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LAC पर मॉडल विलेज बना रहा चीन, भारत ने वाइब्रेंट विलेज बनाने किए शुरू

India built vibrant village on LAC: लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी एलएसी (LAC) पर चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. चीन सीमावर्ती इलाकों में लगातार अपनी गतिविधि बढ़ा रहा है, जो भारत के लिए चिंता का विषय हैं. लेकिन, अब भारत भी चीन को सीधी टक्कर देने के मूड में है और सीमा पर बुनियादी ढांचा विकसित कर रहा है. एलएसी के आसपास चीन मॉडल विलेज बना रहा है, जिसको टक्कर देने के लिए अब भारत ने वाइब्रेंट विलेज बनाने शुरू किए हैं. इन गांवों में बड़े पैमाने पर विकास परियोजनाएं शुरू किया है.

चीन ने 2019 में की थी मॉडल विलेज की शुरुआत

चीन ने लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी LAC के आसपास 2019 से मॉडल विलेज बनाने की शुरुआत की थी. हालांकि, इसकी घोषणा चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) ने साल 2018 में कर दी थी. चीन दावा था कि इन मॉडल विलेज को सीमा के पास रहने वाले खानाबदोश लोगों को सुविधाजनक रहने की व्यवस्था करने के लिए बनाया गया है. लेकिन, सूत्रों के मुताबिक ये गांव दरअसल चीनी सेना को LAC के पास के निर्जन इलाके में स्टेजिंग प्वाइंट मुहैया कराते हैं. इन गांवों में रहने के पक्के मकानों के अलावा खेल के मैदान, टेलीविज़न सहित संचार की सभी सुविधाएं दी गई हैं.

इन गांवों में रहते हैं चीनी सेना के रिटायर्ड सैनिक

खबरों के मुताबिक, इन गांवों में स्थानीय लोगों और खानाबदोशों के अलावा चीनी सेना के रिटायर्ड सैनिक भी रहते हैं. गांवों में एक कम्यूनिस्ट राजनैतिक कार्यकर्ता रहते हैं, जो दूसरे लोगों में कम्यूनिज्म की विचारधारा में भरते हैं. LAC पर ऐसे गांव लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक की सीमा के दूसरी ओर बनाए गए हैं.

भारत ने की वाइब्रेंट विलेज बनाने की शुरुआत

दूसरी तरफ, भारत अपने सीमावर्ती गांवों से पलायन को लेकर गंभीर है और उसने भी मॉडल विलेज की तर्ज पर वाइब्रेंट विलेज बनाने शुरू किए हैं. भारत सरकार ने पूरी LAC पर कुल 662 वाइब्रेंट विलेज बनाने शुरू किए हैं, जिसमें से 77 अरुणाचल प्रदेश में हैं. इनमें से 31 लोहित घाटी में हैं और LAC के बेहद करीब बसा किबिथू गांव भी उनमें से एक है.

भारत के गांवों में लोगों को मिल रहीं ये सुविधाएं

वाइब्रेंट विलेज परियोजना के तहत गांव में स्कूल, स्वास्थ्य सुविधाओं और सड़कों का निर्माण किया गया है. रहने वाले इन सुविधाओं से खुश हैं. यहां तक पहुंचने के लिए बनी नई सड़कें उनकी लिए बड़ी राहत हैं. लेकिन, उनकी सबसे बड़ी मांग यहां पर अच्छे इंटरनेट और मोबाइल नेटवर्क की है. हालांकि, कुछ गांवों तक अब बिजली, पानी और सड़कों के साथ मोबाइल फोन और इंटरनेट भी पहुंच गया है.

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