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भारतीय सेना के कमांडर जगजीत सिंह अरोड़ा के जन्मदिन पर जानें इनके जीवन संघर्ष की कहानी

इतिहास न्यूज डेस्क !!! जगजीत सिंह अरोड़ा (अंग्रेज़ी: Jagjit Singh Aurora, जन्म- 13 फ़रवरी, 1916, मृत्यु- 3 मई, 2005) इंडियन आर्मी के कमांडर थे उनका जन्म झेलम में हुआ था जो वर्तमान में पाक में स्थित है पाक के साथ 1971 के युद्ध में उसे पूर्वी मोर्चे पर करारी मात देकर ‘बांग्लादेश’ नाम के नये राष्ट्र को विश्व के मानचित्र में स्थापित करने वाले हीरो लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा का जन्म 1916 ई में हुआ था

सेना नायकत्त्व

1938 ई में उन्हें सेना में कमीशन मिला और द्वितीय विश्वयुद्ध के समय वे पूर्वी मोर्चे पर थे डिफेंस कॉलेज के प्रशिक्षण के बाद वे मेजर जनरल के रूप में तोपखाना डिवीजन के कमाण्डर बने 1964 में जनरल ऑफ़ीसर कमांडिंग के रूप में उनको पूर्वी कमान की ज़िम्मेदारी सौंप दी गई उस समय के पूर्वी पाक में वहाँ की सेना के अत्याचारों से त्रसित लगभग एक करोड़ बंगाल निवासियों को हिंदुस्तान में शरण लेने के लिए बाध्य होना पड़ा, तो हिंदुस्तान वहाँ की ‘मुक्ति सेना’ की सहायता के लिए आगे बढ़ा इस पर पाक ने आक्रमण कर दिया इस युद्ध में लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह का साहस और रण कौशल सामने आया पाक की लगभग एक लाख सेना को चारों ओर से घेरकर और उस पर सैनिक और मनोवैज्ञानिक दबाव डालकर उन्होंने उसे सेरेण्डर के लिए बाध्य कर दिया पाक के सेनानायक लेफ्टिनेंट जनरल नियाज़ी को सरेंडर पत्र पर हस्ताक्षर करके जगजीत सिंह के सामने झुकना पड़ा और नया राष्ट्र ‘बांग्लादेश’ अस्तित्त्व में आया जगजीत अरोड़ा के सेना नायकत्त्व में यह हिंदुस्तान की एक बड़ी कामयाबी थी 80 हज़ार से अधिक पाकिस्तानी सैनिक बन्दी बनाकर हिंदुस्तान लाए गए थे

मृत्यु

जगजीत सिंह अरोड़ा की मौत 3 मई, 2005 को नयी दिल्ली में हुई थी

पुरस्कार

जगजीत सिंह अरोड़ा को प्रशासकीय सेवा के क्षेत्र में हिंदुस्तान गवर्नमेंट द्वारा सन् 1972 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था

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