जानिए अर्थशास्त्र पढ़ाने से लेकर देश का सबसे बड़े अर्थशास्त्री बनने के मनमोहन सिंह के इस सफर के बारे में…
आज यानी की 26 सितंबर को राष्ट्र के पूर्व पीएम मनमोहन सिंह अपना 91वां जन्मदिन इंकार रहे हैं। बता दें कि अविभाजित हिंदुस्तान में 26 सितंबर 1932 में डॉ मनमोहन सिंह का जन्म हुआ था। वह दो बार राष्ट्र के पीएम पद की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। हालांकि वर्तमान समय में मनमोहन सिंह को सार्वजनिक मंचों पर कम ही देखा जाता है। हाल ही में राज्यसभा में संसद में पेश हुए अविश्वास प्रस्ताव की वोटिंग प्रक्रिया के दौरान व्हील चेयर पर देखा गया था। मनमोहन सिंह द्वारा निभाए गए दायित्वों की लोगों ने काफी सराहा था। आइए जानते हैं उनके जन्मदिन के मौके पर अर्थशास्त्र पढ़ाने से लेकर राष्ट्र का सबसे बड़े अर्थशास्त्री बनने के मनमोहन सिंह के इस यात्रा के बारे में…
अर्थव्यवस्था को मिली रफ्तार
साल 2004 से 2014 तक डॉ मनमोहन सिंह यूपीए गवर्नमेंट में बतौर पीएम पद पर कार्यरत रहे। इससे पहले वर्ष 1991 में वह राष्ट्र के वित्त मंत्री भी रह चुके हैं। उस दौरान नरसिम्हा राव की गवर्नमेंट थी। जानकारों के अनुसार, राष्ट्र में हुए आर्थिक सुधारों में डॉ मनमोहन सिंह ने अहम रोल निभाया था। बजट पेश करने के दौरान उन्होंने उदारीकरण, वैश्विकरण और निजीकरण जैसी कई अहम घोषणाएं कीं, जिससे राष्ट्र की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलने के साथ रफ्तार मिली। इन्हीं घोषणाओं के कारण राष्ट्र में औद्योगिक लाइसेंसिंग, बैंकिंग सेक्टर और व्यापार नीति में काफी तरक्की हुई। बता दें कि वर्तमान समय में भी डॉ मनमोहन सिंह राज्यसभा सांसद हैं।
अर्थशास्त्र में पीएचडी
पंजाब यूनिवर्सिटी से 10वीं की परीक्षा पास करने के बाद मनमोहन सिंह आगे की पढ़ाई के लिए विदेश चले गए थे। वर्ष 1957 में मनमोहन सिंह ने ब्रिटेन की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में ग्रेजुएट किया। वह प्रथम श्रेणी में पास हुए। इसके बाद वर्ष 1962 में उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के नूफील्ड कॉलेज से अर्थशास्त्र में पीएचडी की डिग्री हासिल की।
अर्थशास्त्र के शिक्षक
विदेश में पीएचडी पूरी होने के बाद मनमोहन सिंह को चिकित्सक की उपाधि मिली। फिर उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी और दिल्ली विद्यालय ऑफ इकोनॉमिक्स में बतौर शिक्षक अर्थशास्त्र पढ़ाया। कहा जाता है कि शिक्षक के तौर पर मनमोहन सिंह को स्टूडेंट्स काफी अधिक पसंद करते थे। इसके बाद जिनेवा में दक्षिण आयोग में महासचिव के रूप में भी डॉ मनमोहन सिंह को नियुक्त किया गया।
इसके अतिरिक्त वर्ष 1971 में डॉ मनमोहन सिंह को वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के तौर पर नियुक्त किय़ा गया। वहीं वर्ष 1972 में वह वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार भी रह चुके हैं। फिर वह रिजर्व बैंक के गवर्नर, पीएम के आर्थिक सलाहकार और यूनिवर्सिटी आर्थिक सहायता आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष और योजना आयोग के अध्यक्ष भी रहे।
राजनीतिक यात्रा की शुरूआत
साल 1991 में उन्हें असम का राज्यसभा सदस्य चुना गया। फिर वर्ष 1995, 2001, 2007 और 2013 में वह राज्य़सभा सांसद रहे। वहीं वर्ष 1998 से लेकर वर्ष 2004 में जब भाजपा गवर्नमेंट सत्ता में थी, तो उस दौरान डॉ मनमोहन सिंह राज्यसभा में विपक्ष के नेता थे। वर्ष 1999 में डॉ सिंह ने दक्षिणी दिल्ली से चुनाव लड़ा, लेकिन इस दौरान उनको हार का सामना करना पड़ा। हालांकि वर्ष 2004 में जब कांग्रेस पार्टी ने सत्ता में वापसी की तो डॉ मनमोहन सिंह को पीएम बनाया गया। वर्ष 2009 में कांग्रेस पार्टी के दोबारा सत्ता में वापसी करने पर भी डॉ मनमोहन सिंह को पीएम बनाया गया।
सम्मान
डॉ मनमोहन सिंह को वर्ष 1987 में हिंदुस्तान दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पद्म विभूषण ने सम्मानित किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त वर्ष 1993 में उन्हें सर्वश्रेष्ठ वित्त मंत्री के लिए यूरो मनी अवॉर्ड मिल चुका है। बता दें कि कैम्ब्रिज और ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटीज सहित कई विश्वविद्यालयों की तरफ से डॉ मनमोहन सिंह को मानद उपाधियां प्रदान की गई हैं।