मदिरा दुकानों के लिए आबकारी विभाग अपनाएगा क्लस्टर मॉडल
मदिरा दुकानों के आवंटन के लिए अब आबकारी विभाग क्लस्टर मॉडल को अपनाएगा।मदिरा दुकानों के नवीनीकरण, दुकानों की नीलामी और इसके बाद बिडिंग की तिहरी प्रक्रिया सफल नहीं रही है।इसलिए अब दुकानों का आवंटन क्लस्टर मॉडल पर करने की तैयारी है।
क्या है विभाग का यह नया मॉडल
आबकारी विभाग इस साल मदिरा दुकानों के सेटलमेंट में काफी हद तक सफल नहीं हो सका है।दरअसल पूर्व में आबकारी नीति में मदिरा दुकानों के नवीनीकरण का विकल्प दिया गया था।लेकिन गारंटी पूर्ति नहीं होने और मदिरा अनुज्ञाधारियों के रुचि नहीं दिखाने के चलते महज एक तिहाई दुकानों का ही नवीनीकरण हो सका था।
इसके बाद विभाग ने दुकानों के ऑक्शन का कोशिश किया था, लेकिन इसमें भी विभाग को खास कामयाबी नहीं मिल सकी।आचार संहिता निकट देख विभाग ने ऑक्शन प्रक्रिया को रोककर अगले 3 महीने के लिए सभी दुकानों को मौजूदा अनुज्ञाधारियों को ही संचालित करने के निर्देश दिए।जिसके विरोध में कई अनुज्ञाधारियों ने उच्च न्यायालय में भी याचिका दाखिल की थी।
प्रदेश में 4164 मदिरा दुकानें बची हुई
अब आचार संहिता में ई-बिडिंग के जरिए तीसरी बार दुकानों को आवंटित करने की तैयारी की जा रही है।ई-बिडिंग में शामिल होने की आखिरी तिथि 29 मई है।हालांकि इस बीच विभाग ने क्लस्टर मॉडल को लेकर भी तैयारी प्रारम्भ कर दी है।विभाग के सभी जिला आबकारी ऑफिसरों को मदिरा दुकानों का क्लस्टर बनाने के निर्देश दिए गए हैं।
ऑक्शन के बाद भी बड़ी संख्या में बची दुकानें
क्लस्टर के अनुसार मदिरा दुकानों का आवंटन ई-बिडिंग के आधार पर किया जाएगा।इसमें निविदादाता को क्लस्टर की वार्षिक गारंटी के बराबर या अधिक हैसियत के प्रमाण के रूप में तहसीलदार द्वारा जारी हैसियत प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना जरूरी होगा।क्लस्टर बनाने का आबकारी विभाग का मुख्य उद्देश्य यही है जिससे कि राजस्व अर्जन में वृद्धि हो सके और सभी मदिरा दुकानों का बंदोबस्त किया जा सके।