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माकपा ने कहा कि हिंदू देवता के बारे में अपनी टिप्पणी के लिए माफी नहीं मांगेंगे शमसीर

विभिन्न हिंदू संगठनों और कांग्रेस पार्टी एवं बीजेपी जैसे सियासी दलों द्वारा निंदा और शमसीर से माफी मांगने के साथ-साथ विधानसभा अध्यक्ष पद से उनके इस्तीफे की मांग के बीच माकपा ने यह साफ कर दिया कि उन्होंने (शमसीर) कोई गलती नहीं की.

तिरुवनंतपुरम. केरल में सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने बुधवार को साफ किया कि विधानसभा अध्यक्ष ए एन शमसीर एक हिंदू देवता के बारे में अपनी विवादास्पद टिप्पणी के लिए माफी नहीं मांगेंगे. शमसीर के बयान को लेकर राज्य में सियासी टकराव उत्पन्न हो गया है.
विभिन्न हिंदू संगठनों और कांग्रेस पार्टी एवं बीजेपी जैसे सियासी दलों द्वारा निंदा और शमसीर से माफी मांगने के साथ-साथ विधानसभा अध्यक्ष पद से उनके इस्तीफे की मांग के बीच माकपा ने यह साफ कर दिया कि उन्होंने (शमसीर) कोई गलती नहीं की.
माकपा के प्रदेश सचिव एम वी गोविंदन ने यहां पार्टी मुख्यालय एकेजी सेंटर में एक संवाददाता सम्मेलन में बोला कि शमसीर के बयान के संबंध में किसी माफी या सुधार जारी करने की कोई जरूरत नहीं है.

उन्होंने कहा, शमसीर ने जो बोला वह पूरी तरह ठीक है.
माकपा के प्रदेश सचिव ने इस मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी के रुख की निंदा करते हुए बोला कि यह पूर्व पीएम जवाहरलाल नेहरू की शिक्षाओं के विरुद्ध है, जिन्होंने समाज में वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा दिया था. उन्होंने यह भी दावा किया कि इससे पहले कांग्रेस पार्टी नेता और सांसद शशि थरूर ने भी शमसीर जैसा ही विचार साझा किया था. गोविंदन ने कहा, ‘‘तो देखते हैं कि वी डी सतीसन (कांग्रेस नेता) को अब क्या बोलना है.’’
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सतीसन ने पहले दिन बोला था कि विधानसभा अध्यक्ष का बयान सांप्रदायिक ताकतों के लिए एक हथियार है और इसे ठीक करना बेहतर होगा.

उन्होंने बोला कि अध्यक्ष ने वह सावधानी और सतर्कता नहीं बरती जो एक कानूनी पद पर बैठे आदमी को बरतनी चाहिए थी.
उन्होंने इल्जाम लगाया कि जहां बीजेपी (भाजपा) और संघ परिवार ने शमसीर की टिप्पणी का सियासी फायदा उठाने की प्रयास की, वहीं माकपा ने भी सांप्रदायिक ताकतों की तरह ही मामले की आग को भड़काने की प्रयास की.
दोपहर में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में गोविंदन ने बोला कि वाम दल किसी भी धर्म या आस्था के विरुद्ध नहीं है और उसने हमेशा सभी आस्तिकों और नास्तिकों को एक ही समाज का हिस्सा माना है.
हालांकि,उन्होंने इल्जाम लगाया कि यह केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी है जो इतिहास सहित हर चीज का भगवाकरण करने की प्रयास कर रही है.
गोविंदन ने दावा किया कि पीएम नरेन्द्र मोदी ने अक्टूबर 2014 में मुंबई में एक हॉस्पिटल के उद्घाटन के दौरान बोला था कि ईश्वर गणेश का स्वरूप प्लास्टिक सर्जरी का रिज़ल्ट था.

गोविंदन ने कहा, ‘‘इस तरह से बोलना गलत है. मिथकों को मिथक, इतिहास को इतिहास और विज्ञान को विज्ञान माना जाना चाहिए. आप विज्ञान को अस्वीकार करके आगे नहीं बढ़ सकते.’’
उन्होंने दलील दी, ‘‘हालांकि हर किसी को अपनी आस्था रखने का अधिकार है, यहां तक कि विज्ञान के विरुद्ध भी, लेकिन इसका इस्तेमाल वैज्ञानिक सोच पर धावा करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए. इसके अलावा, ऐसी मान्यताओं पर प्रश्न उठाने वालों को हिंदू विरोधी या विश्वास विरोधी करार देना गलत है.’’
उन्होंने बोला कि केरल में कांग्रेस पार्टी इस समय वही दोहरा रही है जो बीजेपी कह रही है.
गोविंदन ने बोला कि दूसरी ओर, नेहरू एक भौतिकवादी आदमी थे और डिस्कवरी ऑफ इण्डिया समेत उनकी दो किताबें भौतिकवाद पर आधारित थीं.
हाल ही में एर्णाकुलम जिले के एक विद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान, शमसीर ने कथित तौर पर केंद्र पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में उपलब्धियों के बजाय बच्चों को हिंदू मिथक सिखाने की प्रयास करने का इल्जाम लगाया था.

