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 नरक चतुर्दशी:जानिए इस दिन का महत्व, यम तर्पण की विधि व अन्य खास बातें…

 नरक चतुर्दशी पर यम तर्पण करने से कई तरह की परेशानियों से बचा जा सकता है इस दिन सुबह हस्त नक्षत्र होने से आनंद नाम का शुभ योग बन रहा है नरक चतुर्दशी पर मौत के देवता यमराज की पूजा होती है घर के कोनों में दीपक जलाकर अकाल मौत से मुक्ति की कामना की जाती है  इसके अतिरिक्त सर्वार्थसिद्धि नाम का एक अन्य शुभ योग भी इस दिन सुबह-सुबह रहेगा इस दिन यमराज के निमित्त दीपदान करने का विशेष महत्व है जानिए इस दिन का महत्व, यम तर्पण की विधि और अन्य खास बातें…

अभ्यंग स्नान मुहूर्त
सुबह 6 बजे से पहले

चौघड़िया मुहूर्त
सुबह 06:34 से 07:57 तक- लाभ
सुबह 07:57 से 09:19 तक- अमृत
सुबह 10:42 से दोपहर 12:04 तक- शुभ
दोपहर 02:49 से 04:12 तक- चर
शाम 04:12 से 05:34 तक- लाभ

इसलिए करते हैं यमराज की पूजा

जब ईश्वर विष्णु ने वामन अवतार लेकर दैत्यराज बलि से तीन पग धरती मांगकर तीनों लोकों को नाप लिया तो राजा बलि ने उनसे प्रार्थना की- ‘हे प्रभु! मैं आपसे एक वरदान मांगना चाहता हूं यदि आप मुझसे प्रसन्न हैं तो वर देकर मुझे कृतार्थ कीजिए

तब ईश्वर वामन ने पूछा- क्या वरदान मांगना चाहते हो, राजन? दैत्यराज बलि बोले- प्रभु! आपने कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी से लेकर अमावस्या की अवधि में मेरी संपूर्ण पृथ्वी नाप ली है, इसलिए जो आदमी मेरे राज्य में चतुर्दशी के दिन यमराज के लिए दीपदान करे, उसे यम यातना नहीं होनी चाहिए और जो आदमी इन तीन दिनों में दिवाली का पर्व मनाए, उनके घर को लक्ष्मीजी कभी न छोड़ें राजा बलि की प्रार्थना सुनकर ईश्वर वामन बोले- राजन! मेरा वरदान है कि जो चतुर्दशी के दिन नरक के स्वामी यमराज को दीपदान करेंगे, उनके पितर कभी नरक में नहीं रहेंगे और जो आदमी इन तीन दिनों में दिवाली का उत्सव मनाएंगे, उन्हें छोड़कर मेरी प्रिय लक्ष्मी अन्यत्र न जाएंगीभगवान वामन द्वारा राजा बलि को दिए इस वरदान के बाद से ही नरक चतुर्दशी के दिन यमराज के निमित्त व्रत, पूजन और दीपदान का प्रचलन शुरुआत हुआ, जो आज तक चला आ रहा है

पूजन विधि

  • स्नान के दौरान अपामार्ग (एक प्रकार का पौधा) को शरीर पर स्पर्श करना चाहिए इस दिन शरीर पर तिल के ऑयल की मालिश करके सूर्योदय से पहले स्नान करने का विधान है अपामार्ग को निम्न मंत्र पढ़कर मस्तक पर घुमाना चाहिए-
  • सितालोष्ठसमायुक्तं सकण्टकदलान्वितम्
  • हर पापमपामार्ग भ्राम्यमाण: पुन: पुन:
  • नहाने के बाद साफ कपड़े पहनकर, तिलक लगाकर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके निम्न मंत्रों से प्रत्येक नाम से तिलयुक्त तीन-तीन जलांजलि देनी चाहिए यह यम-तर्पण कहलाता है इससे साल भर के पाप नष्ट हो जाते हैं-
  • ऊं यमाय नम:, ऊं धर्मराजाय नम:, ऊं मृत्यवे नम:, ऊं अन्तकाय नम:, ऊं वैवस्वताय नम:, ऊं कालाय नम:, ऊं सर्वभूतक्षयाय नम:, ऊं औदुम्बराय नम:, ऊं दध्राय नम:, ऊं नीलाय नम:, ऊं परमेष्ठिने नम:, ऊं वृकोदराय नम:, ऊं चित्राय नम:, ऊं चित्रगुप्ताय नम:
  • नरक चतुर्दशी पर ईश्वर श्रीकृष्ण की पूजा भी करनी चाहिए, क्योंकि इसी दिन उन्होंने नरकासुर का वध किया था इस दिन जो भी आदमी विधिपूर्वक ईश्वर श्रीकृष्ण का पूजन करता है, उसके मन के सारे पाप दूर हो जाते हैं और अंत में उसे वैकुंठ में जगह मिलता है इस प्रकार तर्पण कर्म सभी मर्दों को करना चाहिए, चाहे उनके माता-पिता गुजर चुके हों या जीवित हों फिर देवताओं का पूजन करके शाम के समय यमराज को दीपदान करने का विधान है

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