घर की इन दिशाओं में वास्तुदोष कर सकता है कई बीमारियों से ग्रस्त
हर कोई चाहता है कि उसका घर ऐसा हो, जिसमें वह अपने परिवार के साथ सुख पूर्वक रह सके। वास्तुशास्त्र के मुताबिक घर हमें न सिर्फ़ रहने का जगह प्रदान करता है, बल्कि उसके भीतर या उसके इर्द-गिर्द की ऊर्जा भी हमारे जीवन को प्रभावित करती है, इसलिए अच्छी स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि के लिए यह जरूरी हो जाता है कि घर में पंचतत्वों का संतुलन हो यानि घर वास्तु सम्मत हो। वहीं, वास्तुदोष लगने पर जीवन में अस्थिरता आ जाती है। आमदनी कम हो जाती है। जबकि, खर्च बढ़ जाता है। साथ ही अकस्मात विपत्ति घर में दस्तक देती है। इसके अलावा, गुनाह लगने पर घर के सदस्य कई रोंगों से ग्रस्त हो जाते हैं।
ईशान कोण
इस दिशा में वास्तुदोष होने पर घर के पुरुष वर्ग को महिलाओं की अपेक्षा अधिक समस्याएं होती है। भूखंड या भवन के ईशान कोण में शयन प्रबंध करने से अनिंद्रा, दुःस्वप्न, स्मृति भंग, मस्तिष्क विकार, रक्तचाप आदि प्रायः घेरे रहते है। दंपति को तो भूलकर भी इस जगह पर नही सोना चाहिए। ईशान कोण में रसोईघर का होना अनेकानेक तनाव और व्याधियों का कारण होता है। ईशान कोण की रसोई घर में बरकत नहीं होने देती है तथा घर के लोगों को पेट और वायु रोगों से पीड़ित करती है। अन्य गुनाह ईशानकोण में होने से रक्त विकार, स्त्रियां को यौन बीमारी और प्रजनन क्षमता भी दुष्प्रभावित हो सकती है।
दक्षिण दिशा
इस दिशा में वास्तुदोष आ जाने पर स्त्री वर्ग को मर्दों की अपेक्षा अधिक नुकसान उठानी पड़ती है।
दक्षिण-पूर्व दिशा
इस दिशा में जलस्त्रोत बनवाने से या जल इकठ्ठा करने से आंत, आमाशय, फेफड़े आदि के बीमारी घर के लोगों को होने की आसार बढ़ जाती है।
वायव्य कोण
यहां भारी सामान रखने की प्रबंध नुकसानदायक साबित होती है। वायु पीड़ा, हड्डी के बीमारी और मानसिक विकार आदि भारी सामान इस दिशा में रखने से उत्पन्न हो सकते है।
दक्षिण-पश्चिम कोण
यह जोन यदि खाली और हल्का रहता है तो घर के सदस्यों में तनाव, गुस्सा अधिक होता है। दिल रोग, जोड़ों का दर्द ,खून की कमी ,पीलिया, आंखों की रोग और हाजमे की खराबी आदि बीमारी होने की आसार रहती है।
ब्रह्मस्थान
ईशान कोण की तरह ब्रह्मस्थान का भी हल्का और साफ रहना बहुत जरूरी है। यहां पर भारी सामान हो तो घर के लोग उन्माद का शिकार हो जाते हैं। जिससे उनका मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है और तनाव रहने लगता है।
उत्तर दिशा
इस दिशा में वास्तु गुनाह होने से घर में गुर्दे, कान के बीमारी ,रक्त संबंधी बीमारियां, थकावट तथा घुटने की बीमारियां बनी रहती है।
पूर्व दिशा
पूर्व दिशा में गुनाह होने से आदमी आंखों की रोग से ग्रस्त और लकवे का शिकार होता है। संतान नुकसान भी हो सकती है।
पश्चिम दिशा
में गुनाह होने से यकृत, गले के रोग, गाल ब्लैडर की रोग हो सकती है। फेफड़े, मुख्य छाती और चमड़ी बीमारी और गर्मी,पित्त और मस्सा होने की भी आसार होगी।