के बाद वे गवर्नमेंट पर काफी नाराज नजर आईं हैं और उन्होंने कई तीखी टिप्पणियां भी की हैं। महुआ ने बोला कि मुझे उस आचार संहिता के उल्लंघन का गुनेहगार पाया गया है, जो अस्तित्व में ही नहीं है। एथिक्स कमेटी मुझे उस बात की सजा दे रही है, जो लोकसभा में सामान्य और स्वीकृत है। साथ ही जिसे प्रोत्साहित किया गया है। उन्होंने यह भी बोला कि कैश या गिफ्ट का कोई सबूत नहीं है। एथिक्स कमेटी ने मामले की जड़ तक पहुंचे बिना मुझे गुनेहगार ठहराने का निर्णय किया है।