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मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को नहीं मिली सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को मंगलवार को उच्चतम न्यायालय से कोई राहत नहीं मिली. दो न्यायाधीशों की पीठ ने लोकसभा चुनाव में प्रचार करने के लिए उन्हें अंतरिम जमानत देने पर कोई आदेश नहीं सुनाया. केजरीवाल पर कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े एक मुद्दे में धन शोधन का इल्जाम लगाया गया है.

जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू की दलीलें सुनने के बाद अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया. प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने लोकसभा चुनावों के कारण केजरीवाल के प्रति किसी भी तरह की नरमी दिखाने का कड़ा विरोध किया और बोला कि आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक को अंतरिम जमानत देना नेताओं के लिए एक अलग श्रेणी बनाने के समान होगा. पीठ ने केजरीवाल की गिरफ्तारी के विरुद्ध याचिका पर सुनवाई को दो हिस्सों में बांटा है. केजरीवाल की मुख्य याचिका में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती दी गई है और इसे गैरकानूनी घोषित करने का निवेदन किया गया है, जबकि दूसरा पहलू मौजूदा लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए अंतरिम जमानत देने से संबंधित है. न्यायालय ने अंतरिम जमानत देने के मामले पर निर्णय सुरक्षित रख लिया है. जस्टिस खन्ना ने अंतरिम जमानत के मामले पर निर्णय सुनाने के लिए कोई समय सीमा निर्धारित किए बिना कहा, ‘अगर कल नहीं, तो हम इस मुद्दे पर बृहस्पतिवार को सुनवाई कर सकते हैं. यदि बृहस्पतिवार को नहीं, तो हम अगले हफ्ते विचार करेंगे.’ गौर हो कि मुकदमा 2021-22 के लिए दिल्ली गवर्नमेंट की आबकारी नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में कथित करप्शन और धन शोधन से संबंधित है. यह नीति बाद में रद्द कर दी गई थी. केजरीवाल को 21 मार्च को अरैस्ट किया गया था और वह न्यायिक हिरासत में तिहाड़ कारावास में बंद हैं.

20 मई तक बढ़ी न्यायिक हिरासत

दिल्ली की एक न्यायालय ने धन शोधन मुद्दे में केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 20 मई तक बढ़ा दी. CBI और प्रवर्तन निदेशालय के लिए विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने केजरीवाल की हिरासत 20 मई तक बढ़ा दी. केजरीवाल की हिरासत खत्म होने पर उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से न्यायालय में पेश किया गया था.

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