नई दिल्ली। पहली अगस्त को गैंगस्टर सचिन विश्नोई को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने अज़रबैजान से हिंदुस्तान प्रत्यर्पित किया था। यह लॉरेंस बिश्नोई गैंग का प्रमुख सदस्य है और पिछले कई महीनों से खुफिया सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर था। विदेश में रह रहे खालिस्तानी आतंकवादी नेटवर्क को समाप्त करने के लिए गृह मंत्री अमित शाह स्वयं इस मुद्दे की नज़र कर रहे थे, जिसके बाद एक मल्टी एजेंसी टीम का गठन हुआ। इस टीम में विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय, कानून मंत्रालय आईबी, रॉ और दिल्ली पुलिस की टीम शामिल थी। लगातार अजरबैजान की गवर्नमेंट से संपर्क किया जा रहा था, जिसके डिटेंशन में सचिन विश्नोई था।
भारत गवर्नमेंट की ओर से बकायदा ट्रांसलेटर हायर किए गए, जिन्होंने हिंदुस्तान गवर्नमेंट का पक्ष अजरबैजान की न्यायालय में रखा। वहां की न्यायालय के आदेश के बाद इस कुख्यात गैंगस्टर को हिंदुस्तान में लाया गया। ठीक इसी ढंग से करीब आधा दर्जन ऐसे गैंगस्टर हैं, जो कनाडा, अमेरिका, जर्मनी, मलेशिया में रह रहे हैं और इसी तर्ज पर मल्टी एजेंसी टीम के कोशिश पर जल्द ही हिंदुस्तान लाए जाएंगे। इन गैंगस्टरों में गोल्डी बरार, अर्श डल्ला, गुरपतवंत सिंह पन्नू प्रमुख हैं, जो विदेशों में बैठकर पंजाब और हरियाणा में वसूली और अवैध गतिविधियों का कारोबार चलाते हैं। आतंकवादी डल्ला जो कि कनाडा में रह रहा है और हिंदुस्तान गवर्नमेंट ने इसे आतंकवादी भी घोषित कर रखा है, अमरीक सिंह फिलीपींस, गोल्डी बरार अमेरिका, गुरपतवंत सिंह पन्नू कनाडा, अमेरिका।। ये ऐसे आतंकवादी हैं, जो भारतीय एजेंसियों के निशाने पर हैं। इनको हिंदुस्तान प्रत्यर्पित करना है क्योंकि ये विदेशी सरजमीं पर हिंदुस्तान के हितों के विरुद्ध काम कर रहे हैं। सचिन बिश्नोई मुकदमा की तर्ज पर कनाडा, फिलीपींस और अमेरिका में ऐसे सीक्रेट अभियान की आरंभ हो चुकी है।। इस मल्टी एजेंसी ऑपरेशन में हर गैंगस्टर और इसके राष्ट्र को चिन्हित कर लिया गया है और वहां की अदालतों में हिंदुस्तान की ओर से महत्वपूर्ण कानूनी आवेदन किए जा चुके हैं। इस कवायद से भारतीय एजेंसियों को आशा है कि जल्द ही आनेवाले कुछ दिनों में और भी राष्ट्र के शत्रु हिंदुस्तान में होंगे।
गृह मंत्री अमित शाह की पहल पर चलाए जा रहे विदेश में बैठे भारतीय दुश्मनों का एक और पहलू यह भी है कि हाल के दिनों में जो हिंसक प्रदर्शन हुए हैं चाहे वह अमेरिका कनाडा या फिर ब्रिटेन हो उनके ऊपर भी दोहरा प्रहार किया गया है। एक ओर तो नेशनल इन्वेस्टिगेटिव एजेंसी ने अपनी जांच से प्रारम्भ कर दी है। स्वयं एनआईए की टीम विदेश जाकर वहां की गवर्नमेंट से संपर्क साध रही है और एक मजबूत कानूनी आधार राष्ट्र विरोधी तत्वों के विरुद्ध तैयार कर रही है, जो विदेश में बसे हैं। गृहमंत्री अमित शाह की इस रणनीति का दूसरा पहलू यह भी है कि विदेश में उपस्थित खालिस्तानी अलगाववादी आतंकवादियों के हिंदुस्तान में एक्टिव नजदीकियों पर केन्द्रीय जांच एजेंसिया अपना शिकंजा पूरी ढंग से कस रही हैं। गृहमंत्री अमित शाह के प्रहार ने इनके पूरे नेटवर्क को निष्क्रिय करना प्रारम्भ कर दिया है। इसी कड़ी में पंजाब में इनके 30 से अधिक करीबियों पर छापेमारी के बाद करीब आधा दर्जन लोगों पर एफआईआर भी दर्ज की जाएगी केन्द्रीय जांच एजेंसियों द्वारा ब्रिटेन में भारतीय उच्चायोग के सामने हिंसक प्रदर्शन, सैन फ्रांसिस्को अमेरिका और सरे कनाडा में भारतीय संस्थान के सामने आगजनी की घटना में खुले तौर पर