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दिल्ली सरकार “सत्ता के विनियोग में रुचि रखती है, दिल्ली हाईकोर्ट से केजरीवाल को फटकार

दिल्ली हाई कोर्ट ने एमसीडी विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को पुस्तकों की आपूर्ति नहीं होने पर शुक्रवार को अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली गवर्नमेंट को आड़े हाथ लिया. न्यायालय ने बोला कि केजरीवाल ने कारावास में रहने के बावजूद सीएम पद से त्याग-पत्र न देकर पर्सनल भलाई को राष्ट्रीय भलाई से ऊपर रखा है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने नगर निकाय में गतिरोध के कारण एमसीडी विद्यालयों की खराब स्थिति का मामला उठाने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणी की.

अदालत ने बोला कि दिल्ली गवर्नमेंट “सत्ता के विनियोग में रुचि रखती है”. इसमें आगे बोला गया है कि अब तक उसने “विनम्रतापूर्वक” इस बात पर बल दिया है कि राष्ट्रीय भलाई “सर्वोच्च” है, लेकिन वर्तमान मुद्दे ने खुलासा कर दिया है कि क्या “गलत” था और वह सोमवार को इस मुद्दे में आदेश पारित करेगा. न्यायालय ने बोला कि यह कहते हुए दुख हो रहा है कि आपने अपने भलाई को विद्यार्थियों, पढ़ने वाले बच्चों के भलाई से ऊपर रखा है. यह बहुत साफ है और हम यह निष्कर्ष देने जा रहे हैं कि आपने अपने सियासी भलाई को ऊंचे जगह पर रखा है…यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि आपने ऐसा किया है. यह गलत है और यही बात इस मुद्दे में खुलासा हुई है

इसी को लेकर दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने बोला कि यदि कोई सरकारी कर्मचारी किसी भी इल्जाम में पकड़ा जाता है तो 48 घंटे के अंदर उसका त्याग-पत्र ले लिया जाता है अरविंद केजरीवाल, आप गवर्नमेंट चलाने वाले सीएम हैं. आपको लज्जा आनी चाहिए! आपको अब तक त्याग-पत्र दे देना चाहिए था, लेकिन कुर्सी और जनता के पैसे से बनाये गये बंगले का मोह आपको यह पद छोड़ने नहीं दे रहा है. भाजपा नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने बोला कि अरविंद केजरीवाल सत्ता के लालची हैं. उन्हें राष्ट्रहित से अधिक अपने निजी हितों की चिंता है. ये मेरे शब्द नहीं हैं यह टिप्पणी दिल्ली उच्च न्यायालय ने तब की जब उन्होंने बोला कि दिल्ली का शिक्षा मॉडल फेल हो गया है…अरविंद केजरीवाल कारावास में रहने के बावजूद मुख्यमंत्री बने रहना और सत्ता का आनंद लेना चाहते हैं…अरविंद केजरीवाल, यदि आपमें थोड़ी भी लज्जा है तो आप दिल्ली उच्च न्यायालय की इस टिप्पणी के बाद उन्हें त्याग-पत्र दे देना चाहिए.

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