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माल एवं सेवा कर के सभी मामलों में गिरफ्तारी की कोई जरूरत नहीं : सुप्रीम कोर्ट

उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केंद्र से बोला कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के सभी मामलों में गिरफ्तारी की कोई आवश्यकता नहीं है और ऐसा तभी किया जा सकता है जब गुनाह साबित करने के लिए पक्के सबूत और ठोस सामग्री हो. जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने सीमा शुल्क अधिनियम और GST अधिनियम से संबंधित प्रावधानों की कानूनी वैधता और व्याख्या को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना निर्णय सुरक्षित रखते हुए बोला कि गिरफ्तारी की शक्ति गिरफ्तारी की आवश्यकता से अलग है.

पीठ ने गवर्नमेंट की तरफ से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से कहा, ‘कानून यह नहीं कहता है कि जांच पूरी करने के लिए आपको अरैस्ट करने की आवश्यकता है. कानून का यह उद्देश्य नहीं है. GST के हरेक मुद्दे में आपको गिरफ्तारी की आवश्यकता नहीं है. यह कुछ विश्वसनीय साक्ष्य और ठोस सामग्री पर आधारित होनी चाहिए.

जीएसटी कानून के अनुसार गिरफ्तारी के प्रावधानों पर राजू से कई प्रश्न पूछने वाली पीठ ने बोला कि कानून ने स्वयं ही स्वतंत्रता को ऊंचे मुकाम पर रखा है और इसे कमजोर नहीं किया जाना चाहिए. इस पर अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘गिरफ्तारी सिर्फ़ शक पर आधारित नहीं, यह तभी की जाती है जब यह मानने के कई कारण हों कि यह किसी गंभीर क्राइम के घटित होने का संकेत दे रहा है.’ उन्होंने बोला कि विश्वास करने का कारण क्राइम किए जाने की कठोर व्याख्या पर आधारित नहीं हो सकता है.

इस दलील पर पीठ ने कहा, ‘इस संबंध में फैसला गिरफ्तारी से पहले होना चाहिए.’ पीठ ने बोला कि वह सीमा शुल्क अधिनियम और GST अधिनियम के अनुसार ‘विश्वास करने के कारण’ और ‘गिरफ्तारी के आधार’ के प्रश्न की जांच करेगी.

याचिकाकर्ताओं ने सीमा शुल्क अधिनियम और GST अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती देते हुए बोला है कि दोनों कानूनों के अनुसार गिरफ्तारी प्रावधानों का घोर दुरुपयोग किया जा रहा है. उन्होंने धमकाए जाने और मुनासिब प्रक्रिया का पालन किए बगैर भुगतान के लिए विवश किए जाने का इल्जाम भी लगाया है.

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