खालिस्तानी अलगाववादी आतंकवादी का हाथ था। एक और तो विदेश में भारतीय जांच एजेंसी एनआईए इस सिलसिले में उनके ऊपर अपना शिकंजा कस रही है। लंदन में जो प्रदर्शन हुआ था उस सिलसिले में एनआईए अपनी जांच कर रही है और जल्द ही कनाडा और अमेरिका में हुए प्रदर्शन के मुद्दे में भी अपनी जांच प्रारम्भ करेगी लेकिन इसके साथ ही सबसे जरूरी बात है कि हिंदुस्तान में इन राष्ट्र विरोधी तत्वों के जो सहयोगी उपस्थित हैं अब इनके विरुद्ध भी कठोर से कठोर कार्रवाई होगी। पंजाब में 30 से अधिक ऐसे सहयोगियों की पहचान की गई है, जो विदेश में रह रहे खालिस्तानी अलगाववादी आतंकवादियों की लगातार सहायता करते हैं और उनकी एजेंडे को हिंदुस्तान में चलाते हैं। इनमें से ऐसे 6 विरुद्ध जल्द ही केंद्रीय जांच एजेंसी मुद्दा दर्ज कर अपनी तफ्तीश प्रारम्भ करेंगी।
जिन प्रमुख खालिस्तानी आतंकी अलगाववादियों के सहयोगी हिंदुस्तान में एक्टिव हैं, वह है गुरपतवंत सिंह पन्नू, अर्शदीप डल्ला, कनाडा में मारा जा चुका हरदीप सिंह निज्जर और आतंकवादी लांडा।। पटियाला तरनतारन, अमृतसर, मोहाली, गुरदासपुर में यह सहयोगी रह रहे हैं और भारतीय हितों को हानि पहुंचाने की पूरी प्रयास कर रहे हैं। इसमें लोगों की भीड़ इकट्ठा करना पोस्टर लगाना और बाहर से आए मैसेज को लोकल ग्रुप में वायरल करना शामिल है। अमृतपाल के प्रदर्शन के दौरान से ही क्षेत्रीय पुलिस की ऐसे लोगों पर नजर थी लेकिन ऐसा पहली बार है जब केंद्रीय एजेंसियों ने भी इन नामों की बकायदा पहचान कर ली है और जल्द ही इनके विरुद्ध मुद्दा दर्ज कर एक विस्तृत तफ्तीश प्रारम्भ होगी ताकि गृह मंत्री अमित शाह के प्रहार से पूरी ढंग से खालिस्तान अलगाववाद आतंकवाद की जड़ समाप्त हो जाए।
दिल्ली पुलिस के पूर्व डीसीपी एल एन राव का मानना है कि यह एक आक्रामक रणनीति है और भारतीय हितों को साथ में बहुत ही कारगर साबित होगी। पिछले 6 महीनों में पांच प्रमुख गैंगस्टर जो विदेश से हिंदुस्तान आए हैं, वह इस बात के गवाह हैं कि किस कारगर ढंग से यह रणनीति काम कर रही है। वहीं, उच्चतम न्यायालय के वकील पारंगत पांडेय का बोलना है मल्टी एजेंसी टीम इन गैंगस्टरों को वापस लाने में बहुत ही अधिक कारगर साबित होगी क्योंकि अक्सर विदेशी अदालतों में भारतीय एजेंसियों को वहां के कानून के अनुसार अपना मुकदमा न्यायालय में पेश करना होता है। हाल के दिनों में भारतीय दलीलें इन विदेशी अदालतों में पुख्ता रिसर्च और तैयारी के साथ पेश की गई है। पारंगत पांडेय का यह भी बोलना है गृह मंत्री अमित शाह की प्रतिनिधित्व में मल्टी एजेंसी टीम के अनुसार हिंदुस्तान गवर्नमेंट की इस मजबूत पैरवी का ही नतीजा है कि यह गैंगस्टर लगातार वापस लाए जा रहे हैं हिंदुस्तान में।
गैंगस्टर, आतंकवादियों के सहयोगियों के विरुद्ध हिंदुस्तान में कार्रवाई के अतिरिक्त इस पूरे नेटवर्क से जुड़े लोगों की भारतीय नागरिकता उनके पासपोर्ट और उनकी हर बारीक मूवमेंट पर नजर रखी जा रही है ताकि जैसे ही ये कोई कदम विदेश में बैठे आकाओं की सहायता करने के लिए उठाएं, तुरंत खुफिया सुरक्षा एजेंसियों को इसकी जानकारी मिले और इनके विरुद्ध कार्रवाई का सिलसिला तुरंत प्रारम्भ हो। संसद में भी गृहमंत्री अमित शाह ने इन गैंगस्टर आतंकवादी गठजोड़ के विरुद्ध हिंदुस्तान गवर्नमेंट की कड़ी कार्रवाई का जिक्र किया था और अब इसके नतीजे भी दिखने प्रारम्भ हो गए हैं। आशा की जा रही है कि आने वाले दिनों में अधिक से अधिक राष्ट्र विरोधी तत्व हिंदुस्तान में आएंगे और हिंदुस्तान के कानून के अनुसार इनको इनके किए की सजा मिलेगी
।