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गर्मी और लू के पूर्वानुमान को लेकर सरकार ने हर जिले में निगरानी करने का लिया फैसला

इस साल अत्यधिक गर्मी और लू के पूर्वानुमान को लेकर गवर्नमेंट ने हर जिले में नज़र करने का निर्णय लिया है. साथ ही सभी गांवों में लू से बचने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डाक्टर मनसुख मांडविया की अध्यक्षता में बुधवार को गर्मी से संबंधित रोंगों के प्रबंधन को लेकर हाई लेवल बैठक हुई. इसमें निर्णय लिया गया कि गर्मी और लू की वजह से आने वाले मुद्दे और मौतों का एक डाटा केंद्रीय स्तर पर तैयार होगा. जिलों और राज्यों से प्राप्त इस डाटा के जरिये यह देखा जाएगा कि राष्ट्र के किन-किन इलाकों में गर्मी जानलेवा बनी हुई है. इन इलाकों में केंद्र गवर्नमेंट की ओर से जानकारों की टीमें सहायता के लिए भेजी जाएंगी.

समय से प्रारम्भ करें तैयारी

केंद्र ने राज्यों से बोला कि गर्मी को लेकर अभी से तैयारियां प्रारम्भ कर दी जाएं, ताकि समय रहते लोगों का बचाव किया जा सके. राज्यों को जरूरी दवाएं, तरल पदार्थ, आइस पैक, ओआरएस, पीने के पानी के साथ-साथ जनता के लिए आईईसी गतिविधि को लेकर सभी तरह की समीक्षाएं करने के लिए भी बोला है. मांडविया ने बोला कि लोगों में जागरूकता के लिए लगातार कोशिश होने चाहिए. उन्होंने राज्यों से मौसम विभाग के अलर्ट मिलते ही समय पर कार्यवाही करने के लिए भी बोला है.

चुनाव प्रचार में व्यस्त नेता और कार्यकर्ता बार-बार पीते रहें पानी

लोकसभा चुनाव को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राय दी है कि चुनाव प्रचार के दौरान सियासी पार्टियों के कार्यकर्ता और प्रत्याशी तेज गर्मी और लू से अपना बचाव करें. बैठक के बाद मांडविया ने बोला कि इस साल मौसम विभाग ने अत्यधिक लू और गर्मी का पूर्वानुमान लगाया है. इसी अवधि में लोकसभा चुनाव भी है. ऐसे में चुनाव प्रचार में व्यस्त सभी प्रत्याशी और कार्यकर्ता बार-बार पानी का सेवन करते हैं. साथ ही जूस का सेवन भी कर सकते हैं जो शरीर को डिहाइड्रेशन से बचाव करेगा और हीट स्ट्रोक के जोखिम को भी कम करेगा.

जलवायु बदलाव से बिगड़ रहे हालात

जलवायु बदलाव लू को कई मायनों में और भी घातक बना देता है. ठीक उसी तरह जैसे ओवन में जितनी अधिक देर तक गर्मी रहती है उतनी ही अधिक चीजें पकती हैं. लू के मुद्दे में इसकी तुलना यहां लोगों से की जा सकती है. धीमी गति से चलती हुई लू की व्यापकता वर्ष रेट वर्ष बढ़ती जाएगी.

आठ के बजाय अब 12 दिन झेलने पड़ रहे लू के थपेड़े

1979 से 1983 तक पूरे विश्व में लू के थपेड़े औसतन आठ दिनों तक चलते थे, लेकिन 2016 से 2020 तक ये 12 दिनों तक बढ़ गए. साइंस एडवांसेज में प्रकाशित शोध के अनुसार, जलवायु बदलाव के कारण पूरे विश्व में लू की घटनाएं धीमी होकर बड़े इलाकों में भारी तापमान के साथ अधिक लोगों को लंबे समय तक झुलसा रही हैं. 1979 के बाद लू 20 प्रतिशत धीमी गति से चल रही है. इसका आशय यह है कि अधिक लोग लंबे समय तक लू की चपेट में आ रहे हैं और ऐसा 67 प्रतिशत अधिक बार हो रहा है. लू के दौरान भयंकर तापमान 40 वर्ष पहले की तुलना में अधिक है और गर्मी का क्षेत्र भी बढ़ गया है. लू पहले से भी घातक और व्यापक हो चुकी है. शोध के दौरान न सिर्फ़ तापमान और क्षेत्र, बल्कि भारी गर्मी कितने समय तक रहती है और यह महाद्वीपों में कैसे फैलती है, इस पर भी गौर किया गया है.

भारत में 20 दिन का अनुमान  शोध के मुताबिक, लंबे समय तक चलने वाले लू के थपेड़ों से यूरेशिया अधिक प्रभावित हुआ. वहीं, 1901 और 2018 के बीच हिंदुस्तान में तापमान 0.7 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है, जिससे हिंदुस्तान में जलवायु बदल गई है. हिंदुस्तान के विभिन्न हिस्सों में चार से आठ दिनों के बजाय 10 से 20 दिन तक लू चलने का अनुमान है.

ग्रीनहाउस गैसें मुख्य कारण

कंप्यूटर सिमुलेशन से पता चला है कि यह बदलाव कोयले, ऑयल और प्राकृतिक गैसों के बेतहाशा जलने से होने वाले उत्सर्जन के कारण हुआ है. शोध में निष्कर्ष निकाला गया है कि पिछले 45 सालों में देखी गई भयंकर लू का सबसे अधिक संबंध ग्रीनहाउस गैसों से है.

आयुष्मान मंदिरों पर कूलर, आइस पैक जैसी सुविधाएं बढ़ाने के निर्देश

बैठक में केंद्रीय राज्य स्वास्थ्य मंत्री डाक्टर भारती प्रवीण पवार ने आयुष्मान आरोग्य मंदिरों को वाटर कूलर, आइस पैक और अन्य बुनियादी संसाधनों से लैस करने के निर्देश भी दिए हैं. इसी बीच नीति आयोग के सदस्य डाक्टर वीके पॉल ने कहा कि सभी जिलों में स्वास्थ्य विभाग की टीमें एक चेकलिस्ट तैयार करें जो दिशानिर्देशों पर आधारित होनी चाहिए. उस चेकलिस्ट के आधार पर जमीनी सुविधाओं का आकलन करें. इससे कम समय में अधिक बेहतर ढंग से तैयारियां करने का अवसर मिलेगा.

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