अरविंद केजरीवाल अपराधी नहीं आरोपी हैं : कपिल सिब्बल
Arvind Kejriwal : दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर आज उच्चतम न्यायालय अपना निर्णय सुना सकता है, इससे पहले राज्यसभा सांसद और उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने मीडिया के सामने आकर बोला कि कल प्रवर्तन निदेशालय ने उच्चतम न्यायालय के सामने अपना पक्ष रखा और यह बोला कि अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत नहीं दी जानी चाहिए। प्रवर्तन निदेशालय ने बोला कि चुनाव प्रचार का अधिकार एक कानूनी अधिकार है, यह कोई कानूनी अधिकार नहीं है। इसलिए इस आधार पर अरविंद केजरीवाल को जमानत नहीं देनी चाहिए।
चुनाव प्रचार का अधिकार कानूनी अधिकार
कपिल सिब्बल ने बोला कि प्रवर्तन निदेशालय ने न्यायालय में जो बोला है वह ठीक है। चुनाव प्रचार का अधिकार कानूनी अधिकार है, लेकिन कानून में यह प्रावधान भी है कि यदि किसी को सजा दी गई और न्यायालय उस सजा पर स्टे लगा दे, तो उसे प्रचार का अधिकार मिल सकता है, साथ ही वो अपना नामांकन भी कर सकता है। कपिल सिब्बल ने बोला कि उनसे यह पूछा जाना चाहिए कि हार्दिक पटेल कैसे चुनाव लड़े थे। उनके चुनाव लड़ने पर उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी थी, उसके बाद वे उच्चतम न्यायालय गए और न्यायालय ने उच्च न्यायालय के निर्णय पर स्टे लगा दिया। जिसके बाद हार्दिक पटेल चुनाव लड़े और बाद में भाजपा में शामिल हो गए। मेरा यह बोलना है कि जिनके विरुद्ध आपके पास सबूत हैं, जिन्हें न्यायालय ने सजा दी है, उन्हें चुनाव लड़ने और प्रचार का अधिकार है,तो फिर जिसपर सिर्फ़ इल्जाम है, उन्हें चुनाव प्रचार का अधिकार क्यों ना मिले? कपिल सिब्बल ने बोला कि मैं जानना चाहता हूं कि प्रवर्तन निदेशालय किस तरह की राजनीति कर रही है। अरविंद केजरीवाल इसी राष्ट्र के नागरिक हैं, फिर उनके साथ यह भेदभाव क्यों?
अरविंद केजरीवाल आदतन क्रिमिनल नहीं
ज्ञात हो कि पिछली सुनवाई में न्यायालय ने अपना निर्णय नहीं सुनाया था, लेकिन प्रवर्तन निदेशालय से कई प्रश्न पूछे थे कि आखिर उन्होंने जांच में इतना समय क्यों लगाया? न्यायालय ने यह बोला था कि अरविंद केजरीवाल आदतन क्रिमिनल नहीं है, फिर क्यों नहीं उन्हें चुनाव प्रचार का अधिकार दिया जाए। न्यायालय ने यह भी बोला था कि चुनाव प्रचार से पहले आखिर क्यों अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी हुई। न्यायालय ने इसे सामान्य मुकदमा नहीं कहा और बोला कि क्यों नहीं उन्हें चुनाव प्रचार करने के अंतरिम जमानत दी जाए, क्योंकि चुनाव पांच वर्ष में एक बार होते हैं।