लोकेश शर्मा ने फोन टैप कांड में किए कई बड़े खुलासे
जयपुर। राजस्थान में विधायकों के टेलीफोन टेपिंग के मुद्दे का जिन्न एक बार फिर बाहर निकला है। पूर्व सीएम अशोक गहलोत के ओएसडी रहे लोकेश शर्मा ने अशोक गहलोत पर टेलीफोन टैपिंग के इल्जाम लगाए हैं। लोकेश शर्मा ने आज अपने कार्यालय पर प्रेस वार्ता कर एक के बाद एक खुलासे किए और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर कई गंभीर इल्जाम लगाए हैं।
लोकेश शर्मा ने सबसे पहले बोला कि विधायकों की बाडेबंदी के दौरान 16 जुलाई 2020 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत होटल फेयरमाउंट आए थे। उनके होटल से निकलने के एक घंटे बाद मेरे पास गहलोत के पीएसओ रहे रामनिवास का कॉल आया था। बोला था- मुख्यमंत्री ने आपको बुलाया है, मैं मुख्यमंत्री निवास पहुंचा तो गहलोत जी मेरा प्रतीक्षा कर रहे थे। गहलोत ने मुझे एक प्रिंटेड कागज और एक पेन ड्राइव दी। उसमें ऑडियो क्लिप थी, जिसमें विधायकों की खरीद-फरोख्त की बात थी। गहलोत ने कहने पर मेने यह सारा डेटा अपने लेपटॉप में लेकर टेलीफोन में कॉपी किया और टेलीफोन से मीडिया में सर्कुलेट कर दिया।
लोकेश ने बोला कि ये ऑडियो मुझे सोशल मीडिया से नहीं मिला था। अशोक गहलोत ने मुझे पेन ड्राइव के जरिए सभी ऑडियो क्लिप दी थी। वहीं लोकेश शर्मा ने बोला कि उस दौरान जब अखबारों में खबरें छपीं। मुकदमे दर्ज हुए। कौन लोग है, जो गवर्नमेंट गिराना चाहते हैं। इससे गजेंद्र सिंह को जोड़ा गया। ऐसी मंशा थी कि इस पूरे खेल के पीछे भाजपा है। लेकिन, हम सभी ने सुना सचिन पायलट ने बोला था- हम लोगों की सुनवाई नहीं हुई थी। इसलिए एकत्र होकर आलाकमान तक अपनी बात पहुंचाना चाहते थे।
लोकेश शर्मा ने बताया- जैसे ही अशोक गहलोत को ये पता चला। उन्होंने सारा षड्यंत्र रचा था, जो लोग उनके (सचिन पायलट) साथ गए थे, उनके टेलीफोन सर्विलांस पर थे। सभी को ट्रैक किया जा रहा था। इसमें पायलट भी शामिल थे। सभी का मूवमेंट पता किया जा रहा था और कॉल रिकार्ड किया जा रहा था। इसके बाद लोकेश शर्मा ने कहा- ऑडियो को वायरल करने के बाद भी, जब तक समाचार नहीं आई गहलोत ने मुझे दो बार वॉट्सऐप कॉल कर पूछा न्यूज में चला क्यों नहीं। जैसे ही समाचार आई तो मुझे पता चला कि ऑडियो क्लिप में क्या है। मुझे केवल डायरेक्शन दिए गए, जिसकी मैंने पालना की थी। उन्होंने कहा- मैं जिन्हें अपना सियासी गुरु मानता था। बहुत साफ दिल के आदमी है, क्योंकि मुझे हमेशा कहते थे, मेरी तरह सभी को काम में लिया कर। आज मुझे पता चल गया मैं कैसे काम में आ गया।
लोकेश शर्मा ने कहा- इस पूरे घटनाक्रम के बाद भी उन्हें शायद लगता था कि मैंने मोबाइल नहीं तोड़ा है। इसलिए 26 नवंबर, 2021 में मेरे ऑफिस में एसओजी की रेड डलवाई। उसी आदमी ने जिसके लिए मैंने इतना बड़ा कदम उठाया, जो आदमी सीएम के लिए काम करता है। उसके ऑफिस में एसओजी की रेड हुई। मेरे पूरे ऑफिस को खंगाल लिया। मोबाइल नहीं मिला, उसके बाद तसल्ली हुई। ये हैं हमारे पूर्व सीएम अशोक गहलोत जी और उनकी सच्चाई। वो किस तरह लोगों का इस्तेमाल करते हैं। सियासी लाभ के लिए इस्तेमाल करते हैं, फिर किनारा कर लेते हैं।
