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केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट पर अगले 5 साल के लिए बढ़ा दिया प्रतिबंध

 केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मोहम्मद यासीन मलिक के नेतृत्व वाले जम्मू और कश्मीर लिबरेशन फ्रंट पर प्रतिबंध अगले 5 वर्ष के लिए बढ़ा दिया है. इसके अतिरिक्त 4 और संगठनों पर नया प्रतिबंध लगाया गया है केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मोहम्मद यासीन मलिक के नेतृत्व वाले जम्मू और कश्मीर लिबरेशन फ्रंट पर प्रतिबंध अगले 5 वर्ष के लिए बढ़ा दिया है. इस सिस्टम पर 2019 में प्रतिबंध लगा दिया गया था

इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपनी एक्स साइट पर पोस्ट किया है, ”मोदी गवर्नमेंट ने ‘जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (मुहम्मद यासीन मलिक विंग)’ को अगले पांच वर्ष के लिए गैरकानूनी संगठन घोषित कर दिया है प्रतिबंधित संगठन जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद के कृत्यों में लिप्त रहता है. यह हिंदुस्तान की अखंडता के लिए खतरे के रूप में कार्य करता रहता है.

मोदी गवर्नमेंट आतंकवादी गतिविधियों में शामिल लोगों और संगठनों को नहीं बख्शेगी उन्होंने कहा, “जो कोई भी राष्ट्र की सुरक्षा, संप्रभुता और अखंडता को चुनौती देगा, उसे गंभीर कानूनी रिज़ल्ट भुगतने होंगे. मोहम्मद यासीन मलिक के नेतृत्व वाले जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट पर अगले 5 सालों के लिए प्रतिबंध बढ़ाने का केंद्रीय गृह मंत्रालय का आदेश राजपत्रित हो गया है.

4 और प्रणालियों पर प्रतिबंध: इसी तरह, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 4 संगठनों जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (मुख्तार अहमद वासा), जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (बशीर अहमद डोटा), जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (गुलाम मोहम्मद खान) और जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (अजीस शेख) पर प्रतिबंध लगा दिया है. इस बारे में अमित शाह ने अपने एक्स पेज पर बोला है, ”केंद्र गवर्नमेंट आतंकवाद के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की नीति पर चल रही है

इस नीति के आधार पर, 4 संगठनों अर्थात् जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (मुख्तार अहमद वासा), जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (बशीर अहमद डोटा), जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (गुलाम मुहम्मद खान) और जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (असीस शेख) को घोषित किया गया है. गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल…  ये संगठन जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद की गतिविधियों में शामिल हैं. मोदी गवर्नमेंट आतंकवाद को समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है.

यह प्रतिबंध जमात-ए-इस्लामी पर अवैध गतिविधि रोकथाम अधिनियम के अनुसार प्रतिबंध लगाए जाने के कुछ दिनों बाद आया है. उल्लेखनीय है कि अवैध गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 केंद्रीय गृह मंत्रालय को किसी भी संगठन को गैरकानूनी घोषित करने की शक्ति देता है.

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