उन्होंने बोला था कि ईश्वर गणेश एक मिथक हैं और इस मान्यता का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है.
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) जैसे दक्षिणपंथी संगठनों ने यह कहते हुए शमसीर के विरुद्ध पहले ही एक अभियान प्रारम्भ कर दिया है कि वे ईश्वर गणेश और पौराणिक पुष्पक विमानम के बारे में विधानसभाध्यक्ष की टिप्पणी से व्यथित हैं.
सत्तारूढ़ माकपा ने शनिवार को शमसीर की कथित विवादास्पद टिप्पणी को लेकर संघ परिवार द्वारा उनके विरुद्ध चलाए गए अभियान की कड़ी आलोचना की थी.
माकपा ने यहां एक बयान में बोला था कि मिथकों और मान्यताओं की गलत व्याख्या करने और उन्हें वैज्ञानिक विचारों के रूप में चित्रित करने से सिर्फ़ समाज की प्रगति पिछड़ेगी और विज्ञान के विकास में बाधा आएगी.

इस बीच नायर समुदाय के एक संगठन ने बुधवार को केरल विधानसभा अध्यक्ष की टिप्पणी के विरुद्ध आस्था बचाओ दिवस मनाया. बड़ी संख्या में हिंदू श्रद्धालु और प्रभावशाली नायर समुदाय के एक संगठन के सदस्यों ने राज्य विधानसभा अध्यक्ष ए एन शमसीर की हिंदू देवता के बारे में हालिया टिप्पणी के विरोध स्वरूप पूरे केरल में ईश्वर गणेश के मंदिरों में पूजा-अर्चना की.
विभिन्न जिलों में विशेष प्रार्थनाएं की गईं क्योंकि नायर सर्विस सोसाइटी (एनएसएस) ने समुदाय के सदस्यों से शमशीर की टिप्पणी के विरुद्ध आज आस्था बचाओ दिवस ​​मनाने का आग्रह किया था.
नायर समुदाय के एक प्रभावशाली संगठन एनएसएस ने इल्जाम लगाया कि शमसीर की इस विवादास्पद टिप्पणी से हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंची है कि ईश्वर गणेश एक मिथक थे और इस विश्वास का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है.

विरोध के अनुसार एनएसएस महासचिव जी सुकुमारन नायर ने कोट्टायम जिले के चंगनास्सेरी में एक मंदिर में प्रार्थना की. नायर ने बाद में पत्रकारों से बोला कि संगठन ईश्वर गणेश के विरुद्ध शमसीर के बयान को हिंदू विरोधी के तौर पर देख रहा है और उन्हें विधानसभा अध्यक्ष पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा, इससे हिंदू समुदाय की भावनाएं आहत हुई हैं और हम इस मामले पर समझौता नहीं कर सकते.
उन्होंने बोला कि केरल में हिंदू समुदाय में अन्य धर्मों का सम्मान करने और दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुंचाए बिना शांति और सद्भाव का जीवन जीने की परंपरा है. उन्होंने बोला कि लेकिन, यदि कोई अपमानजनक ढंग से समुदाय के सदस्यों की आस्था का अपमान करने की प्रयास करता है, तो उन्हें कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ेगा और वर्तमान विरोध उसी का हिस्सा है.

नायर ने बोला कि कई अन्य हिंदू संगठनों और बीजेपी जैसे सियासी दलों ने भी इस मुद्दे पर अपना रुख साफ कर दिया है. उन्होंने कहा, एनएसएस ने भी इस मुद्दे पर ऐसे संगठनों से हाथ मिलाने का निर्णय किया है, क्योंकि यह आस्था का मुद्दा है.
नायर ने कहा, आस्था बचाओ दिवस विरोध का उद्देश्य ईश्वर गणेश की पूजा करना और आस्था की रक्षा के लिए उनका आशीर्वाद और शक्ति प्राप्त करना है.
अपनी यह मांग दोहराते हुए कि शमसीर को हिंदू समुदाय से माफी मांगनी चाहिए और अपनी टिप्पणी वापस लेनी चाहिए, एनएसएस महासचिव ने यह भी बोला कि आस्था सबसे जरूरी चीज है और यह इंसानों का मार्गदर्शन करती है.
नायर ने मंगलवार को संगठन के तालुक संघ अध्यक्षों को एक पत्र भेजा, जिसमें समुदाय के सदस्यों को पास के ईश्वर गणेश के मंदिरों में पूजा करने का निर्देश दिया. उन्होंने सदस्यों को इस संबंध में किसी भी उत्तेजक या सांप्रदायिक कार्रवाई में शामिल नहीं होने की चेतावनी दी.

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