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कब तक भारतीय यात्रियों को बुलेट ट्रेन की यात्रा करने का मिलेगा मौका…

नई दिल्ली केंद्रीय रेलवे और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रेलवे के विकास, रोजगार सृजन, मोदी गवर्नमेंट की अगले पांच वर्ष की विकास योजनाओं के विजन, एआई, टेक्नोलॉजी, निवेश से लेकर कई मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखी उन्होंने आईएएनएस समाचार एजेंसी IANS के साथ वार्ता में बड़ी साफगोई के साथ उत्तर दिया और राष्ट्र की जनता के लिए एक पैगाम भी दे दिया कि अगले पांच वर्ष में गवर्नमेंट की योजना है कि रेलवे में यात्रा करने वाले हर आदमी को कंफर्म टिकट मिल सके

  • सवाल:- जम्मू और कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक रेलवे के विकास पर प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी फोकस कर रहे हैं अब जहां कुछ नहीं था, वहां पर इलेक्ट्रिक ट्रेन की बातें भी सामने आई हैं, मौजूदगी उसकी वहां हो रही है तो कैसे कुछ यह सारा कुछ डिजाइन और उस पर क्या कुछ अपडेट है?

    जवाब :- पिछले 10 सालों में पीएम मोदी ने रेलवे में अभूतपूर्व परिवर्तन किए हैं इसका एक उदाहरण जम्मू कश्मीर का प्रोजेक्ट भी आप देखते हैं आप देखिए, 2014 से पहले के यदि 15 साल को देखें, उन 15 सालों में उतना काम नहीं हुआ जितना कि मोदी गवर्नमेंट ने पिछले 10 सालों में किया है जम्मू कश्मीर बहुत ही चैलेंजिंग प्रोजेक्ट था, लेकिन इस चैलेंजिंग प्रोजेक्ट को एक मैथोडिकल-वे में, साइंटिफिक-वे में काम करके मोदी गवर्नमेंट ने आज उस हालात में लाया कि यहां करीब-करीब 90 प्रतिशत प्रोजेक्ट ऐसे हैं, जिसका उद्घाटन हो चुका है

    आज जम्मू कश्मीर में श्रीनगर घाटी से वाहन पहले से चल रही है, कटरा की ओर, और एक टनल टी-वन टनल का काम तेजी से चल रहा है आने वाले कुछ महीनों में जो ड्रीम प्रोजेक्ट हैं, श्रीनगर से लेकर कन्याकुमारी तक बिल्कुल स्ट्रेट फॉरवर्ड, स्मूथ, सीमलेस रेलवे कनेक्टिविटी हो जाएगी और इस सबमें राष्ट्र का सौभाग्य है कि प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक ऐसा रेलवे प्रोजेक्ट पूरा किया जो कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक लोगों को बिना रुकावट यात्रा कराएगा

सवाल:- बुलेट ट्रेन की बातें हुई बुलेट ट्रेन के लिए प्लान भी हुआ और उस पर तेजी से काम चल रहा है तो, अब क्या डेट्स हैं और कब तक भारतीय यात्रियों को बुलेट ट्रेन की यात्रा करने का मौका मिल सकता है?

जवाब:- देखिए, क्या है कि बुलेट ट्रेन बहुत ही कॉम्प्लेक्स प्रोजेक्ट होता है 2017 में इस पर काम चालू हुआ था और दो साल, ढाई वर्ष लगे पूरा डिजाइन करने में इसकी डिजाइनिंग बहुत ही कॉम्प्लेक्स होती है क्योंकि जिस गति पर ट्रेन को चलना है, उस गति पर कंपन बड़े स्ट्रांग होते हैं तो, उन कंपन को कैसे मैनेज करना है? ऊपर से करंट लेना है तो उस करंट को कैसे लेना है? स्पीड, पूरा का पूरा एयरोडायनेमिक्स वगैरह-वगैरह, सब चीजों को बहुत ध्यान से देखना पड़ता है उसके तुरंत बाद काम चालू हुआ है

