रक्षा मंत्री ने आगे कहा, ‘हमें पीओके पर कब्जा करने के लिए बल का इस्तेमाल नहीं करना पड़ेगा. पीओके के लोग स्वयं ही कहेंगे कि हमें हिंदुस्तान में मिला दिया जाए. इस तरह की मांगें अब आ रही हैं.‘ उन्होंने इस बात पर बल दिया, ‘पीओके हमारा था, हमारा है और रहेगा.‘
जल्द ही विधानसभा चुनाव होंगे
जम्मू-कश्मीर में जमीनी हालात में सुधार का हवाला देते हुए सिंह ने बोला कि वहां जल्द ही विधानसभा चुनाव होंगे. हालांकि, उन्होंने कोई समयसीमा नहीं बताई. उन्होंने कहा, ‘जम्मू-कश्मीर में जिस तरह से स्थिति में सुधार हो रहा है, मुझे लगता है कि एक समय आएगा जब वहां अफस्पा (सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम) की जरूरत नहीं होगी. यह मेरा विचार है और इस पर गृह मंत्रालय को निर्णय करना है.‘
अच्छी चल रही है चीन से बातचीत
पूर्वी लद्दाख में असली नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत-चीन सेना गतिरोध के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बोला है कि दोनों पक्षों की वार्ता अच्छी चल रही है. उन्होंने लंबे समय से जारी टकराव के निवारण की आशा जताई. उन्होंने शनिवार को कहा कि हिंदुस्तान चीन से लगी सीमा पर तेज गति से बुनियादी ढांचे का विकास कर रहा है. उन्होंने बोला कि राष्ट्र की सीमाएं सुरक्षित रहेंगी.
उन्होंने वार्ता प्रक्रिया की संवेदनशील प्रकृति को देखते हुए अधिक जानकारी देने से इनकार कर दिया और बोला कि वार्ता अच्छी चल रही है. यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें सकारात्मक रिज़ल्ट और दोनों सेनाओं के बीच लगभग चार वर्ष से जारी विवाद के समाप्त होने की आशा है, इस पर सिंह ने बोला कि यदि कोई आशा नहीं है, तो वार्ता क्यों हो रही है. उन्हें (चीनी पक्ष को) भी आशा है और इसलिए वार्ता हो रही हैं.
कांग्रेस की निंदा की
भारत और चीन की सेनाओं के बीच मई 2020 से गतिरोध जारी है और सीमा टकराव का पूर्ण निवारण अभी तक नहीं हो पाया है. हालांकि दोनों पक्ष कई विवादित बिंदुओं से पीछे हट गए हैं. रक्षा मंत्री ने पूर्वी लद्दाख गतिरोध को लेकर गवर्नमेंट पर लगातार निशाना साधने के लिए कांग्रेस पार्टी की निंदा करते हुए कहा, ‘वे (कांग्रेस) भारतीय सैनिकों की बहादुरी पर प्रश्न उठा रहे हैं. आप किसका आत्मशक्ति गिरा रहे हैं? आपका इरादा क्या है? मैं भी 1962 की बात कर सकता हूं.‘
जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भयंकर झड़प के बाद दोनों राष्ट्रों के बीच संबंधों में काफी गिरावट आई. यह दशकों बाद दोनों पक्षों के बीच सबसे गंभीर सेना संघर्ष था.