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World Earth Day: प्लास्टिक जरूरी या जान…

World Earth Day: इस वर्ष World Earth Day की थीम Planet vs Plastic थी World Earth Day पर पूरी दुनिया में कई कार्यक्रम हुए बड़े-बड़े राष्ट्र प्लास्टिक का इस्तेमाल 60 फीसदी तक कम करने की बात कह रहे हैं हो सकता है आपके मोबाइल टेलीफोन पर भी वर्ल्ड अर्थ डे का मैसेज आया हो जिसमें प्लास्टिक का यूज ना करने की बात लिखी हो हो सकता है जिस समय आप अखबार या टीवी में वर्ल्ड अर्थ डे के बारे में देख और सुन रहे हों उस समय आपके हाथ में भी प्लास्टिक का कोई सामान हो

प्लास्टिक के हानि के बारे में सब जानते हैं

हम सब प्लास्टिक से होने वाले हानि के बारे में जानते हैं प्लास्टिक के हानि पर दूसरों को लंबा चौड़ा ज्ञान देते है दुनिया भी जलवायु बदलाव की बात करती है भिन्न-भिन्न हिस्सों में चल रहे युद्धों की बात करती है लेकिन प्लास्टिक की हम बातें नहीं करते और यदि प्लास्टिक की बातें होती भी हैं तो केवल वर्ल्ड अर्थ डे जैसे मौकों पर ही होती हैं

डराने वाले आंकड़े

संयुक्त देश पर्यावरण कार्यक्रम यानि UNEP के आंकड़ों के अनुसार यदि हम सब इसी रफ्तार से प्लास्टिक का यूज करते रहे तो साल 2050 तक लैंडफिल और पर्यावरण में लगभग 12 अरब मीट्रिक टन प्लास्टिक वाला कूड़ा होगा UNEP के अनुसार पूरे विश्व में हर वर्ष 26 से 27 ट्रिलियन प्लास्टिक बैगों की खपत होती है प्लास्टिक सूप फाउंडेशन के अनुसार पूरे विश्व में हर सेकेंड 15,000 प्लास्टिक की बोतलें बिकती हैं यानी 480 करोड़ हर वर्ष एक बार इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक की बोतलों में से सिर्फ़ 7 प्रतिशत को ही रीसायकल किया जाता है ये तब है जब एक बार इस्तेमाल की जाने वाली बोतलों को रीसायकल करना सरल है

प्लास्टिक को अपना पक्का दोस्त बना लिया

भारत में हर साल करीब 41 लाख टन प्लास्टिक का कचरा फैल रहा है इसमें से केवल 30 प्रतिशत हिस्से को ही रिसाइकिल किया जा रहा है यानि बाकी का प्लास्टिक कचरा या तो कूड़े के पहाड़ पर पहुंच जाता है, या फिर नदियों, समंदर, खेतों में फैल कर धरती को बंजर बना रहा है जिस तरह से आदमी के लिए ऑक्सीजन महत्वपूर्ण है ऑक्सीजन के बिना आदमी नहीं रह सकता… ठीक उसी तरह से इंसानों के लिए प्लास्टिक भी बनता जा रहा है हम सबने बिना हानि को समझे, इसे अपना पक्का दोस्त बना लिया है

भारत में Single-Use Plastic पर बैन

भारत में Single-Use Plastic पर बैन है लेकिन इसके बावजूद आज भी सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल धड़ल्ले से होता है मार्किट में फल सब्जी लेने जाए तो सामान प्लास्टिक की थैली में ही मिलता है हो सकता है आप भी ऐसे ही दुकानों से फल सब्जियां लाते हों इसके अतिरिक्त प्लास्टिक की चम्मच, जूस पीने की स्ट्रॉ समेत प्लास्टिक की कई चीजें बड़े पैमाने पर यूज हो रही है सेंट्रल पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की साल 2020-21 की रिपोर्ट के अनुसार हिंदुस्तान में हर साल 41 लाख टन प्लास्टिक का कचरा पैदा होता है यानी इस हिसाब से हर भारतीय सालाना ढाई किलोग्राम से अधिक प्लास्टिक का कचरा पैदा करता है

वैसे-वैसे मुसीबत भी बढ़ती गई

ये कचरा पर्यावरण को कैसे हानि पहुंचाता है, इसका अन्दाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि हिंदुस्तान की नदियों और समुद्र में हर वर्ष 15 करोड़ टन प्लास्टिक का कचरा फेंका जाता है जबकि गंगा नदी में हर साल डेढ़ करोड़ टन प्लास्टिक का कचरा फेंका जाता है यानी एक तरफ़ हमारे राष्ट्र के लोग गंगा नदी की सौगंध खाते हैं और दूसरी तरफ़ उसी गंगा में कचरा भी फेंकते हैं प्लास्टिक जहां भी पहुंचा वहां उसने हानि किया है हमारे समुद्रों और नदियों में जैसे-जैसे plastic articles बढ़ते जा रहे है वैसे-वैसे मुसीबत भी बढ़ती गई रिपोर्ट्स कहती हैं कि

आदमी हर साल 2000 ट्रक कचरे के बराबर प्लास्टिक समंदर में फेंकता है

– यही हाल रहा तो साल 2050 तक समुद्र में मछलियां कम और प्लास्टिक के टुकड़े अधिक होंगे