बीच में कोविड का थोड़ा सा सेटबैक लगा और कुछ सेटबैक महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की गवर्नमेंट ने दिया उन्होंने प्रोजेक्ट के लिए परमिशन देने से इंकार कर दिया था उसके कारण भी लगा लेकिन, अभी बहुत अच्छी प्रोग्रेस पर काम चल रहा है 290 किलोमीटर से अधिक काम ऑलरेडी हो चुका है आठ नदियों के ऊपर पुल बन चुके हैं 12 स्टेशन पर काम चल रहा है स्टेशन भी बिल्कुल एक लेवल पर आ गए हैं, जिससे कि काम कंप्लीट होने की तरफ है दो डिपो पर काम चल रहा है मतलब एक साथ बहुत ही तेजी से हर दिशा में काम चल रहा है और 2026 में इसका पहला सेक्शन खुलने का टारगेट लेकर काम किया जा रहा है

सवाल:- विकसित हिंदुस्तान की दृष्टि से यदि देखा जाए तो किन खास हिस्सों में आगे तेजी से प्रगति के लिए रेलवे मिनिस्ट्री काम कर रही है?

जवाब :- देखिए रेलवे का बहुत ही जरूरी टारगेट है कि जो हमारी लो इनकम, मिडिल इनकम वाली फेमिलीज है उनके लिए एक अच्छी, अफोर्डेबल, सेफ, टाइमली पहुंचने वाली सर्विस को डेवलप करना इसलिए बहुत महत्वपूर्ण था कि रेलवे की कैपेसिटी को बढ़ाएं रेलवे की कैपेसिटी बढ़ने से ही अधिक ट्रेन चल पाएंगी और अधिक ट्रेन चलने से ही लोगों को जो सुविधा चाहिए, वह मिल पाएगी

इसी कैपेसिटी को बढ़ाने के लिए यदि हम 2014 से 2024 का पीरियड देखें और 2004 से 2014 के साथ उसको कंपेयर करें तो एक बड़ा अंतर आपको दिखाई देगा रेलवे ट्रैक बनाने की जो प्रक्रिया है, उसमें 2004 से 2014 में मात्र 17,000 किलोमीटर ट्रैक बने थे 2014 से 2024 में 31,000 किलोमीटर नए ट्रैक बने इलेक्ट्रिफिकेशन जिससे रेलवे की गति बढ़ाई जा सकती है, वह 2004 से 2014 के 10 सालों में मात्र 5000 किलोमीटर के आसपास हुआ, जबकि 2014 से 2024 के 10 सालों में 44,000 किलोमीटर का रेलवे इलेक्ट्रिफिकेशन हुआ

वैसे ही स्टेशन की बात करें तो एक भी स्टेशन का रीडिवेलपमेंट नहीं हुआ 2004 से 2014 के पीरियड में 2014 से 2024 के पीरियड में 1,324 स्टेशन का रीडेवलपमेंट चल रहा है कोच की मैन्युफैक्चरिंग की बात करें तो 2004 से 2014 के पीरियड में मात्र 32,000 कोच बने थे और 2014 से 2024 के पीरियड में 54,000 कोच बने इलेक्ट्रिक लोको मात्र 2000 बने थे 2004-14 में अब 6500 लोकोमोटिव 2014 से 24 में बने हैं 2014 से पहले डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर जीरो, एक भी किलोमीटर का कमीशनिंग नहीं हुआ था और, अब तक 2014 से 2734 किलोमीटर का डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कमीशन हो चुका है आप देखिए बड़ी संख्या में रेलवे के इंफ्रास्ट्रक्चर को, रेलवे की कैपेसिटी को, रेलवे में कोच की संख्या, रेलवे में लोको की संख्या, ऊपर बिजली के तार इन सब की संख्या बड़ी मात्रा में बढ़ाई गई है और इस सबके लिए गवर्नमेंट ने निवेश किया है गवर्नमेंट का इन्वेस्टमेंट इसमें आया है तो एक अच्छे ढंग से रेलवे की कैपेसिटी बढ़ाई गई, जिससे कि आज जो 2014 से पहले रेलवे की कैपेसिटी थी तो उससे कहीं बेहतर आज परिस्थितियां है और आनें वाले पांच सालों में प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की गारंटी है कि रेलवे की कैपेसिटी इतनी बढ़ाएंगे, जिससे कि करीब-करीब जो भी पैसेंजर ट्रैवल करना चाहें, उनको एक आराम से कन्फर्म टिकट मिल सके

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