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बौद्ध धर्म में यकीन नहीं करते पीएम मोदी

नई दिल्ली: बौद्ध धर्म के अनुयायी कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस हफ्ते बौद्ध धर्म के प्रति कथित उदासीनता के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी पर धावा बोला. एक साक्षात्कार में उन्होंने पीएम की बौद्ध धर्म में आस्था पर प्रश्न उठाए. खड़गे ने बोला कि, ‘बुद्ध को विष्णु का 9वां अवतार माना जाता है. वह (पीएम मोदी) बुद्ध को करीब नहीं आने देते. उत्तराखंड में कानून है कि यदि कोई बौद्ध धर्म अपनाना चाहता है तो उसे जिला मजिस्ट्रेट के पास जाना होगा. खड़गे ने कहा, बौद्ध धर्म हिंदुस्तान में स्थापित हुआ था, लेकिन आप (पीएम मोदी) इसमें विश्वास नहीं करते.

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के इल्जाम गंभीर हैं, लेकिन इसके विरुद्ध भी कुछ तथ्य ऐसे सामने आए हैं, जो बताते हैं कि यह इल्जाम सच्चाई से बहुत दूर है. हिंदुस्तान गवर्नमेंट से जुड़े सूत्र, प्रधान मंत्री द्वारा उठाए गए तरीकों की एक लंबी सूची का हवाला देते हैं, जो बौद्ध धर्म के प्रति उनके सम्मान को दर्शाता है. पहला अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शिखर सम्मेलन अप्रैल 2023 में मोदी गवर्नमेंट द्वारा आयोजित किया गया था. गत साल के कार्यक्रम में पीएम ने बोला था कि, “IBC (अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ) जैसे मंच समान विचारधारा वाले और समान दिल वाले राष्ट्रों को बुद्ध धम्म और शांति फैलाने का अवसर दे रहे हैं.

सरकारी सूत्रों ने एक अन्य तरीका के रूप में बौद्ध सर्किट के विकास का भी हवाला दिया. एक सरकारी अधिकारी ने बोला कि,  “मोदी गवर्नमेंट ने बुद्ध की शिक्षाओं को लोगों तक पहुंचाने का काम किया है. बौद्ध सर्किट ऐसा ही एक कदम है. यह ईश्वर बुद्ध के जीवन से जुड़े विभिन्न स्थानों को जोड़ता है. इससे बौद्ध पर्यटन को भी बढ़ावा मिलता है.” कुशीनगर तरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के विकास के साथ हिंदुस्तान और विदेश के तीर्थयात्रियों के लिए बेहतर कनेक्टिविटी इसका एक और उदाहरण है. 2021 में प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने उस क्षेत्र में हवाई अड्डे का उद्घाटन किया जहां ईश्वर बुद्ध ने महापरिनिर्वाण प्राप्त किया था. कुशीनगर तरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पूरे विश्व के बौद्ध समाज की भक्ति को एक श्रद्धांजलि है.

चाहे वह प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लुंबिनी में हिंदुस्तान तरराष्ट्रीय बौद्ध संस्कृति और विरासत केंद्र की आधारशिला रखना हो या वडनगर को UNESCO की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल करने का उनका प्रयास, सरकारी सूत्रों ने कहा, मौजूदा गवर्नमेंट का इरादा बहुत साफ है. एक विशेष संकेत में, ईश्वर बुद्ध के पवित्र अवशेषों को प्रदर्शनी के लिए हिंदुस्तान से मंगोलिया ले जाया गया. इसी तरह, ईश्वर बुद्ध और उनके दो शिष्यों के पवित्र अवशेषों को 26 दिवसीय प्रदर्शनी के लिए थाईलैंड भेजा गया था. बैंकॉक में अवशेषों को श्रद्धापूर्वक और एक भव्य कार्यक्रम के साथ प्राप्त किया गया.

भारत के साथ-साथ विदेशों में बौद्ध विरासत के प्रचार और संरक्षण के लिए विभिन्न बौद्ध संस्थानों को वित्तीय सहायता दी गई. ऑफिसरों ने बोला कि प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने सुनिश्चित किया कि बौद्ध धर्म को बढ़ावा देने के लिए वेसाक पूर्णिमा, आषाढ़ पूर्णिमा और अभिधम्म दिवस जैसे विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएं. खड़गे के सियासी आरोपों का उत्तर देते हुए, सरकारी सूत्रों ने बोला कि कैसे पीएम ने नेपाल को बोधगया के महाबोधि मंदिर में बोधि वृक्ष का एक पौधा उपहार में दिया था. एक विशेष रेट में, उन्होंने जापानी पीएम फुमियो किशिदा को बाल बोधि वृक्ष का एक पौधा भी उपहार में दिया.

बौद्ध सर्किट के भीतर यात्रा की सुविधा के लिए मोदी गवर्नमेंट द्वारा बुद्ध पूर्णिमा एक्सप्रेस विशेष ट्रेन भी प्रारम्भ की गई है. मोदी गवर्नमेंट ने सारनाथ और कुशीनगर जैसे तीर्थस्थलों का भी कायाकल्प किया है. मई 2022 में लुंबिनी में हिंदुस्तान तरराष्ट्रीय बौद्ध संस्कृति और विरासत केंद्र की आधारशिला भी रखी गई थी. बौद्ध धर्म को पूरे विश्व में ले जाने की बात करते हुए, पीएम मोदी ने सितंबर 2019 में संयुक्त देश महासभा (UNGA) के भाषण में बुद्ध का उल्लेख किया था. उन्होंने बोला था कि, “हम एक ऐसे राष्ट्र से हैं जिसने दुनिया को युद्ध नहीं बल्कि ‘बुद्ध’ दिया है.” एक अन्य उदाहरण में, उन्होंने और मंगोलिया के राष्ट्रपति खल्टमागिन बटुल्गा ने संयुक्त रूप से 2019 में उलानबटार में ऐतिहासिक गंडन तेगचेनलिंग मठ में स्थापित ईश्वर बुद्ध और उनके दो शिष्यों की एक प्रतिमा का अनावरण किया.

सरकारी सूत्रों ने बोला कि प्रधान मंत्री के विरुद्ध खड़गे के इल्जाम के बावजूद, प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्य, उनके शब्दों से अधिक बल से बोलते हैं. यही नहीं स्वयं बौद्ध समुदाय के नेता भी सामने आए हैं और सियासी उद्देश्यों के लिए बौद्ध धर्म का इस्तेमाल करने के कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष के कोशिश की आलोचना की है. भारतीय बौद्ध संघ के अध्यक्ष भंते संघप्रिय राहुल ने कांग्रेस पार्टी प्रमुख के आरोपों पर बोला कि, “मल्लिकार्जुन खड़गे की टिप्पणी निंदनीय है. 2014 में पहली बार प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने तालकटोरा स्टेडियम में ईश्वर बुद्ध की जयंती मनाई थी, जो आजादी के बाद पहली बार किसी पीएम ने ऐसा किया था. जब वह गुजरात के सीएम थे, तो उन्होंने विधानसभा के अंदर और मुख्यमंत्री आवास पर भी बुद्ध की एक मूर्ति लगाई थी. मैं मल्लिकार्जुन खड़गे से पूछना चाहता हूं कि जब मनमोहन सिंह की गवर्नमेंट थी, तब आपने बुद्ध पर ध्यान क्यों नहीं दिया, आपने बुद्ध का उत्सव क्यों नहीं मनाया?”

 

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