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पीएम मोदी के बांसवाड़ा भाषण पर चुनाव आयोग ने भाजपा से माँगा जवाब

नई दिल्ली, पीएम मोदी द्वारा आदर्श आचार संहिता के तथाकथित उल्लंघन पर संज्ञान लेते हुए भारतीय निर्वाचन आयोग ने कांग्रेस, भाकपा और भाकपा-माले की शिकायतों पर बीजेपी से 29 अप्रैल तक उत्तर मांगा है.

चुनाव आयोग को अपनी कम्पलेन में विपक्षी दलों ने 21 अप्रैल को राजस्थान के बांसवाड़ा में एक रैली को संबोधित करते हुए प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी पर चुनावी नियमों के साथ-साथ भारतीय दंड संहिता का घोर उल्लंघन करने का इल्जाम लगाया.

कांग्रेस ने बोला कि मौजूदा लोकसभा चुनावों के लिए बीजेपी के ‘स्टार प्रचारक’ पीएम द्वारा दिया गया भाषण “अत्यधिक आपत्तिजनक, विभाजनकारी और प्रथम दृष्टया गैर-कानूनी” था.

रैली के दौरान प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने बोला था, ”कांग्रेस का घोषणापत्र कहता है कि मां-बहनों से सोने का हिसाब लेंगे और फिर उस संपत्ति को बांट देंगे. किसको बांटेंगे…मनमोहन सिंह की गवर्नमेंट ने बोला था कि सबसे पहले मुसलमानों को राष्ट्र की संपत्ति पर अधिकार है.

“जब पहले उनकी गवर्नमेंट सत्ता में थी, तब उन्होंने बोला था कि राष्ट्र की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है. इसका मतलब है कि यह संपत्ति किसको वितरित की जाएगी? यह घुसपैठियों को और उन लोगों के बीच वितरित की जाएगी जिनके अधिक बच्चे हैं. क्या आपके मेहनत की कमाई घुसपैठियों को बांटी जाए और क्या आपको यह सचमुच मंजूर है?”

भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को 29 अप्रैल सुबह 11 बजे तक उत्तर दाखिल करने का निर्देश देते हुए चुनाव आयोग ने बल देकर बोला कि चुनावी लोकतंत्र में सियासी दलों की भूमिका, विशेष रूप से आम चुनावों की अधिसूचना के बाद, जरूरी है और इसलिए इसे लोक अगुवाई अधिनियम के औपचारिक वैधानिक ढांचे में साफ रूप से मान्यता दी गई है.

चुनाव आयोग ने बोला कि ‘स्टार प्रचारक’ का दर्जा देना वैधानिक रूप से जन अगुवाई अधिनियम, 1951 की धारा 77 के अनुसार पूरी तरह से सियासी दलों के दायरे में आता है और ‘स्टार प्रचारकों’ से चर्चा का उच्चतर स्तर कायम रखने में सहयोग की आशा की जाती है. इसके लिए उनसे अन्य बातों से साथ चर्चा को अखिल भारतीय परिप्रेक्ष्य प्रदान करने की अपेक्षा की जाती है, जो कभी-कभी क्षेत्रीय स्तर की प्रतिस्पर्द्धाओं की गर्मी में विकृत हो जाती है.

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