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बिहार पुलिस के लाठीचार्ज में भाजपा नेता की मौत,अदालत ने जल्द सुनवाई के दिए निर्देश

पटना: उच्चतम न्यायालय ने आज सोमवार (31 जुलाई) को पटना हाई कोर्ट से आग्रह किया कि वह बिहार की राजधानी में 13 जुलाई को हुई घटना की केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से जांच कराने की मांग वाली याचिका पर तुरन्त सुनवाई करे, जिसमें बीजेपी (भाजपा) के एक नेता की मृत्यु हो गई थी. बीजेपी नेता, नीतीश कुमार गवर्नमेंट के विरुद्ध विरोध मार्च में हिस्सा ले रहे थे. जबकि, न्यायमूर्ति सूर्यकांत की प्रतिनिधित्व वाली पीठ ने पहली बार में सीधे तौर पर एक रिट याचिका पर विचार करने से परहेज किया, लेकिन इसने याचिकाकर्ता बिहार निवासी भूपेश नारायण को हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता दी.

अदालत ने निर्देश दिया कि, “हम हाई कोर्ट से मुद्दे की तुरन्त सुनवाई करने और इस पर शीघ्र फैसला लेने का कोशिश करने का निवेदन करते हैं.न्यायालय ने याचिका की संक्षिप्त सुनवाई के दौरान कहा कि नारायण जो निर्देश चाहते हैं, उसे जारी करने के लिए हाई कोर्ट भी समान रूप से सक्षम है. पीठ ने याचिकाकर्ता का अगुवाई करने वाले वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी से बोला कि, ‘यह न्यायालय आमतौर पर सिर्फ़ तभी हस्तक्षेप करती है, जब किसी याचिका में कुछ ऐसी प्रार्थनाएं होती हैं, जिन्हें हाई कोर्ट द्वारा स्वीकार नहीं किया जा सकता है. लेकिन यदि हाई कोर्ट संतुष्ट हो जाता है तो आपकी सभी प्रार्थनाएँ स्वीकृत होने में सक्षम हैं. वे उच्च ऑफिसरों को बुला सकते हैं और स्पष्टीकरण मांग सकते हैं. कथित पुलिस क्रूरता पर न्यायिक समीक्षा की शक्ति सर्वोच्च कोर्ट तक सीमित नहीं है.

अदालत के विचारों को स्वीकार करते हुए, जेठमलानी ने पीठ से हाई कोर्ट के समक्ष सुनवाई में तेजी लाने के लिए कुछ निर्देश जारी करने का निवेदन किया, उन्होंने कम्पलेन करते हुए बोला कि मृतक के परिवार को उसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी नहीं दी गई थी. इसके उत्तर में, न्यायालय ने जेठमलानी से बोला कि वह किसी मुद्दे पर निर्णय करने के लिए किसी अन्य संविधान न्यायालय के लिए समयसीमा तय नहीं कर सकती, लेकिन वह वास्तव में याचिका का निपटारा करते समय पटना हाई कोर्ट से याचिका पर तुरन्त सुनवाई करने का निवेदन कर रही है.

बता दें कि, बिहार के जहानाबाद जिले के बीजेपी नेता विजय सिंह की राज्य गवर्नमेंट की शिक्षक भर्ती नीति के विरुद्ध आंदोलन के समर्थन में आयोजित ‘विधानसभा मार्च’ में भाग लेने के दौरान मौत हो गई थी. जबकि पार्टी नेताओं का दावा था कि बिहार पुलिस द्वारा किए गए क्रूर लाठीचार्ज में उनकी मौत हो गई. वहीं, पटना में जिला प्रशासन ने एक बयान जारी कर बोला था कि उनके शरीर पर “कोई चोट के निशान नहीं” पाए गए. नारायण ने 13 जुलाई की घटना की CBI जांच की मांग की या शीर्ष न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल (SIT) के गठन का आदेश दें. याचिका में बोला गया है कि 13 जुलाई को बीजेपी द्वारा आयोजित शांतिपूर्ण जुलूस के दौरान हुई घटना के असली अपराधियों को बचाने में बिहार के सीएम नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और बिहार के पुलिस महानिदेशक सहित अन्य ऑफिसरों की कथित किरदार थी. ” याचिका में इसकी भी जांच कराए जाने की मांग की गई है.

याचिका में इल्जाम लगाया गया कि जुलूस के सदस्यों को पूर्व नियोजित ढंग से अचानक पुलिस ने घेर लिया और भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज, पानी की बौछार और आंसू गैस के गोले का इस्तेमाल किया गया, जिसके परिणामस्वरूप अराजक स्थिति पैदा हो गई. याचिका में बोला गया कि “पुलिस की बर्बरता और अत्याचार” जिसके परिणामस्वरूप सिंह की मौत हो गई. वकील बरुण कुमार सिन्हा द्वारा तैयार की गई याचिका में बोला गया है कि, “लोकतांत्रिक राष्ट्र में, सरकारी नीति के विरुद्ध शांतिपूर्ण जुलूस या मार्च या प्रदर्शन विरोध का एक अच्छी तरह से मान्यता प्राप्त तरीका है.

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