राष्ट्रीय

चुनाव आयोग मतदान में गिरावट को लेकर हुए बहुत चिंतित

लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को संपन्न हो गया. इस बार हिंदुस्तान में सात चरणों में आम चुनाव हो रहे हैं और 2019 की तुलना में इस वर्ष पहले चरण में कुल मतदान फीसदी में लगभग तीन फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है जिसने चुनाव आयोग की चिंता बढ़ा दी है. पहले चरण के लिए मतदान करने वाले 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से 19 प्रदेशों में मतदान में गिरावट दर्ज की गई है. इसे लेकर चिंतित चुनाव आयोग मतदान फीसदी बढ़ाने के लिए अपनी रणनीति में सुधार करने की प्लानिंग कर रहा है.

चुनाव आयोग ने यह स्वीकार किया कि “मतदान में गिरावट को लेकर वह बहुत चिंतित है”, इसे लेकर चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बोला कि मतदाताओं का उत्साह, हालांकि साफ था, उन्हें मतदान केंद्रों तक लाने के लिए पर्याप्त नहीं था. “चुनाव आयोग ने मतदान को बढ़ाने के लिए वोटरों को सतर्क करने के लिए मतदान की अपील पुरजोर तरीक से की थी. मतदान को एक सुखद अनुभव बनाने के लिए मतदान केंद्रों पर सुविधाओं में भी सुधार करने के कोशिश किए गए थे, लेकिन ऐसा लगता है कि वे कम पड़ गए हैं.

मतदान कम होने की ये वजहें भी हो सकती हैं

सूत्रों ने मीडिया को कहा कि चुनाव आयोग कम मतदान के कारणों का विश्लेषण कर रहा है और इस हफ्ते के अंत तक बैठकें कर इस मामले पर चर्चा की गई और एक टर्नआउट कार्यान्वयन कार्यक्रम के अनुसार सोमवार तक और अधिक रणनीतियां तैयार की जाएंगी.

सूत्रों के अनुसार, कम मतदान का संभावित कारण गर्मी भी हो सकती है क्योंकि इस बार मतदान 2019 की तुलना में आठ दिन बाद प्रारम्भ हुआ है. कई मतदाताओं द्वारा रिज़ल्ट को पहले से तय निष्कर्ष मानने के कारण उत्पन्न उदासीनता; और त्योहार और विवाह के मौसम के साथ चुनाव की तारीखों का विवाद भी हो सकता है.

इन राज्यों में कम रहा मतदान प्रतिशत

राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में से, सिर्फ़ तीन राज्यों – छत्तीसगढ़, मेघालय और सिक्किम – में 2019 की तुलना में अधिक मतदान हुआ है. वहीं, नागालैंड में 57.7% मतदान हुआ, जो 2019 की तुलना में 25 फीसदी अंक कम है. मणिपुर में भी मतदान में गिरावट हुई है जो 7.7 फीसदी अंक थी, मध्य में प्रदेश में 7 फीसदी अंक से अधिक और राजस्थान और मिजोरम में 6 फीसदी अंक से अधिक गिरावट दर्ज की गई है.

बिहार जैसे राज्य में पहले चरण में सबसे कम 49.2% मतदान दर्ज किया गया; भले ही इसने चुनाव आयोग को आश्चर्यचकित नहीं किया क्योंकि सर्वेक्षण में वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र को कवर किया गया था, 2019 में संबंधित मतदान 53.47% अधिक था. वहीं, उत्तर प्रदेश में भी मतदान फीसदी 66.5% से घटकर 61.1% रह गया.

जिन दो राज्यों – तमिलनाडु और उत्तराखंड – में मतदान संपन्न हो चुका है, उनमें दक्षिणी राज्य तमिलनाडु में, अभियान के बावजूद मतदान में गिरावट दर्ज हुई, जिसमें तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन की विवादास्पद ‘सनातन धर्म’ टिप्पणी पर द्रमुक और बीजेपी के बीच तीखी नोकझोंक वाली वजह हो सकती है. उत्तराखंड में भी मतदाताओं का उत्साह कम देखा गया, वहां मतदान 2019 में 61.5% से घटकर 57.2% हो गया है. पश्चिम बंगाल, जो एक उच्च मतदान वाला राज्य रहा है, में 81.9% का प्रभावशाली मतदान हुआ, लेकिन यह भी 2019 के 84.7% के आंकड़े से कम था.

मतदान अधिक कराने की हो रही प्लानिंग

चुनाव आयोग के सूत्रों ने बोला कि उन मतदाताओं की पहचान करना कठिन है, जिन्होंने कम मतदान में सहयोग दिया हो. चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने कहा, “हम मतदाताओं का प्रोफाइल नहीं बनाते हैं और उन्हें भिन्न-भिन्न श्रेणियों में नहीं गिनते हैं. एकमात्र निवारण सभी श्रेणियों को उदासीनता से दूर रखने और गिनती में शामिल होने के लिए प्रेरित और एकजुट करना है. आशा है कि 26 अप्रैल को अगले चरण के मतदान प्रारम्भ होने से पहले आयोग संशोधित मतदान-बढ़ाने वाली रणनीतियों के साथ सामने आएगा.

Related Articles

Back to top button