देवड़ा : अगर उद्धव गुट ने दक्षिण मुंबई सीट पर दावा करना बंद नहीं किया तो…
मुंबई: महाविकास अघाड़ी में सीटों को लेकर कांग्रेस पार्टी और उद्धव गुट के बीच तलवारें खिंच गई हैं। इससे पहले कांग्रेस पार्टी ने 22 सीटों पर उद्धव गुट के दावे को खारिज कर दिया था। अब कांग्रेस पार्टी नेता मिलिंद देवड़ा ने उद्धव गुट को चेतावनी दी है कि यदि उन्होंने दक्षिण मुंबई सीट पर दावा करना बंद नहीं किया तो कांग्रेस पार्टी भी अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर देगी। उन्होंने यह भी बोला कि आनें वाले लोकसभा चुनाव महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन के लिए सरल नहीं होगा और इसलिए किसी को भी इस तरह के दावे या प्रतिदावे नहीं करने चाहिए।
– पिछले चुनाव में मिलिंद देवड़ा के शिवसेना से हारने के बाद इस सीट को बरकरार रखने की उद्धव गुट की जिद के कारण विवाद हुआ।
महाविकास अघाड़ी के घटक दलों में से एक शिवसेना यूबीटी दक्षिण मुंबई सीट पर एकतरफा दावा कर रही है। तो स्वाभाविक है कि हमारी चिंता बढ़ जाती है। मिलिंद देवड़ा ने शिवसेना (यूबीटी) का नाम लिए बिना आगे बोला कि वह कोई टकराव पैदा नहीं करना चाहते हैं। लेकिन यदि कोई पार्टी सीट बंटवारे पर औपचारिक वार्ता समाप्त होने तक प्रतीक्षा करने को तैयार नहीं है, तो कांग्रेस पार्टी भी दावा पेश करेगी और उम्मीदवार की घोषणा करेगी। मुझे आशा है कि यह संदेश मुंबई और दिल्ली के जरूरी लोगों तक पहुंचेगा। इसलिए मैं सभी से इस मुद्दे में संयम रखने की अपील करता हूं।’
गौरतलब है कि कल गिरगांव में हुई बैठक में ठाकरे गुट ने एक बार फिर दक्षिण मुंबई लोकसभा सीट के लिए दावा किया है। दक्षिण मुंबई लोकसभा क्षेत्र पिछले 50 वर्ष से कांग्रेस पार्टी के पास है और देवड़ा परिवार इस सीट से चुनाव लड़ता रहा है। हालांकि, मिलिंद देवड़ा पिछले लोकसभा चुनाव में तत्कालीन अविभाजित शिवसेना के अरविंद सावंत से हार गए थे।
वारा ने बोला कि अघाड़ी घटक दल के माध्यम से इस बैठक में आने के बाद उन्हें अपने समर्थकों और पार्टी नेताओं से कई टेलीफोन कॉल आए हैं। सभी एकतरफ़ापन के ख़िलाफ़ चिंता व्यक्त कर रहे हैं।
दक्षिण मुंबई सीट उद्धव गुट के लिए प्रतिष्ठा का विषय है। फिलहाल मुंबई में पार्टी के पास यही एकमात्र सीट है। उद्धव नहीं चाहते कि यह सीट भाजपा के पास जाए। उनका मानना है कि अघाड़ी की संयुक्त ताकत से इस सीट पर भाजपा को हराया जा सकता है। हालांकि, अब सीटों के मामले पर उद्धव गुट और कांग्रेस पार्टी के बीच गंभीर मतभेद हैं, यदि सीट समझौता हो भी गया तो उसके कागजों तक ही सीमित रहने की आसार है।