कांग्रेस ने चुनावी बॉन्ड योजना पर उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कहा…
Congress On Electoral Bond : कांग्रेस पार्टी ने चुनावी बॉन्ड योजना पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत करते हुए गुरुवार को बोला कि यह फैसला नोट के मुकाबले वोट की ताकत को और मजबूत करेगा। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह आशा भी जताई कि सुप्रीम कोर्ट इस बात पर भी ध्यान देगा कि चुनाव आयोग ‘वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल’ (वीवीपीएटी) के मामले पर विपक्षी दलों से मिलने से लगातार इनकार कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना को सूचना का अधिकार कानून और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करार दिया है।
‘प्रतीक्षित निर्णय बहुत स्वागत योग्य’
जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “उच्चतम कोर्ट ने मोदी गवर्नमेंट की बहुप्रचारित चुनावी बॉन्ड योजना को संसद द्वारा पारित कानूनों के साथ-साथ हिंदुस्तान के संविधान का भी उल्लंघन माना है। लंबे समय से प्रतीक्षित निर्णय बहुत स्वागत योग्य है और यह नोट पर वोट की शक्ति को मजबूत करेगा।” उन्होंने इल्जाम लगाया कि मोदी गवर्नमेंट ‘चंदादाताओं’ को विशेषाधिकार देते हुए अन्नदाताओं पर किसी भी तरह का अत्याचार कर रही है।
‘सब कुछ पारदर्शी है तो फिर इतनी जिद क्यों?’
साथ ही जयराम रमेश ने कहा, “हमें यह भी आशा है कि सुप्रीम कोर्ट इस बात पर ध्यान देगा कि चुनाव आयोग वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) के मामले पर सियासी दलों से मिलने से लगातार इनकार कर रहा है। यदि मतदान प्रक्रिया में सब कुछ पारदर्शी है तो फिर इतनी जिद क्यों?” कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “चुनावी बॉन्ड को गैरकानूनी ठहराने का सुप्रीम कोर्ट का निर्णय ऐतिहासिक एवं स्वागतयोग्य है। “
‘चुनावी बॉन्ड ने करप्शन को बढ़ाने का काम किया’
उन्होंने दावा किया, “चुनावी बॉन्ड ने करप्शन को बढ़ाने का काम किया। इसने सियासी चंदे की पारदर्शिता को समाप्त किया और सत्ताधारी पार्टी बीजेपी को सीधे फायदा पहुंचाया।” अशोक गहलोत के कहा, “मैंने बार-बार बोला कि चुनावी बॉन्ड आजाद हिंदुस्तान के सबसे बड़े घोटालों में से एक है। आज सुप्रीम कोर्ट के निर्णय ने यह साबित कर दिया है कि चुनावी बॉन्ड राजग गवर्नमेंट का एक बड़ा भ्रष्टाचार है।” उन्होंने कहा, “यह निर्णय देर से आया, पर यह राष्ट्र के लोकतंत्र को बचाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण निर्णय है। सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद।”
‘चुनावी बॉन्ड आरटीआई का उल्लंघन’
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर दो भिन्न-भिन्न लेकिन सर्वसम्मत निर्णय सुनाए। प्रधान न्यायाधीश ने बोला कि यह संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के अनुसार बोलने तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है। पीठ ने बोला कि नागरिकों की निजता के मौलिक अधिकार में सियासी गोपनीयता, संबद्धता का अधिकार भी शामिल है। चुनावी बॉन्ड योजना को गवर्नमेंट ने दो जनवरी 2018 को अधिसूचित किया था। इसे सियासी वित्तपोषण में पारदर्शिता लाने के प्रयासों के अनुसार सियासी दलों को दिए जाने वाले दान के विकल्प के रूप में पेश किया गया था।