लाइफ स्टाइल

एक महिला चाहकर भी अपमानजनक रिश्ते से क्यों नहीं निकल पाती बाहर …

लाइफस्टाइल न्यूज डेस्क किसी भी संबंध में एक-दूसरे का सम्मान भी उतना ही महत्वपूर्ण है देखा जाता है कि ज्यादातर जोड़े साथ तो रहते हैं, लेकिन उनमें आपसी विश्वास और सम्मान की काफी कमी होती है जिससे रिश्तों में कड़वाहट आने लगती है

कई बार तो ऐसा भी होता है कि पुरुष स्त्री के साथ दुर्व्यवहार करने लगता है गाली-गलौज करने के अतिरिक्त वह दूसरों के सामने उसका मजाक उड़ाना या हर छोटी-छोटी बात पर ताने मारना प्रारम्भ कर देता है भले ही पुरुष को इसमें कोई हानि नजर न आए, लेकिन इससे स्त्री के आत्मसम्मान को काफी हानि पहुंचता है कभी-कभी हालात इतने खराब हो जाते हैं कि साथ रहना बहुत कठिन हो जाता है लेकिन इस स्थिति में भी स्त्री अपने पार्टनर को नहीं छोड़ती उसे अपमानजनक संबंध में रहना और घुटन भरी जीवन जीना स्वीकार्य लगता है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि एक स्त्री चाहकर भी अपमानजनक संबंध से बाहर क्यों नहीं निकल पाती? दरअसल, इसके पीछे कई कारण हैं तो आज इस आर्टिकल में हम आपको ऐसे ही कुछ कारणों के बारे में बता रहे हैं-

वित्तीय निर्भरता

अधिकांश महिलाएं अपमानजनक रिश्तों में होने की बात स्वीकार करती हैं क्योंकि वे आर्थिक रूप से स्वतंत्र नहीं हैं अपने साथी पर उनकी आर्थिक निर्भरता उन्हें अलग नहीं होने देती उन्हें लगता है कि उनका पार्टनर भले ही नाराज हो, लेकिन वह उनकी हर आवश्यकता पूरी करता है ऐसे में यदि वह अपने पार्टनर से अलग हो जाता है या रिश्ता तोड़ देता है तो उसके लिए अपने खर्चों को पूरा करना बहुत कठिन हो जाएगा या वह ऐसा नहीं कर पाएगा और उसका पूरा जीवन दुख में बीतेगा

अकेलेपन का डर

छोटी उम्र से, लड़कियों को सिखाया जाता है और आश्वस्त किया जाता है कि उन्हें अपने जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए एक पुरुष की जरूरत है यदि घर में कोई पुरुष न हो तो स्त्री अपनी सुरक्षा नहीं कर पाती मनुष्य के बिना उनका कोई नहीं है ऐसे में एक स्त्री को कभी भी स्वयं पर भरोसा नहीं रहता है उन्हें हमेशा अकेलेपन का डर सताता रहता है उसे लगता है कि यदि उसने यह रिश्ता समाप्त किया तो उसे अपनी जीवन अकेले ही गुजारनी पड़ेगी ऐसे में इसका लाभ कोई भी उठा सकता है इसी डर की वजह से वह कभी भी इस संबंध से बाहर नहीं आना चाहतीं

बच्चों की चिंता

वे महिलाएं जो अपमानजनक रिश्तों में हैं लेकिन उनके बच्चे हैं वह अपने बच्चों की वजह से भी अपने पार्टनर से अलग नहीं होना चाहतीं उन्हें लगता है कि पार्टनर उनके साथ गलत व्यवहार कर सकता है, लेकिन वह बच्चों की जरूरतों का ख्याल रखते हैं बच्चों के सिर पर पिता का साया है इतना ही नहीं स्त्री यह भी सोचती है कि अलग होने के बाद उसे अपने बच्चों से भी दूर रहना पड़ेगा इसलिए उनका एक साथ रहना ही ठीक है इस तरह, बच्चों की चिंता उसे कभी भी अपमानजनक संबंध से बाहर नहीं आने देती

सामाजिक मान्यता

ऐसी बहुत सी महिलाएं हैं जो समाज के डर के कारण जीवन भर बहुत ही खराब संबंध सहती रहती हैं आज के समय में समाज चाहे कितना भी विकसित हो गया हो, लेकिन स्त्रियों को लेकर लोगों की सोच एकदम अलग है ऐसी स्त्रियों को अपना अधिकार पाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है उन्हें मुनासिब सामाजिक मान्यता भी नहीं मिल पाती है यहां तक ​​कि घर पर भी उसके माता-पिता और बच्चे कभी भी एक स्त्री को अपमानजनक संबंध से बाहर निकलने और उसे जीवन जीने का मौका देने के लिए तैयार नहीं होते हैं ऐसे में स्त्री की हौसला टूट जाती है और वह संबंध को अपनी किस्मत मानकर ढोती रहती है

विश्वास की कमी

जो महिलाएं अपमानजनक रिश्तों में रहती हैं उनका आत्म-सम्मान बहुत कम होता है बात-बात पर उन्हें बेकार होने का अहसास कराया जाता है ऐसे में वह स्वयं भी इस बात को सच मानने लगते हैं जब उनका आंतरिक आत्मविश्वास बुरी तरह कमजोर हो जाता है, तो उन्हें कभी भी यह महसूस नहीं होता है कि वे एक अपमानजनक संबंध से बाहर आ सकते हैं और अपनी एक पहचान बना सकते हैं

परिवर्तन की आशा है

कई मर्दों की आदत भी होती है कि वे अपने पार्टनर के साथ गलत व्यवहार करते हैं, लेकिन फिर माफी मांग लेते हैं वे अक्सर ऐसा करते हैं लेकिन पार्टनर के इस व्यवहार से स्त्री सोचती है कि उसका पार्टनर सुधर गया है या फिर वह गुस्सा होने पर ही बुरा व्यवहार करता है, नहीं तो वह काफी अच्छा है जब उसका गुस्सा शांत हो जाएगा तो वह भी सुधर जाएगा ऐसे में एक स्त्री हमेशा परिवर्तन की आशा रखती है और इसलिए वह अपने संबंध को हर बार दूसरा मौका देती रहती है हालाँकि, दुर्भाग्य से कई वर्ष बीत जाने के बाद भी उनके संबंध में कोई परिवर्तन नहीं आया है

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