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भारत में उन्नत फोरेंसिक प्रयोगशालाओं की संख्या शीघ्र जांच के लिए बढ़ाने की है जरूरत :अरुण कुमार मिश्रा

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के कोर समूह की बैठक हुई. इस दौरान, एनएचआरसी अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेनि) अरुण कुमार मिश्रा ने बोला कि हिंदुस्तान में तकनीकी रूप से उन्नत फोरेंसिक प्रयोगशालाओं की संख्या शीघ्र जांच के लिए बढ़ाने की आवश्यकता है. एनएचआरसी ने एक बयान में कहा कि बुधवार को आपराधिक इन्साफ प्रणाली सुधारों पर एक कोर ग्रुप की बैठक आयोजित की गई है.

विश्लेषण विंग के साथ एक प्रशिक्षण अकादमी भी स्थापित करना चाहिए
बयान के अनुसार, चर्चा के दौरान इस बात पर बल दिया कि लोक अभियोजक मुकदमे के चरण में बहुत जरूरी किरदार निभाते हैं. लोक अभियोजकों की नियुक्ति में पारदर्शिता और योग्यता सुनिश्चित करने के लिए कैडर-आधारित सेवा जरूरी है. लोक अभियोजकों के लिए अध्ययन और विश्लेषण विंग के साथ एक प्रशिक्षण अकादमी भी स्थापित करना चाहिए. बैठक में लोक अभियोजकों के लिए बुनियादे ढांचे के साथ एक कार्यालय का भी समर्थन किया गया. वहीं, गवाह परीक्षण न्यायधीशों की स्थान सार्वजनिक अभियोजकों का विशेषाधिकार होना चाहिए.

डिजिटल फोरेंसिक को भी मजबूत करना आवश्यक
एनएचआरसी अध्यक्ष मिश्रा ने बोला कि आपराधिक इन्साफ प्रणाली में फोरेंसिक जांच एक जरूरी किरदार निभाती है. फोरेंसिक जांच में देरी से इन्साफ में देरी होती है. एनएचआरसी प्रमुख ने बोला कि आज कल साइबर क्राइम बढ़ रहे हैं. ऐसे में नयी चुनौतियों से निपटने के लिए डिजिटल फोरेंसिक को भी मजबूत करना जरूरी है. उन्होंने सरकारी अभियोजकों, फोरेंसिक टीमों और पुलिस के बीच व्यवस्थित समन्वय बढ़ाने पर बल दिया. बैठक में मिश्रा ने बोला कि न्यायालय के निर्णय समझना आम आदमी के लिए कठिन हो जाता है. क्योंकि यह अधिकतर अंग्रेजी में दिए जाते हैं.

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