– हर वर्ष प्लास्टिक कचरे से 100 मिलियन से भी अधिक समुद्री जीव मर जाते हैं | समुद्री प्लास्टिक प्रदूषण सबसे अधिक 100 फीसदी कछुओं, 59 फीसदी व्हेल और 36 फीसदी Seals को हानि पहुंचा रहा है

– महासागरों में प्लास्टिक कण का बढ़ता अंबार समुद्र के अंदर मूंगा चट्टान को भी हानि पहुंचा रहा है

-वर्ष 2018 में हुई एक रिसर्च में पता चला था कि 11.1 बिलियन से अधिक प्लास्टिक कण मूंगों को बर्बाद कर रहे हैं, और यह संख्या 2025 तक 40% तक बढ़ने का अनुमान है

-एक अनुमान के अनुसार साल 2023 में 200 मिलियन टन प्लास्टिक समंदर में बहाया गया है

चौंकाने वाली रिपोर्ट

देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्थान IIT बॉम्बे के Center for Environment Science and Engineering Department की एक रिपोर्ट में पता चला था कि कई बड़े ब्रांड्स के नमक में microplastics है जो धीरे-धीरे आदमी के शरीर को बीमार बनाने के लिए काफी है

– इस रिसर्च के लिए 8 बड़े कमर्शियल ब्रांड्स के 3-3 पैकेट सैम्पल्स लिए गए थे

– इस स्टडी में पता चला था कि 80 फीसदी Microplastics फाइबर 2000 माइक्रोमीटर के है जबकि 80 फीसदी microplastics fragments 500 माइक्रोमीटर के पाए गए

– चाहे Microplastics फाइबर हो या फिर microplastics fragments, दोनो में ही 61% polyesters, 22% polyethylene, 16% polyamide पाया गया है

– 74% पार्टिकल्स ऐसे हैं जिनमे 19% polyethylene, 7% polyamide, 1% से कम polystyrene मिला है

हर चीज में प्लास्टिक का इस्तेमाल

इन polyethylene terephthylene यानि PET का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर प्लास्टिक बॉटल्स, खाना पैक करने वाले कंटेनर्स, मिनरल वॉटर बॉटल्स, में किया जाता है इस्तेमाल करने के बाद ये सारा सामान नालियों और नदियों के ज़रिए समुद्र में चला जाता है, जो आदमी से लेकर पर्यावरण तक सबके लिए नुकसानदायक है आज के समय में पानी और हवा की तरह प्लास्टिक के बिना भी जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती कप से लेकर हवाई जहाज तक हर चीज में प्लास्टिक है पूरी दुनिया में हर वर्ष 40 करोड़ मीट्रिक टन प्लास्टिक का प्रोडक्शन हो रहा है उसमें से 3 करोड़ टन से अधिक प्लास्टिक पानी या जमीन पर फेंक दिया जाता है

प्लास्टिक बहुत बड़ी मुसीबत

एक उदाहरण देकर आपको प्लास्टिक के बारे में समझाते हैं यदि प्लास्टिक को धरती में कहीं गाड़ दिया जाए और 100 वर्ष बाद उसे निकाला जाए तो भी प्लास्टिक आपको वही मिलेगा क्योंकि प्लास्टिक ना गलता है और ना नष्ट होता है इसी से आप समझ सकते हैं कि ये कितनी बड़ी मुसीबत है आपके दिमाग में ये प्रश्न भी जरूर आ रहा होगा कि प्लास्टिक नष्ट नहीं होता है तो जाता कहां है ये हवा के जरिए हमारी सांस में जाता है, मिट्टी में मिलकर फसलों, पेड़ों और अंत में हमारे भोजन में जाता है कुल मिलाकर हमारा बनाया दैत्य पलटकर हमें ही खाता है प्लास्टिक गंभीर रोंगों का कारण बन रहा है

प्लास्टिक गंभीर रोंगों का कारण

BOSTON COLLEGE की रिपोर्ट के अनुसार प्लास्टिक की वजह से
Leukemia, Lymphoma, Brain Cancer, Breast Cancer जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती है अब प्रश्न है कि क्या हम प्लास्टिक को इग्नोर कर सकते हैं हो सकता है आप कहें नहीं, लेकिन ये संभव है वो कैसे अब इसे समझिए… इसकी शुरूआत आप अपने घर से ही कर सकते हैं

– किचन में प्लास्टिक के डिब्बों की स्थान जार का इस्तेमाल करें, Stainless Steel भी ला सकते हैं

– plastic wraps की स्थान silicone wraps या silver foil use करें

– प्लास्टिक की कंघी और ब्रश की स्थान लकड़ी के ब्रश और कंघी लाएं

– बाजार में कपड़े खरीदते हुए कागज के बैग लें या फिर अपना बैग लेकर जाएं

– कचरे को प्लास्टिक बैग में भरने के बजाय किसी कंटेनर में रखें

प्लास्टिक की मुसीबत से निपटा जा सकता है

सिर्फ छोटे छोटे कदम उठाकर प्लास्टिक की इस मुसीबत से निपटा जा सकता है लेकिन इसके लिए ख़्वाहिश शक्ति का होना बहुत महत्वपूर्ण है हो सकता है हमारा ये विश्लेषण देखकर आप ये सोच रहे हों कि प्लास्टिक का अब हम भी कम से कम इस्तेमाल करेंगे लेकिन कल जब आप सुबह उठेंगे तो आपके हाथ में फिर प्लास्टिक की बोतल या कोई और प्रॉडक्ट होगा और ये सच्चाई है…

 

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