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जानें सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि मामले में किससे क्या-क्या कहा…

Patanjali Ramdev Case: सुप्रीम न्यायालय (SC) ने भ्रामक विज्ञापन मुद्दे में योग गुरु रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के व्यवस्था निदेशक (एमडी) आचार्य बालकृष्ण द्वारा बिना शर्त माफी मांगने के लिए दाखिल किए गए हलफनामों को स्वीकार करने से साफ इनकार कर दिया. इस दौरान न्यायालय ने बोला कि उन्होंने (रामदेव, बालकृष्ण) ने माफीनामा तब भेजा है जब ‘‘उनकी गलती पकड़ ली गई है.’’ न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा, ‘‘हम इस मुद्दे में इतने उदार नहीं बनना चाहते.’’ बुधवार को सुनवाई के दौरान न्यायालय ने कई अहम और बड़ी बातें कहीं.

न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति ए अमानुल्लाह की पीठ ने मुद्दे में केंद्र की प्रतिक्रिया पर भी असंतोष व्यक्त किया. इसके अलावा, शीर्ष न्यायालय ने कंपनी के संस्थापकों के साथ “हाथ मिलाने” के लिए राज्य गवर्नमेंट के ऑफिसरों को भी फटकार लगाई. आइए जानते हैं कि उच्चतम न्यायालय ने पतंजलि मुद्दे में किससे क्या-क्या कहा.

कोर्ट ने ऑफिसरों से क्या-क्या कहा-

1. कोर्ट ने इस मुद्दे पर निष्क्रियता बरतने के लिए राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण के प्रति भी कड़ी नाराजगी जताई और बोला कि वह इसे हल्के में नहीं लेगा. पीठ ने कहा, ‘‘हम आपकी बखिया उधेड़ देंगे.’’

2. शीर्ष न्यायालय ने उत्तराखंड लाइसेंसिंग प्राधिकरण के प्रति नाराजगी जताते हुए कहा, ‘‘हम यह जानकर चकित हैं कि फाइलों को आगे बढ़ाने के अतिरिक्त राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण ने कुछ नहीं किया और वह चार-पांच वर्ष से इस मामले को लेकर गहरी नींद में था. आप पोस्ट ऑफिस की तरह काम कर रहे हैं.’’

3. न्यायालय ने कहा, “आप लोगों की जिंदगियों से जुड़े काम कर रहे हैं लेकिन आप लोगों के जीवन से खेल भी रहे हैं.

4. इसके अलावा, न्यायालय ने आगे कहा, “जब लोग ये दवाइयां ले रहे थे और उन्हें बेवकूफ बनाया जा रहा था तो आपने क्या किया?” कोर्ट ने प्राधिकरण की ओर से मौजूद राज्य के अधिकारी से इस निष्क्रियता का कारण पूछा.

5. न्यायालय ने उत्तराखंड के ऑफिसरों से कहा, “हमें यह क्यों नहीं सोचना चाहिए कि आप कथित अवमाननाकर्ताओं के साथ मिले हुए हैं? आप जानबूझकर अपनी आंखें बंद रखे हुए हैं. हम इसे हल्के में नहीं लेंगे. हम आपकी बखिया उधेड़ देंगे.

कोर्ट ने पतंजलि के बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण से क्या कहा- 

1. शीर्ष न्यायालय ने बोला कि जब रामदेव और बालकृष्ण को ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी किए गए और उन्हें न्यायालय के सामने पेश होने का निर्देश दिया गया, तो उन्होंने उस स्थिति से ‘‘बचने का कोशिश किया’’ जहां पर्सनल पेशी महत्वपूर्ण थी. कोर्ट ने बोला कि यह ‘‘बेहद अस्वीकार्य’’ है.

2. पीठ ने आदेश सुनाते हुए कहा, ‘‘मामले के पूरे इतिहास और अवमाननाकर्ताओं के पिछले आचरण को ध्यान में रखते हुए हम उनके द्वारा दाखिल नवीनतम हलफनामे को स्वीकार करने के निवेदन पर अपनी विरोध व्यक्त करते हैं.’’

3. न्यायालय ने कहा, “हमें लगता है कि गलती पकड़े जाने पर और स्वयं को अप्रिय स्थिति में पाने पर यह माफीनामा दिया गया. हम इसे स्वीकार करने या माफ करने से इनकार करते हैं. माफी उस कागज के लायक नहीं है जिस पर वह लिखी गई है. हम इसे आदेश का जानबूझकर किया गया उल्लंघन और वचनबद्धता (commitment) का उल्लंघन मानते हैं….

4. न्यायालय ने कहा, “माफी मांगना पर्याप्त नहीं है. आपको न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करने का रिज़ल्ट भुगतना होगा. हम इस मुद्दे में उदार नहीं बनना चाहते.

5. न्यायालय ने कहा, “एक आदमी दया मांग रहा है, लेकिन उन अनगिनत बेगुनाह लोगों का क्या जिन्होंने दवा ली?”

6. न्यायालय ने कहा, “पतंजलि के एमडी और रामदेव ने विदेश यात्रा के झूठे दावे करके न्यायालय के समक्ष पर्सनल उपस्थिति से बचने की प्रयास की. शीर्ष न्यायालय ने बोला कि जब रामदेव और बालकृष्ण को ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी किए गए और उन्हें न्यायालय के सामने पेश होने का निर्देश दिया गया, तो उन्होंने उस स्थिति से ‘‘बचने का कोशिश किया’’ जहां पर्सनल पेशी महत्वपूर्ण थी.

 

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