लोकसभा चुनाव से पहले शरद पवार को बड़ा झटका
NCP शरद पवार की रहेगी या अजित पवार की, मंगलवार को इसको लेकर चुनाव आयोग ने निर्णय सुना दिया। चाचा एवं भतीजे के झगडे में बाजी भतीजे के हाथ लगी है। चुनाव आयोग ने बोला है कि अजित पवार गुट वाली NCP ही वास्तविक NCP है। 6 महीने से अधिक वक़्त तक चली 10 से अधिक सुनवाई के पश्चात्, चुनाव आयोग ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी पार्टी (NCP) के टकराव का निपटारा किया तथा अजीत पवार के नेतृत्व वाले गुट के पक्ष में निर्णय सुनाया। फिर अजीत पवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी पार्टी (NCP) का नाम एवं चिह्न मिला।
वहीं, चुनाव आयोग ने शरद पवार को अपने नए सियासी गठन के लिए एक नाम का दावा करने एवं आयोग को 3 प्राथमिकताएं देने का एक बार का विकल्प प्रदान किया है। रियायत का इस्तेमाल 7 फरवरी, 2024 को दोपहर 3 बजे तक किया जा सकता है। उल्लेखनीय है पिछले साल जुलाई में NCP में बगावत हुई थी जब शरद पवार के भतीजे अजित पवार कई विधायकों के साथ NDA में सम्मिलित हो गए थे। उन्होंने भाजपा एवं शिंदे गुट की शिवसेना गवर्नमेंट में उपमुख्यमंत्री का पद संभाल लिया था। उनके साथ NCP के दिग्गज नेताओं छगन भुजबल एवं प्रफुल्ल पटेल भी चले गए थे। फिर शरद पवार अलग-थलग पड़ गए थे। हालांकि शरद पवार का दावा था कि वह ही वास्तविक NCP हैं। वहीं, पार्टी के 53 में से 30 विधायकों को साथ लेकर अजित पवार स्वयं को वास्तविक NCP बता रहे थे।
चुनाव आयोग का निर्णय आने के बाद NCP प्रमुख एवं महाराष्ट्र के डिप्टी मुख्यमंत्री अजीत पवार ने कहाकि चुनाव आयोग ने हमारे वकीलों की दलीलें सुनने के पश्चात् हमारे पक्ष में निर्णय सुनाया है। हम इसका विनम्रतापूर्वक स्वागत करते हैं। वहीं, पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने कहाकि हम चुनाव आयोग के निर्णय का स्वागत करते हैं। उन्होंने बोला कि किसी भी सियासी पार्टी के लिए चुनाव चिह्न जरूरी होता है। हो सकता है कि कल इस निर्णय को सर्वोच्च न्यायालय, हाई कोर्ट में चुनौती दी जाए। इसमें हमें कुछ बोलना नहीं है। हम चुनाव आयोग के निर्णय का स्वागत करते हैं।
वहीं, विपक्ष ने इसको लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। NCP के नाम एवं चुनाव चिह्न के मुद्दे में चुनाव आयोग द्वारा अजीत पवार के पक्ष में निर्णय सुनाए जाने पर शिवसेना (UBT) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने बोला कि मैं एकदम भी आश्चर्यचकित नहीं हूं। एक शख्स जिस पर 70,000 करोड़ रुपए के करप्शन का इल्जाम लगाया गया था, आज वह बीजेपी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है। अजित पवार महाराष्ट्र के डिप्टी मुख्यमंत्री हैं…यह संविधान की अनुसूची 10 की भावना के विरुद्ध है