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चुनावी साल में दो बार होता है बजट पेश, जानें क्या है इसके पीछे की वजह

देश का बजट (Budget 2024) आने में अब महज़ कुछ दिन ही बचे हैं 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) द्वारा राष्ट्र का बजट पेश किया जाएगी इस वर्ष राष्ट्र में लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) होने की वजह से लोगों को इस बार के बजट से काफी उम्मीदें हैं लेकिन, क्या आप जानते हैं चुनावी वर्ष होने की वजह से इस वर्ष दो बार बजट पेश किया जाएगा

देश में जब भी चुनाव होते हैं तब राष्ट्र की जनता को वोट ऑन एकाउंट या अंतरिम बजट का नाम सुनने काफी मिलता है इसके अतिरिक्त जिन भी वर्षों में चुनाव नहीं होता है उस वर्ष में गवर्नमेंट आम बजट पेश करती है तो चलिए आज की स्टोरी में हम आपको बताते हैं आम बजट और अंतरिम बजट के अंतर के बारे में विस्तार से…

चुनावी वर्ष में क्यों 2 बार क्यों पेश होता है बजट?

सबसे पहले ये जानना है कि अंतिम चुनावी वर्ष में दो बात बजट क्यों पेश किया जाता है? दरअसल, चुनावी वर्ष में हमेशा सत्ता बदलने की संभावना बनी रहती है इस गुंजाईश की वजह से ही चुनावी वर्ष में दो बार बजट पेश होता है नयी गवर्नमेंट आती है तो वह पुरानी गवर्नमेंट की नीतियों में भी परिवर्तन कर सकती है जिसकी वजह से पहली गवर्नमेंट फरवरी महीने में अंतरिम बजट पेश करती है जबकि चुनाव के बाद में सत्ता में जो भी गवर्नमेंट आती है वह पूरा बजट पेश करती है

आम बजट

अगर आम बजट की बात की जाए तो गवर्नमेंट हर वर्ष राष्ट्र के आय और व्ययों के खर्चे की जानकारी देती है यदि आसान भाषा में कहे तो जिस तरह से हर किसी के घर में कमाई और खर्चों का हिसाब-किताब किया होता है, वैसे ही गवर्नमेंट भी राष्ट्र में होने वाले खर्चे और इनकम का हिसाब-किताब लगाती है और उसे पेश करती है आम बजट को पूरे वर्ष भर के लिए पेश किया जाता है

अंतरिम बजट

जिस वर्ष लोकसभा चुनाव होने होते हैं, केंद्र गवर्नमेंट पूरे वित्त साल की बजाय कुछ महीनों तक के लिए ही बजट पेश करती है, उसे अंतरिम बजट बोला जाता है चुनाव समाप्त होने के बाद नयी गठित गवर्नमेंट पूर्ण बजट (Full Budget) पेश करती है हालांकि, अंतरिम बजट ही पेश करने की बाध्यता नहीं होती है

अंतरिम बजट और आम बजट में अंतर

आम बजट हो या अंतरिम बजट, दोनों ही बजट (Budget) में सरकारी खर्चों के लिए संसद से स्वीकृति ली जाती है लेकिन, अंतरिम बजट आम बजट से अलग होता है अंतरिम बजट में सामान्‍य तौर पर गवर्नमेंट कोई नीतिगत निर्णय नहीं लेती है इसकी कोई कानूनी बाध्यता नहीं है जबकि आम बजट में यह परंपरा रही है कि चुनाव के बाद गठित गवर्नमेंट ही अपनी नीतियों के मुताबिक निर्णय ले और योजनाओं की घोषणा करे

वोट ऑन एकाउंट और अंतरिम बजट में क्या अंतर है?

अंतरिम बजट में केंद्र गवर्नमेंट के सभी खर्चों के साथ ही इनकम का भी ब्यौरा होता है इसके अतिरिक्त गवर्नमेंट के राजकोषीय घाटे के बारे में भी जानकारी साझा की जाती है वहीं, वोट ऑन एकाउंट की बात करें तो इसमें केवल सरकारी खर्चों की जानकारी दी जाती है इसमें गवर्नमेंट की आमदनी के बारे में कोई भी जानकारी नहीं होती है यदि दोनों बजट की समानताओं को देखें तो इनमें बड़ी नीतिगत घोषणाएं नहीं होती हैं बता दें अंतरिम बजट और वोट ऑन एकाउंट दोनों ही कुछ महीनों के लिए ही जारी होते हैं

मोदी गवर्नमेंट का दूसरा अंतरिम बजट

जानकारी के लिए बता दें कि इस वर्ष वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को मोदी गवर्नमेंट का दूसरा अंतरिम बजट पेश करने वाली है इससे पहले वर्ष 2019 में तब वित्त मंत्रालय के मंत्री रहे पीयूष गोयल ने अंतरिम बजट पेश किया था वर्ष 2019 में पेश हुए अंतरिम बजट में ही ‘पीएम किसान सम्मान निधि’ योजना की घोषणा की गई थी ऐसे में इस वर्ष के बजट से ही लोगों को काफी उम्मीदें हैं महिलाओं, किसानों और युवाओं को नयी सौगात मिलने की आशा की जा रही है

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