Batla House Encounter: किसकी गोली से गई इंस्पेक्टर शर्मा की जान…
Inspector Mohan Chand Sharma: बटला हाउस मुठभेड़ में इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की मर्डर के गुनेहगार आरिज खान को निचली न्यायालय से मिली फांसी की सजा को दिल्ली उच्च न्यायालय ने उम्रकैद में परिवर्तित कर दिया है। उच्च न्यायालय ने इस मुद्दे में आरिज की गुनाह सिद्धि के निर्णय को बरकरार रखा लेकिन इसके बावजूद मुकदमा को रेयरेस्ट ऑफ रेयर मुकदमा न मानते हुए आरिज खान की फांसी की सजा को उम्रकैद में परिवर्तित किया है।
इंस्पेक्टर शर्मा की जान किसकी गोली से गई?
हाई न्यायालय ने अपने निर्णय में बोला कि चश्मदीदों के बयान और दूसरे सबूत इस बात की ओर इशारा करते है कि आरिज मौके पर उपस्थित था और मौके से भागते हुए उसने रेड डालने पहुंची पुलिस टीम पर फायरिंग भी की थी। लेकिन इसके साथ ही ऐसा कुछ रिकॉर्ड पर उपस्थित नहीं है, जिससे साबित हो सके कि इंस्पेक्टर मोहनचंद शर्मा को किस आरोपी की गोली लगी थी, जिसके चलते उनकी जान गई।
‘याद रखा जाएगा इंस्पेक्टर शर्मा का योगदान’
कोर्ट ने निर्णय में बोला कि वो बात से भली भांति अवगत है कि राष्ट्र ने अपना एक बहुत बढ़िया पुलिस अधिकारी खो दिया। ऐसा अधिकारी जिसने अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए जान तक दे दी। देश उनका सहयोग कभी नहीं भूलेगा। लेकिन इस मुकदमा में जो तथ्य है, उसके अनुसार ये मुकदमा रेयरेस्ट ऑफ रेयर मुकदमा की कैटगरी में आने लायक नहीं है।
‘दोषी के सुधार की गुंजाइश से इनकार नहीं’
दिल्ली उच्च न्यायालय ने आरिज को लेकर एहबास और बाकी की रिपोर्ट के आधार पर बोला कि गुनेहगार का व्यवहार सामान्य है और उसके सुधार की गुंजाइश से इनकार नहीं किया जा सकता। न्यायालय ने अपने निर्णय में ये भी बोला है कि बटला हाउस शूटआउट की पहले से कोई योजना नहीं थी।
पुलिस ने स्वयं माना है कि टीम वहां संदिग्ध आतिफ को अरैस्ट करने के लिए पहुंची थी। लेकिन पुलिस टीम जैसे ही रेड के लिए वहां पहुंची तो उन्हें फायरिंग का सामना करना पड़ा।
‘क्या था बटला हाउस एनकाउंटर’
19 सितंबर 2008 को पुलिस और आतंकवादियों की मुठभेड़ में दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा शहीद हो गए थे। इस मुठभेड़ में दो आतंकवादी मारे गए थे। ये एनकाउंटर दिल्ली में पांच सिलसिलेवार धमाकों के बाद हुआ था। इन ब्लास्ट में 39 लोग मारे गए थे, 159 लोग घायल हुए थे।
इन धमाकों के गुनहगार आतंकवादियों की तलाश के लिए मोहन चंद शर्मा के नेतृत्व में पुलिस ने बटला हाउस के मकान नंबर L18 में छापेमारी की। आरिज खान मौके से फरार हो गया था। इसके बाद उसे भगोड़ा घोषित कर दिया और 14 फरवरी 2018 को उसे अरैस्ट कर लिया गया था।
क्या था निचली न्यायालय का फैसला
निचली न्यायालय ने अपने निर्णय में आरिज के गुनाह को रेयरेस्ट ऑफ रेयर मुकदमा मानते हुए फांसी की सजा दी थी। साकेत न्यायालय ने अपने आदेश में बोला था कि आरिज खान ने जिस तरह बिना किसी उकसावे के पुलिस पर फायरिंग की, वो अपने आप में बहुत घृणित और क्रूर क्राइम है। उसका क्राइम कोई सामान्य हरकत न होकर राष्ट्र के विरुद्ध क्राइम है ।
आरिज न सिर्फ़ समाज के लिए खतरा है, बल्कि राष्ट्र का शत्रु है। इस क्राइम को जिस जघन्यता के साथ अंजाम दिया गया है, उस लिहाज से वो रियायत का अधिकारी नहीं है। वो अपने जीने का अधिकार खो चुका है।