राष्ट्रीय

नोएडा-ग्रेटर नोएडा में ढूंढे से नहीं मिलेंगे छोटे फ्लैट

छोटा सा घर है ये मगर… गाना तो आपने सुना ही होगा लेकिन आने वाले दिनों में आपको नोएडा और ग्रेटर नोएडा में छोटे घर ढूंढे से नहीं मिलेंगे आपको जानकर आश्‍चर्य होगा लेकिन छोटे फ्लैटों को लेकर आई इस जानकारी से स्वयं नोएडा अथॉरिटी भी दंग है जबकि उत्तर प्रदेश के इन चमकते शहरों में किराए पर रहने वाली बहुत बड़ी जनसंख्या छोटा घर लेना चाहती है यहां तक कि ग्रेटर नोएडा में भी लोग ऐसे घरों की चाह में मारे-मारे फिर रहे हैं वहीं आने वाले कुछ वर्षों में ऐसे घरों का और टोटा होने वाला है

बेहद दिलचस्‍प है कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा में बिल्‍डर अब वन बीएचके और टू बीएचके फ्लैट बनाना पसंद नहीं कर रहे अब लगता है कि ऐसा समय आने वाला है कि अब फ्लैट का साइज किसी का स्टेटस नहीं बता सकता जहां मध्यम वर्गीय भी छोटे फ्लैट में इन्वेस्ट करने से कतरा रहे हैं वहीं बिल्‍डर भी 1 बीएचके और 2 बीएचके के बजाय 3, 4 और 5बीएचके फ्लैट्स कंस्‍ट्रक्‍शन में जा रहे हैं यही वजह है कि बीते कुछ वर्षों से वन बीएचके और टू बीएचके फ्लैटों की संख्या में जबरदस्त गिरावट देखी गई है

  

 

नोएडा अथॉरिटी भी हैरान

नोएडा अथॉरिटी के प्लानिंग विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, पिछले 4 वर्ष में 12 ग्रुप हाउसिंग के नए प्रॉजेक्ट आए इनमें सभी प्रॉजेक्ट में 3, 4 और 5 बीएचके फ्लैट हैं इनमें भी प्लस स्टडी और प्लस सर्वेंट रूम वाले फ्लैट अधिक हैं पहले से चल रही ग्रुप हाउसिंग के 36 प्रॉजेक्ट में भी 1 बीएचके का कोई नक्शा नहीं आया है

वहीं 2बीएचके की यदि बात करें तो 6 हजार फ्लैट के पास हुए नक्शों की तुलना में इनकी संख्या 300 से भी कम है वन बीएचके का फ्लैट 1 भी नहीं है ग्रेनो अथॉरिटी के प्लानिंग विभाग के ऑफिसरों ने भी पिछले कई सालों से 1 बीएचके फ्लैट का नक्शा नए प्रॉजेक्ट में नहीं आने की जानकारी दी है

जबकि एक समय था कि नोएडा में स्टूडियो अपार्टमेंट और वन बीएचके के कई प्रॉजेक्ट आ रहे थे इससे पता चलता है कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा हाउसिंग प्रोजेक्ट में छोटे घरों की डिमांड और सेल्स में कमी देखने को मिल रही है

मिडिल क्लास के बजट से बाहर हो रहे फ्लैट

 

राजधानी दिल्ली से सटे नोएडा और ग्रेटर नोएडा में वन और टू बीएचके फ्लैट की मांग कम होने से राष्ट्र के बड़े शहरों में अब बड़ी बिल्डिंग में फ्लैट लेने का सपना मध्यम वर्ग और निम्‍न मध्‍यम वर्ग के बजट से बाहर होता जा रहा है साथ ही इन शहरों में बिल्‍डरों के फ्रॉड के बाद भरोसा करने में हो रही कठिन के चलते लोग छोटे फ्लैटों को रीसेल में लेना काफी पसंद कर रहे हैं

कोविड भी है वजह

देखा जा रहा है कि कोविड के बाद से बड़े शहरों में वर्क फ्रॉम होम का कल्चर बढ़ा है ऐसे में बायर्स अब बड़े घरों की मांग अधिक कर रहे हैं क्रेडाई एनसीआर के अध्‍यक्ष और गौड़ ग्रुप के सीएमडी मनोज गौड़ का बोलना है कि पिछले कुछ समय से गौर करें तो होम बायर्स बड़े घर को लेकर अधिक आकर्षित हो रहे हैं खासकर कोविड के बाद लोगों के कामकाज करने और अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए अधिक स्थान और एक्स्ट्रा कमरों की मांग कर रहे हैं इंवेस्टमेंट में भी बायर्स बड़े घरों के ओर अधिक रुख कर रहे हैं जिससे लग्जरी रियल एस्टेट में अधिक लॉन्च देखे गए हैं डेवलपर्स भी अब इसी सोच के साथ आगे बढ़ रहे हैं इसमें कोई शक नहीं कि आने वाले समय में हाई रेंज वाली प्रोपर्टी की मांग और बढ़ेगी और छोटे घरों की मांग और बिक्री में और कमी आएगी

क्यों घट रही है छोटे फ्लैट की मांग?

एसकेए ग्रुप के डायरेक्‍टर संजय शर्मा का बोलना है कि कोविड-19 महामारी के बाद राष्ट्र के कई हिस्सों में बड़े घरों की मांग लगातार बढ़ती ही जा रही है क्योंकि महामारी के कारण लोगों का काम करने, सीखने और जीवन जीने का तरीका बदल गया है इससे आवासीय घरों की मांग में परिवर्तन आया है एस्कॉन इन्फ्रा रियलटर्स के एमडी नीरज शर्मा का बोलना है कि बड़े घरों की मांग ने रियल एस्टेट बाजार को कई तरह से प्रभावित किया है बड़े घरों की मांग केवल शहरी इलाकों में ही नहीं, बल्कि उनके इर्द-गिर्द के इलाकों जैसे-नोएडा एक्सप्रेसवे, ग्रेटर नोएडा वेस्ट, जेवर में भी किफायती घर आज भी उपस्थित हैं घरों की मांग में तेजी आई है एकांत में काम करने के चलन ने लोगों की हाउसिंग डिमांड को बदल दिया है

 

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