राष्ट्रीय

डूंगरपुर में पिछले एक साल में हुई 337 बच्चों की मौत

डूंगरपुर जिले में मासूम बच्चों की मौत रेट को रोकने गवर्नमेंट लाखों करोड़ों रुपए खर्च कर रही है लेकिन आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले में बच्चों की मृत्यु का आंकड़ा डरा रहा है जिले में पिछले एक वर्ष में 337 मासूम बच्चों की भिन्न-भिन्न कारणों से मृत्यु हो गई है यानी हर 28 घंटे में 1 बच्चे की मृत्यु हो रही हैमरने वाले ये बच्चे 0 से 11 महीने के हैं बच्चों की मृत्यु के पीछे चिकित्सक कई वजह मान रहे हैं

डूंगरपुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल

डूंगरपुर जिले में साल 2023 में 23 हजार 552 स्त्रियों की भिन्न-भिन्न अस्पतालों में डिलेवरी हुई है इसमें सरकारी से लेकर प्राइवेट हॉस्पिटल शामिल हैंजिसमे से 13 हजार 840 डिलवेरी ग्रामीण अस्पतालो में हुई है जबकि 9 हजार 712 डिलेवरी डूंगरपुर मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के एमसीएच में हुई है

 सबसे अधिक बिछीवाड़ा ब्लॉक में 40 बच्चों की मौत

वहीं, सालभर में बच्चों के मृत्यु के आंकड़ों को देखें तो 365 दिनों में 337 बच्चों की मृत्यु हुई है इसमें से 62 बच्चों की मृत्यु डूंगरपुर मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में हुईजबकि 275 मासूम दूसरे अस्पतालो में मृत्यु का शिकार हुए यानी हर 28 घंटे में 1 बच्चे की मृत्यु हुई हैमासूम बच्चों की मृत्यु का ये सिलसिला थम नहीं रहा हैडूंगरपुर जिला हॉस्पिटल के बाद सबसे अधिक बिछीवाड़ा ब्लॉक में 40 बच्चों की मौत

ब्लॉक      डिलेवरी            डेथ

1.  आसपुर,     1372,            14
2.  बिछीवाड़ा,     1910,            40
3.  चिखली,     3387,            28
4.  दोवड़ा,      1145,            16
5.  डूंगरपुर,     251,             16
6. गलियाकोट,      617,            24
7. झोंथरी,       885,            36
8.  साबला,      720,             9
9.  सागवाड़ा,    801,             36
10. सीमलवाड़ा,   2753,           56
11. डूंगरपुर हॉस्पिटल 9712,             62

बच्चों की मृत्यु को लेकर बड़ी वजह

जन्म के बाद सालभर में बच्चों की मृत्यु को लेकर वैसे तो चिकित्सक कई कारण मान रहे हैं जिसमे बच्चों में निमोनिया,ड्रीहाईडेशन, कुपोषण, प्रसूता के एनिमिक होने जैसे कई कारण हैं सीएमएचओ डाक्टर अलंकार गुप्ता ने कहा की अकसर देखा जाता है की गर्भवती स्त्री में हिमोग्लोबिन की मात्रा काफी कम होती हैऐसे में डिलेवरी के बाद बच्चा भी एनिमिक पैदा होता हैबच्चों का वजन 2.5 किलो से भी कम होता है ऐसे में कई बार बच्चे सालभर भी नही जी पाते हैं

इसके अतिरिक्त प्री मैच्योर डिलेवरी, डिलेवरी के दौरान ब्लड प्रेशर, इन्फेक्शन, हॉस्पिटल पहुंचने में देरी और समय पर चिकित्सक से जांच और उपचार नहीं करवाना भी बड़ी वजह है इधर सीएमएचओ ने कहा की शिशु मौत रेट में कमी लाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से कई कोशिश किए जा रहे है

डॉअलंकार गुप्ता सीएमएचओ डूंगरपुर ने कहा कि मासूम बच्चों की मृत्यु को रोकने के लिए गवर्नमेंट लाखों करोड़ों रुपए खर्च कर रही हैमहिला के गर्भ धारण करने से लेकर डिलेवरी के बाद तक बच्चे और स्त्री की लगातार मॉनिटरिंग की जाती है

कम हिमोग्लोबिन वाली स्त्रियों को आईसीडीएस के माध्यम से गरम और पौष्टिक आहार दिया जाता हैमहिलाओं का टीकाकरण और डिलेवरी के बाद प्रोत्साहन राशि भी दी जाती हैबावजूद मासूम बच्चो की मृत्यु चिंताजनक बनी हुई है

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