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सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को लगाई फटकार, कहा…

Election Commission: उच्चतम न्यायालय ने चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर सुनवाई करते हुए केंद्र गवर्नमेंट को फटकार लगाई है. मगर इसी के साथ सर्वोच्च कोर्ट ने नए चुनाव आयुक्तों (Election Commission) को नियुक्त करने की प्रिक्रिया पर रोक लगाने से मना कर दिया है. बीते दिन उच्चतम न्यायालय ने चुनाव आयोग की नियुक्ति में चीफ जस्टिस ऑफ इण्डिया के ना होने पर सुनवाई की थी.

बता दें कि, चुनाव आयुक्त की नियुक्त पिछले काफी दिनों से प्रश्नों के कठघरे में है, जिसे लेकर उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल की गई थी. ऐसे में जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस दिपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज की पीठ ने मुद्दे पर सुनवाई की है. इसी दौरान उच्चतम न्यायालय ने चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर रोक लगाने से मना कर दिया है.

अगस्त में होगी समीक्षा

सुप्रीम न्यायालय ने यह निर्णय आनें वाले लोकसभा चुनावों के मद्देनजर लिया है. हालांकि अपने निर्णय में सर्वोच्च कोर्ट ने कहा कि, चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए बने नए कानून की वैधानिकता की समीक्षा होगी. इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय अगस्त में सुनवाई कर सकता है.

क्या है मामला

चुनाव आयोग में दो चुनाव आयुक्तों की सीट अचानक खाली होने से हड़कंप मच गया था. चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडे 14 फरवरी को रिटायर हो गए थे, तो वहीं दूसरे चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने अचानक से त्याग-पत्र दे दिया था. लोकसभा चुनावों की घोषणा में कुछ ही समय बचा था. ऐसे में गवर्नमेंट ने सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी ग्यानेश कुमार और सुखबीर संधु को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया था.

विपक्ष ने लगाए आरोप

चुनाव आयोग की नियुक्ति के बाद विपक्ष लगातार गवर्नमेंट पर प्रश्न खड़े कर रहा है. संसद में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी का बोलना है कि, गवर्नमेंट ने उन्हें 200 लोगों की लिस्ट दी थी. मगर अगले दिन नियुक्ति से महज 10 मिनट पहले उन्हें फाइनल 10 लोगों की लिस्ट थमाई गई और 10 मिनट बाद दोनों चुनाव आयोग की नियुक्ति हो गई. इस बात पर संज्ञान लेते हुए चुनाव आयोग ने भी गवर्नमेंट को फटकार लगाया था. उच्चतम न्यायालय ने गवर्नमेंट से प्रश्न पूछा कि, 200 लोगों की स्क्रीनिंग 2 घंटे में कैसे हो गई?

 

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