भारत के इन शाही महलों की खूबसूरती देख लोगों का दिल हो जाता है गार्डन-गार्डन
हिंदुस्तान में सबसे खूबसूरत महलों में से एक अंबा विलास पैलेस या मैसूर पैलेस एक वास्तुशिल्प करिश्मा है। वोड़ेयार्स द्वारा बनवाया गया ये महल उनके लिए शाही सीट के रूप में कार्य करता था, पैलेस को देखकर हर कोई कह देगा कि उन्हें उस जमाने में भी कला और वास्तुकला का कितना ज्ञान था। आप भी जरा महल के अंदरूनी हिस्सों में जाकर देखिए, आपको द्रविड़, ओरिएंटल, इंडो-सरसेनिक और रोमन शैली वास्तुकला का उदाहरण यही देखने को मिलेगा।
त्रिपुरा में सबसे खूबसूरत संरचनाओं में से एक और हिंदुस्तान में सबसे अधिक मान्यता प्राप्त महलों में से एक, उज्जयंता पैलेस असल में राजा के निवास के लिए परफेक्ट है। बल्कि आप तो अभी भी देखकर यही कहेंगे कि ऐसे खूबसूरत महल में तो आज भी कोई भी राजा रह लेगा! बता दें, महान कवि रवींद्रनाथ टैगोर ने महल को इसका नाम दिया था और काफी समय तक इस महल पर कई शासकों का शासन रहा था। खूबसूरत टाइल्स और लकड़ी के करिश्मा को देखने के लिए एक बार जरूर जाएं। वैसे अब ये महल एक म्यूजियम में परिवर्तित कर दिया गया है।
क्या आप ये बात जानते हैं वडोदरा का लक्ष्मी विलास पैलेस बकिंघम पैलेस से भी चार गुना बड़ा है? कला का उदहारण देखना चाहते हैं, तो एक बार इस महल को देखने जरूर आएं। बता दें, बड़ौदा के शाही परिवार – गायकवाड़ का घर है। 1890 में, मेजर चार्ल्स मंट ने महाराजा सैय्याजीराव गायकवाड़ III के लिए वास्तुकला की इंडो-सरसेनिक शैली में महल का डिजाइन तैयार किया था, अब ये पैलेस म्यूजियम में बदल चुका है।
महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय एक बेहतरीन वास्तुकला के साथ महल बनवाने के लिए जाने जाते हैं। जयपुर में सिटी पैलेस उनकी भव्य संरचनाओं के कलेक्शन में से एक है। महल में कई आंगन, मंदिर, पार्क हैं और इनमें चंद्र महल, बधाई महल, श्री गोविंद देव मंदिर को तो लोग सबसे अधिक देखते हैं। इतने सालों के बाद भी, जयपुर शाही परिवार वहां रहता है, हालांकि महल का एक बड़ा हिस्सा अब सिटी पैलेस संग्रहालय या महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय संग्रहालय में बदल दिया गया है।
जय विलास पैलेस महाराजा जयाजी राव सिंधिया द्वारा 1874 में बनवाया गया था। इसे बनाने वाले माइकल फिलोस वास्तुकार थे जिन्होंने इस भव्य संरचना को डिजाइन किया और अपने डिजाइनों में वास्तुकला की यूरोपीय शैली को शामिल किया। इस महल की तीनों मंजिलों की वास्तुकला की भिन्न-भिन्न शैलियां हैं। पहला टस्कन शैली में, दूसरा इतालवी डोरिक में और तीसरा कोरिंथियन शैली में। पूर्ववर्ती शाही सीट अब एक म्यूजियम है, जिसे जीवाजी राव सिंधिया म्यूजियम के नाम से जाना जाता है।