लोकेश शर्मा ने बताया- जो लोग सचिन पायलट के साथ थे, उनके टेलीफोन सर्विलांस पर थे। कुछ लोग इनकी बाड़ेबंदी में भी थे, जिनके टेलीफोन सर्विलांस पर थे। फिर जब मुझे अपराध ब्रांच बुलाया गया तो सोचा गया किस तरह गजेंद्र सिंह पर दबाव बनाया जाए। फिर संजीवनी मुद्दे का सियासी लाभ लेने के लिए कैसे उनकी छवि खराब की जाए। परिवार पर इल्जाम लगाए जाए। मुख्यमंत्री हाउस पर ये ही षड्यंत्र रचा जाता था। गजेंद्र सिंह और सचिन पायलट को किस तरह से नीचा दिखाया जाए। कैसे जनता के सामने छवि खराब की जाए। इसलिए संजीवनी से जुड़े लोगों को बुलाया जाता था। उनके वीडियो बनाकर लगातार चलाया जाता था।
रीट पेपर लीक पर लोकेश शर्मा ने कहा- पेपर लीक के बाद लेवल 2 के पेपर को रद्द किया गया, लेकिन उसमें जितने लोग शामिल हैं। उसको लेकर भी वार्ता की गई थी। जब माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डीपी जारोली का नाम सामने आया तो सभी अचरज में पड़ गए. क्या एक्शन लिया जाए। इन्हें बर्खास्त कैसे किया जाए, जो लोग इसमें शामिल थे। उनकी जानकारी होने के बावजूद उन्हें अपना आदमी बोला गया। ऐसे पूर्व सीएम के लिए क्या बोलना चाहिए। इसके बाद केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने दिल्ली पुलिस में परिवाद देकर जनप्रतिनिधियों के टेलीफोन टैप करने और उनकी छवि खराब करने का इल्जाम लगाया था, जिस पर 25 मार्च 2021 को दिल्ली पुलिस की अपराध ब्रांच ने लोकेश शर्मा के विरुद्ध मुद्दा दर्ज किया था। इस एफआईआर के विरुद्ध लोकेश शर्मा दिल्ली उच्च न्यायालय पहुंचे थे। आज भी उनकी याचिका उच्च न्यायालय में लंबित है। इस दौरान करीब आधा दर्जन बार दिल्ली अपराध ब्रांच लोकेश शर्मा से पूछताछ कर चुकी है।
बता दें, सचिन पायलट कैंप की बगावत के बाद गवर्नमेंट पर टेलीफोन टैपिंग के इल्जाम लगे थे। गहलोत खेमे ने विधायकों की खरीद-फरोख्त का इल्जाम लगाते हुए कुछ ऑडियो वायरल हुए थे। इसमें केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पर कांग्रेस पार्टी के तत्कालीन विधायक भंवरलाल शर्मा के साथ गहलोत गवर्नमेंट को गिराने के लिए सौदेबाजी का इल्जाम लगाया गया था। इस मामले पर विधानसभा के बजट सत्र में जमकर बवाल हुआ था. सदन में भी यह मुद्दा उठा था। विधानसभा में संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने माना था कि सीएम के OSD ने ऑडियो वायरल किए थे।
लोकेश शर्मा ने सोशल मीडिया पर लिखा था- मैं नतीजों से आहत जरूर हूं, लेकिन अचंभित नहीं हूं। कांग्रेस पार्टी पार्टी राजस्थान में निसंदेह रिवाज बदल सकती थी, लेकिन अशोक गहलोत कभी कोई परिवर्तन नहीं चाहते थे। यह कांग्रेस पार्टी की नहीं बल्कि अशोक गहलोत जी की हार है। गहलोत के चेहरे पर, उनको फ्री हैंड देकर, उनके नेतृत्व में पार्टी ने चुनाव लड़ा और उनके अनुसार हर सीट पर वे स्वयं चुनाव लड़ रहे थे।
लोकेश शर्मा ने लिखा था- न उनका अनुभव चला, न जादू और हर बार की तरह कांग्रेस पार्टी को उनकी योजनाओं के सहारे जीत नहीं मिली। न ही अथाह पिंक प्रचार काम आया। तीसरी बार लगातार मुख्यमंत्री रहते हुए गहलोत ने पार्टी को फिर हाशिए पर लाकर खड़ा कर दिया। आज तक पार्टी से केवल लिया ही लिया है, लेकिन गहलोत कभी अपने रहते पार्टी की सत्ता में वापसी नहीं करवा पाए।