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दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर सड़क पर परेड़ कराने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त,कहा …

मणिपुर में दो स्त्रियों को निर्वस्त्र कर सड़क पर परेड़ कराने के मुद्दे में उच्चतम न्यायालय ने कठोर टिप्पणी करते हुए पुलिस कार्रवाई पर प्रश्न उठाया न्यायालय ने पूछा, जब घटना 4 मई को हुई, तो 14 दिनों के बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज क्यों की इस मुद्दे में मंगलवार को भी उच्चतम न्यायालय में सुनवाई होगी

पुलिस क्या कर रही थी?

मणिपुर वायरल वीडियो मुद्दे में सुनवाई के दौरान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने गवर्नमेंट से पूछा कि पुलिस को जीरो एफआईआर दर्ज करने में 14 दिन क्यों लगे वायरल वीडियो पर उच्चतम न्यायालय ने प्रश्न किया कि जब घटना 4 मई को हुई तो FIR 18 मई को क्यों दर्ज की गई? 4 मई से 18 मई तक पुलिस क्या कर रही थी? यह घटना सामने आई कि स्त्रियों को नग्न कर घुमाया गया और दो के साथ दुष्कर्म किया गया पुलिस क्या कर रही थी? मालूम हो 19 जुलाई को सोशल मीडिया में दो स्त्रियों को निर्वस्त्र कर घुमाने का वीडियो सामने आने के बाद देश-दुनिया में इस घटना के बारे में जानकारी हुई बाद में पता चला की 3 मई को अत्याचार प्रारम्भ होने के अगले ही दिन 4 मई को घटना हुई थी

जांच के लिए एक्सपर्ट कमेटी बनाई जाएगी

सुप्रीम न्यायालय ने सुनवाई के दौरान बोला कि मणिपुर वायरल वीडियो मुद्दे की जांच के लिए एक्सपर्ट कमेटी बनाई जाएगी जिसमें सेवानिवृत्त स्त्री न्यायधीश होंगी सीजेआई ने कहा, इसके लिए गवर्नमेंट नाम सुझा सकती है

सुप्रीम न्यायालय ने पूछा मणिपुर वीडियो मुद्दे में कितनी प्राथमिकियां दर्ज की गईं ?

सुप्रीम न्यायालय ने प्रश्न किया, मणिपुर में स्त्रियों के विरुद्ध अत्याचार को लेकर मई से कितनी प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं साथ ही न्यायालय ने मणिपुर में स्त्रियों के विरुद्ध अत्याचार से निपटने के लिए व्यापक तंत्र विकसित करने का आह्वान किया

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने क्या कहा?

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का बोलना है कि गवर्नमेंट के पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है यह न्यायालय स्थिति पर नजर रख सकती है उन्होंने आगे कहा, यहां या वहां से आने वाली कोई भी चीज घातक होगी मणिपुर अत्याचार मुद्दे में सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रधान न्यायाधीश की प्रतिनिधित्व वाली पीठ से कहा, यदि उच्चतम न्यायालय जांच की नज़र करता है तो हिंदुस्तान गवर्नमेंट को कोई विरोध नहीं है

वीडियो मुद्दे में प्राथमिकी मजिस्ट्रेट न्यायालय में स्थानांतरित करने की बात पर भड़के सीजेआई

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने मणिपुर वीडियो मुद्दे में दर्ज प्राथमिकी को मजिस्ट्रेट न्यायालय में स्थानांतरित करने की बात भी नाराजगी दिखाई न्यायालय ने मणिपुर गवर्नमेंट से पूछा, पुलिस क्या कर रही थी? वीडियो मुद्दे में प्राथमिकी 24 जून को मजिस्ट्रेट न्यायालय में क्यों स्थानांतरित की गई? इसपर केंद्र गवर्नमेंट की ओर से कहा गया, मणिपुर में दो स्त्रियों को निर्वस्त्र करके घुमाने संबंधी मुद्दे की सुनवाई असम में स्थानांतरित करने का निवेदन कभी नहीं किया गया

मणिपुर अत्याचार की एसआईटी जांच के निवेदन वाली जनहित याचिका पर सुनवाई से इनकार

सुप्रीम न्यायालय ने मणिपुर अत्याचार पर दाखिल एक नई जनहित याचिका पर विचार करने से सोमवार को इनकार कर दिया इस याचिका में राज्य में जातीय अत्याचार के अतिरिक्त पोस्ते की कथित खेती और नार्को-आतंकवाद सहित अन्य मुद्दों की विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराने का निवेदन किया गया था शीर्ष न्यायालय ने बोला कि इस जनहित याचिका पर विचार करना बहुत मुश्किल है, क्योंकि इसमें सिर्फ़ एक समुदाय को गुनेहगार ठहराया गया है

मैतेई की ओर से माधवी दीवान ने याचिका वापस लेने का किया था अनुरोध

याचिकाकर्ता मायांगलमबम बॉबी मैतेई की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता माधवी दीवान ने याचिका वापस लेने का निवेदन किया, जिसे शीर्ष न्यायालय ने स्वीकार कर लिया प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा, इस जनहित याचिका पर विचार करना बहुत मुश्किल है, क्योंकि इसमें सिर्फ़ एक समुदाय को गुनेहगार ठहराया गया है पीठ ने कहा,आप एक अधिक विशिष्ट याचिका के साथ आ सकते हैं इस याचिका में अत्याचार से लेकर नशीला पदार्थों और पेड़ों की कटाई सहित सभी मामले शामिल हैं

माधवी दीवान ने अत्याचार के लिए सीमा पार आतंकवाद और पोस्ते की खेती को उत्तरदायी ठहराया

दीवान ने मणिपुर में हाल की अत्याचार के लिए सीमा पार आतंकवाद और राज्य में पोस्ते की खेती को उत्तरदायी ठहराया था याचिका में स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी), राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के साथ-साथ राज्य गवर्नमेंट सहित अन्य को पक्षकार बनाया गया था पीठ के समक्ष मणिपुर अत्याचार के कई पहलुओं से संबंधित अन्य याचिकाएं भी विचाराधीन हैं

मणिपुर अत्याचार मुद्दे में अबतक 160 लोगों की मौत

गौरतलब है कि मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय अत्याचार में अब तक 160 से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी है

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