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रामदेव और बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करने के लिए मांगी माफी

नई दिल्ली, 9 अप्रैल (हि). एलोपैथ के विरुद्ध भ्रामक विज्ञापन के मुद्दे में 10 अप्रैल को सुनवाई से पहले बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने उच्चतम न्यायालय से बिना शर्त माफी मांगी है. दोनों ने उच्चतम न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन करने के लिए माफी मांगी है.

सुप्रीम न्यायालय में दाखिल हलफनामे में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने विज्ञापन पर रोक के आदेश के एक दिन बाद प्रेस कांफ्रेस के लिए भी माफी मांगी है. बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने बोला है कि अब कोई प्रेस कांफ्रेंस या सार्वजनिक बयान नहीं दिया जाएगा. माफीनामे में बोला गया है कि उच्चतम न्यायालय के आदेश का अक्षरश: पालन किया जाएगा और भविष्य में इस प्रकार के भ्रामक विज्ञापन जारी नहीं किए जाएंगे.

गौरतलब है कि 2 अप्रैल को उच्चतम न्यायालय ने आचार्य बालकृष्ण और बाबा रामदेव के माफीनामा को अस्वीकार कर दिया था. जस्टिस हीमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच ने बोला था कि आपकी ओर से आश्वासन दिया गया और उसके बाद उल्लंघन किया गया. यह राष्ट्र की सबसे बड़ी न्यायालय की तौहीन है और अब आप माफी मांग रहे हैं. यह हमें स्वीकार नहीं है. आप बेहतर हलफनामा दाखिल करें. उच्चतम न्यायालय ने बोला था कि न्यायालय के आदेशों को हल्के में नहीं लिया जा सकता है. जस्टिस हीमा कोहली ने बोला था कि न सिर्फ़ उच्चतम न्यायालय बल्कि राष्ट्र के किसी भी न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन नहीं होना चाहिए. बाबा रामदेव की तरफ से बोला गया था कि वो न्यायालय से बिना शर्त माफी मांगने को तैयार हैं. उसके बाद उच्चतम न्यायालय ने बाबा रामदेव और बालकृष्ण को एक और मौका दिया. न्यायालय ने बेहतर हलफनामा दाखिल करने को कहा. न्यायालय ने बोला कि राज्य लाइसेंसिंग अथॉरिटी ने भी अपनी जिम्मेदारी ठीक ढंग से नहीं निभाई.

21 मार्च को आचार्य बालकृष्ण ने उच्चतम न्यायालय में हलफनामा दाखिल कर बिना शर्त माफी मांगी थी. उच्चतम न्यायालय में दाखिल अपने हलफनामे में आचार्य बालकृष्ण ने विज्ञापन पर खेद प्रकट करते हुए बोला था कि विज्ञापन मे जो अपमानजनक वाक्य हैं, उन पर हमें खेद है. आचार्य बालकृष्ण ने पतंजलि के फॉर्मूलेशन के चमत्कारी क्षमताओं के बारे में दिए गए उन भ्रामक दावों पर बिना शर्त माफी मांगी थी, जो आधुनिक चिकित्सा पर शक पैदा करते हैं. आचार्य बालकृष्ण ने खेद प्रकट करते हुए बोला था कि उन विज्ञापन में सिर्फ़ सामान्य बयान ही शामिल किए गए थे और अनजाने में आपत्तिजनक वाक्य भी शामिल हो गए. पतंजलि आयुर्वेद की ओर से बालकृष्ण ने 21 नवंबर, 2023 को दिए गए आदेश में दर्ज किए गए बयान के उल्लंघन के लिए न्यायालय में माफ़ीनामा दाखिल करते हुए बोला था कि उनकी तरफ से भविष्य में भी ऐसे विज्ञापन जारी न किया जाना सुनिश्चत करेंगे.

दरअसल, पहले की सुनवाई में उच्चतम न्यायालय ने नोटिस का उत्तर नहीं देने पर आचार्य बालकृष्ण को 2 अप्रैल को न्यायालय में पर्सनल रूप से पेश होने का निर्देश दिया था. साथ ही न्यायालय ने बाबा रामदेव को भी कारण बताओ नोटिस जारी कर पेश होने को बोला था. 2 अप्रैल को उच्चतम न्यायालय ने आचार्य बालकृष्ण और बाबा रामदेव की ओर से पेश किए गए माफीनामा को भी अस्वीकार कर दिया था

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