राष्ट्रीय

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को आम बजट करेंगी पेश

नया साल प्रारम्भ होने के साथ ही राष्ट्र के बजट को लेकर चर्चाएं प्रारम्भ हो जाती हैं हर वर्ष 1 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा आनें वाले वित्त साल के लिए राष्ट्र का बजट (Budget 2024) पेश किया जाता है इस बार भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) 1 फरवरी को आम बजट पेश करेंगी लेकिन यह वर्ष अलग है इस वर्ष राष्ट्र में आम चुनाव (General Elections) होने जा रहे हैं आमतौर पर जब आम चुनाव होते हैं, तो अंतरिम बजट पेश किया जाता है इसके बाद जब नयी गवर्नमेंट आती है, तो उसकी पूर्ण बजट पेश करने की जिम्मेदारी होती है लेकिन इस बार वित्त मंत्री अंतरिम बजट पेश नहीं करेंगी इस बार वे वोट ऑन एकाउंट (Vote on Account Budget)  लेकर आएंगे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बोला है कि इस बार का बजट वोट ऑन एकाउंट होगा उन्होंने कहा है कि इस बार के बजट में बहुत बड़े घोषणा नहीं होंगे आइए जानते हैं कि यह क्या होता है और यह अंतरिम बजट से कैसे अलग है

आखिर वोट ऑन एकाउंट होता क्या है?

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 116 के मुताबिक, वोट ऑन एकाउंट या लेखानुदान नया वित्त साल प्रारम्भ होने तक अल्पकालिक व्यय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए हिंदुस्तान की संचित निधि से गवर्नमेंट को एक अग्रिम आर्थिक सहायता होता है भारतीय संविधान के अनुच्छेद 266 में कंसोलिडेटेड फंड ऑफ इण्डिया के बारे में जानकारी दी गई है केंद्र गवर्नमेंट के पास आया सारा रेवेन्यू यहां पर ही स्टोर होता है इस रेवेन्यू में टैक्स, लोन पर ब्याज और स्टेट टैक्सेस का एक हिस्सा शामिल होता है कानून के मुताबिक, कंसोलिडेटेड फंड को केंद्रीय बजट के दौरान हर वर्ष केंद्र गवर्नमेंट की अनुमति और एप्रोप्रिएशन अंडरटेकन बाय लो के अतिरिक्त निकाला नहीं जा सकता है

अंतरिम बजट से कैसे अलग है यह

अब आप जानना चाहेंगे कि अंतरिम बजट और वोट ऑन एकाउंट में क्या फर्क होता है अंतरिम बजट में केंद्र गवर्नमेंट खर्च के साथ-साथ आमदनी का ब्यौरा भी पेश करती है अंतरिम बजट में राजस्व, राजकोषीय घाटा, खर्च, फाइनेंशियल परफॉर्मेंस और आनें वाले महीनों के लिए अनुमान शामिल होते हैं उधर वोट ऑन एकाउंट में सिर्फ़ गवर्नमेंट के खर्चों की जानकारी पेश की जाती है इसमें गवर्नमेंट की आमदनी के बारे में नहीं कहा जाता है अब दोनों की समानताओं की बात करें, तो दोनों में ही बड़ी नीतिगत घोषणाएं नहीं होती हैं अंतरिम बजट और वोट ऑन एकाउंट दोनों ही कुछ महीनों के लिए होते हैं

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