राष्ट्रीय

दिल्ली हाईकोर्ट ने सिविल सेवा पेपर लीक मामले में पंजाब-हरियाणा एचसी के पूर्व रजिस्ट्रार के खिलाफ आरोपों को रखा बरकरार

 

 

नई दिल्ली. दिल्ली उच्च न्यायालय ने हरियाणा सिविल सेवा (न्यायिक शाखा) प्रारंभिक परीक्षा 2017 के पेपर लीक के मुद्दे में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व रजिस्ट्रार डाक्टर बलविंदर कुमार शर्मा के विरुद्ध आरोपों को बरकरार रखा है.

न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने बोला कि सबूत कथित लीक से ठीक पहले प्रश्नपत्र शर्मा के पास होने का संकेत देते हैं. मुद्दे की संवेदनशील प्रकृति की ओर इशारा करते हुए न्यायालय ने बोला कि जरूरी साक्ष्य मुख्य रूप से डिजिटल या दस्तावेजी हैं.

शुरू में इल्जाम 31 जनवरी 2020 को चंडीगढ़ की एक सत्र न्यायालय द्वारा तय किए गए थे, जिसे दिल्ली उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा.

2021 में उच्चतम न्यायालय ने शर्मा की याचिका के बाद मुकदमे को राष्ट्रीय राजधानी में स्थानांतरित कर दिया था. यह मुद्दा वर्तमान में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश-सह-विशेष न्यायाधीश (पीसी एक्ट/सीबीआई) राउज एवेन्यू न्यायालय की न्यायालय में लंबित है.

पेपर लीक के बाद पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा शर्मा को निलंबित कर दिया गया और रोपड़ स्थानांतरित कर दिया गया, बाद में उन्हें अरैस्ट कर लिया गया. इल्जाम पत्र में करप्शन निवारण अधिनियम, 1988 और भारतीय दंड संहिता, 1860 के अनुसार धाराएं शामिल हैं.

शर्मा की याचिका खारिज करते हुए न्यायालय ने साफ किया कि इल्जाम के चरण में आरोपी तब तक डॉक्यूमेंट्स जमा नहीं कर सकता, जब तक कि वह असाधारण रूप से बेमेल न हो.

इस मुद्दे में, न्यायालय को ऐसी कोई सामग्री नहीं मिली, जो सह-अभियुक्त सुनीता के साथ शर्मा के लगातार संचार के अभियोजन पक्ष के दावे को ठीक ठहराती हो.

डिजिटल साक्ष्य के संबंध में न्यायालय ने बोला कि ऐसे साक्ष्य से जुड़े मामलों को प्रारंभिक चरण में खारिज नहीं किया जा सकता है.

पुनरीक्षण याचिकाओं पर विचार करने में न्यायालय का क्षेत्राधिकार ट्रायल न्यायालय के आदेश में गंभीर अवैधता, दुर्बलता या विकृति के उदाहरणों तक सीमित है, जिसे न्यायालय ने इस मुद्दे में नहीं पाया.

 

Related Articles

Back to top button